Wednesday, 29 August 2018

भाजपा एवं प्रधानमन्त्री का अक्षम्य अपराध

 
17 अगस्त 2018 को The Schedule Caste and Schedule Tribes (Prevention of Atrocities) Amendment Act, 2018 राष्ट्रपति से हस्ताक्षिर हो कर लागू हो गया | ये २० मार्च के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध लाया गया | ज्ञात हो २० मार्च २०१८ को सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के अंतर्गत तुरंत गिरफ्तारी को अवैध ठहराया था और CO/DSP रैंक के अधिकारी के जांच के बाद ही गिरफ्तारी होगी आदेश दिया था | किसी को बिना जांच गिरफ्तार करवाना न दलित अधिकारों में आ सकता हैं और न ही पुलिस अधिकारों में | किसी भी विषय में जांच होना न्याय होने का आधारभूत पक्ष है, इस प्रकार किसी को बिना जांच के आरोप लगा देने मात्र से गिरफ्तार करना लोगो के मूल अधिकारों का हनन है |
इस निर्णय पर अनुसूचित जाती के लोग सडको पर आगये | उन्होंने भरपूर शक्ति प्रदर्शित कर अपना दलित होना साबित किया | प्रधानमन्त्री को ५० से ऊपर दलित सांसदों ने पत्र लिखा और आपत्ति प्रस्तुत करी | सरकार ने कह दिया वो इस निर्णय के विरुद्ध अध्यादेश लायेंगे | गौ रक्षा और राम मंदिर पर घोषणापत्र में कह कर भी अध्यादेश न लाने वाली सरकार ने तुरंत ही इस पर लोकसभा में प्रस्ताव ले आयी फिर राज्य सभा में ये पास हो गया और अंततः राष्ट्रपति से हस्ताक्षरित होकर पास हो गया | ये जो संशोधन आया इसमें धरा 18 A  का प्रक्षेप करने का आदेश दिया गया जिसके अनुसार प्रथम सूचना रिपोर्ट में कोई प्राथमिक जाच नही होगी | अवयशकता पड़ने पर किसी जांच अधिकारी कि नियुक्ति नहीं होगी दूसरी उपधारा के अनुसार | दूसरा बिंदु CrPC कि धारा 438 लेने का अधिकार नही होगा और इस कानून पर लागू नहीं होगी |
ये कानून में संशोधन लगने के बात मुझे लगा मानो हम लोकतंत्र में नहीं किसी दलित राष्ट्र में है | जहा हमारी हैसियत दोयम दर्जे के नागरिको से अधिक नही | जैसे किसी इस्लामिक देश में या हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में हिन्दू रहता है हमें भी अब इस देश में दलितों से डर के रहना ही होगा | हम बाध्य है कानून मानने को पर केवल वो जो दुसरो को अधिकार देता है हमारे अधिकार कि कानूनी प्रक्रिया हमसे छीन ली गई | निश्चय ही जो कानून थोडा बहुत भी जानता है उसका क्रोध आना स्वाभाविक है वो भी तब जब बड़े गर्व से आप बताते है कि हमने अपराधो कि संख्या २२ से बढा कर ४७ कर दिया  | एक तो कोई जांच नही होंगी ये स्पष्ट घोषणा कर दी आपने ऊपर से आरोप लगाने के कही अधिक कारण दे दिए | उसके बाद आपने कहा कि ४३८ कि प्रक्रिया के अंतर्गत हम अग्रिम जमानत भी नही ले सकते है | यानी किसी पर भी आरोप लगा तो उसे जेल जाना ही जाना है  | आप लोगो से उनका पक्ष रखने से कैसे रोक सकते है | कोई नही रोक सकता इतना तो अंग्रेज भी पालन करते थे |
कल को स्वयं मोदी जी प्रधानमंत्री नही होंगे तब किसी ने उनपर आरोप लगा दिया तो उन्हें भी कोई न बचा पायेगा | सुप्रीम कोर्ट में कोई याचिका लगा कर इसे असंवैधानिक घोषित करे जो कि लोग दायर करेंगे ही लेकिन उस से पूर्व भी कोर्ट स्वतंत्र है इन आरोपों में जमानत देने को | यद्दपि ऐसा कम सम्भावित है जब तक एक बार पुनः सुप्रीम कोर्ट का निर्णय इस कानून पर नहीं आता | न्यायालय और न्याय व्यवस्थाओं के होने का कोई अर्थ नहीं यदि आप अपनी बेगुनाही का सबूत ही न दे सके | आपको अवसर ही नही दिया जाएगा | स्पष्ट सन्देश है कि सवर्ण होना अब इस देश में अपराध है |
मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाकर सत्ता में आई भाजपा स्वयं दलित तुष्टिकरण में इस प्रकार लिप्त हो जायेगी इसकी स्वप्न भी कल्पना नही थी | भगवान राम से चला भाजपा का रथ डा. अम्बेडकर पर आकर रुक गया है | निश्चय ही भाजपा ने अपने सर्वे करा रखे है और उन्हें लगता है कि सवर्ण यदि  हमें वोट नही देगा तो भी हम अनुसूचित और पिछड़े वोटो से जीत जायेंगे | ये उनकी भूल मात्र है ये लोकतंत्र है यहाँ जन संख्या का विस्तार लोगो के समीकरण को झुठला देता है | सवर्ण अभी इतना कमजोर नही हुआ कि इतनी सरलता से आप उसे डरा कर गुलाम बना ले | ने विकल्प तो बनेंगे ही साथ ही आपके दल कि समाप्ति का आरम्भ भी हो चूका है | समता पूर्ण समाज हमे बनाना है जहा कोई किसी से डर के न रहे और इस पर हम सभी सहमत हुए थे | पर अब तुष्टिकरण वोट बैंक कि राजनीत से हम उब चुके है और हम अपने विकल्प खड़े करेंगे अविलंभ | कानून से हम सब बंधे है पर जो कानून हमारे मूल अधिकारों का हनन करे वो कानून वैध नही होगा ये हमारा संविधान कहता है | देश कि न्यायपालिका उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि कार्यपालिका अतः न्यायपालिका के निर्णय को पलट कर देश कि संसद ने न्यायपालिका को नियंत्रित करने का भी अपराध किया है | और इस बार हम आपको क्षमा नही करेंगे |

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