Thursday, 18 April 2019

देसी घी बनाने की विधि

घी जिसे संस्कृत में धृत कहाँ जाता है । भारत मे इतनी मिलावट की समस्या है कि यहाँ मध्यम वर्ग तो अपने घरों में स्वयं ही धृत बनाने लगा है । घृत या घी अमृत है, जीवन वर्धक है । दाल, सब्जी, रोटी, ब्रेड अनेको अनेक प्रकार से आप इसका प्रयोग कर सकते है । विटामिन्स के अवशोषण में भी ये बहुत ही सहायक है । हाँ यदि कफ की प्रकृति है शरीर मे तो इसका अधिक सेवन न करे । घी दूध का वो स्वरूप है जो खराब नही होता लंबे समय तक यदि उचित प्रकार से रखा जाए । पानी से इसे सदैव बचाया जाना चाहिए । तो भिन्न तरीके जानते है जिनसे ये भारत मे बनाया जाता है ।

1. घरेलू विधि
घर मे जो दूध आता है उसे हम गर्म कर देते है ताकि फ़टे न, तत्पश्चात जब वह ठंडा हो जाता है तो उसे हम फ्रिज यानी कि रेफिरजरेटर में रख देते है । इस से मोटी मलाई पड़ जाती है । अब इसमें बहुत से घरों में लंबे समय तक मलाई को इकट्ठा किया जाता है जिस से घी बनाते समय बदबू तक आती है जो कि सही तरीका नही है । थोड़ा-2 कर के बनाये पर शुद्ध तरीके से बनाये ।
इस मलाई को कुछ तो सीधे कढ़ाई में गर्म करते है और तब तक गर्म करते है जब तक घी अलग न हो जाये । कंछुली निरन्तर चलाये रखनी होती है । इसमे बाय प्रोडक्ट अधिक निकलता है जिसे शक्कर डाल के खाया जा सकता है यदि अधिक जला न हो ।
इसे और अधिक घी निकालना हो तो इस मलाई को मिक्सर में चला लेना चाहिए । जिस से मक्खन निकलेगा । मक्खन से अधिक धृत की प्राप्ति होगी ।

2. बिनोला विधि
इसे प्राचीन विधि कहा जाता है । दुग्ध को दही बना लिया जाता है । दूध में दही का जामन या निम्बू का रस या इमली डाल के उसे फर्मेंटेड किया जाता है । तत्पश्चात उसे फेटा जाता है । जिस से मक्खन ऊपर तैरने लगता है । इस मक्खन को गर्म कर के घृत में परिवर्तित कर लिया जाता है । और छाछ यानी वो बचा हुआ दुग्ध का स्वरूप छाछ के रूप में प्रयोग कर लिया जाता है । उसको लोग नमक और मसाला डाल के पीते है जो कि पेट के लिए लाभ दायक होता है । बल्कि कुछ स्थानों में मठा आलू की सब्जी भी बनाई जाती है जिसमे इसे ग्रेवी के तौर पर प्रयोग किया जाता है ।

3.व्यवसायिक विधि
इसमे मशीनों का प्रयोग किया जाता है । अतः घरेलू प्रयोग के लिए हमे उतना विस्तार में जाने की आवश्यकता नही है ।

ये समझना होगा कि 1 किलो दूध में लगभग 4 से 8 प्रतिशत तक फैट होता है । निर्भर करता है गौ की प्रजाति, उसका भोजन, मौसम आदि पर । भैस के दूध में थोड़ा अधिक फैट होता है लाभ में गौ धृत के समान नही होता ।
घी का सेवन जब प्रजा में बढ़ेगा तो अपने आप ही लोगो का स्वास्थ्य सुधरेगा । लोगो की औसत आयु बढ़ेगी । अतः आप लोग जागरूक होइए । घरेलू घी बनाइये अन्यथा शुद्ध घी खरीदिए । जो सक्षम है वे गौ पालन करे । स्वास्थ है तो धन का होना सार्थक है । यदि स्वयं नही पाल सकते तो किसी ठीक प्रकार की चलने वाली गौ शाला से जुड़ जाइये । भारत मे दूध पानी से सस्ता होना चाहिए । बल और बुद्धि दोनो का प्रदाता दूध और उसके उत्पाद ही है । इति

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