क्या २००० रूपए में वोट खरीद रहे है मोदी
फरवरी के अंतिम सप्ताह में किसानो को २००० रूपए खाते में दे दिए गए | ८ मार्च से आचार सहिंता लागू हो जायेगी | इस से पूर्व किसानो को पैसा बाटने की योजना की घोषणा करी गयी थी | उसे शीघ्रता से कार्यान्वित कर दिया गया | आश्चर्य है की इन्हे पौने चार साल बाद किसान याद आये ? और वो भी पैसा बाट के | किसानो की वास्तव में सहायता करनी है तो डी ए पी सस्ती करवा देते वो तो कही महंगी हुई साढ़े चार सालो में | एक ओर राहुल गांधी है जो कहते है की वो किसानो का ऋण माफ़ कर देंगे यदि कांग्रेस की सरकार आयी | ये भी वैसा ही प्रलोभन है दरअसल सरकारी खर्च पर ही सरकार बनाने का ताना बाना दोनों लोग बनाये बैठे है | यूरिया डी.ए.पी सस्ती नहीं करनी है, डीजल ही सब्सिडी पर दे देते वो भी नहीं, गोबर खरीदने की कोई योजना चला देते वो भी नहीं | गोचरा भूमि जो पुरे देश भर में अनाधिकृत कब्जे में है उसे मुक्त करने का आदेश दे देते, जैविक खेती के लिए कुछ विशेष सुविधा दे देते वो भी नहीं |
भारतीय खाद्यान निगम जिस प्रकार से अनाज के मूल्यों का निर्धारण करता है उसमे सुधार कर देते, वो भी नहीं किया | ये जो भीख बट रही है या कहा जाए रिश्वत दी जा रही है वो सिर्फ चुनाव जीतने के लिए | घटिया राजनीत का उदाहरण है ये जहाँ किसानो की समस्या से या देश पर बढ़ते कर्ज से इनको कोई लेना देना नहीं है | सत्ता मिले और वे लम्बे समय तक उसपे आसीन रह सके बस यही इनका परम ध्येय है |
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