Tuesday, 3 July 2018

सर्जिकल स्ट्राइक वीडियो प्रमाण या राजनीत

29 सितम्बर २०१६ को भारतीय सेना ने पाकिस्तान द्वारा जबरन अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर आक्रमण किआ | इसकी सूचना प्रेस को लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह जो की DGMO यानी Director General of Military Operations है द्वारा दी गई | पाकिस्तान ने इस बात को सिरे से नकार दिया | ध्यान देने योग्य बात ये है की १८ सितम्बर २०१६ को जैशे मोहम्मद के आतंकियो द्वारा युरी में भारतीय सेना के बेस पर हमला किआ गया जिसमे हमारे १९ जवानो के प्राण बलिदान हो गये | सरकार की छवि वैसे ही धूमिल हो रही थी कुछ कार्य न करने से ऐसे में सर्जिकल स्ट्राइक के नाम से सभी की छाती चौड़ी हो गई | ये नोट बंदी और  GST से पहले का दौर था तो लोगो के लिए सरकार ने कुछ भी नही किआ अच्छा बुरा ऐसी एक छवि बन रही थी | 2 जनवरी २०१६ को पठानकोट हमले में सरकार की किरकिरी वैसे ही हो चुकी थी | ऐसे में सर्जिकल स्ट्राइक जैसा शब्द लोगो के बीच में प्रचलित हुआ | आम लोगो को समझ आया की सरकार ने कुछ किआ है हमारी सेना ने आतंकियो को घुस के मारा है |
यद्दपि DGMO ने ऐसी सूचना दी थी पर इस पर विपक्षी दलों के नेता ने प्रश्न उठा दिए ? सेना ने प्रधानमंत्री कार्यालय यानी PMO पर डाल दिया की हम साबुत दे सकते है पर देना है या नहीं ये PMO निर्णय करेगा | PMO ने स्पष्ट मना कर दिया और दुनिया भर के कारण गिना दिए जो की सुरक्षा से जुड़े हुए थे | फिर 27 June 2018 को मिडिया द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो सामने आगया | अब प्रश्नों का दौर होना तो स्वाभाविक है | सरकार ने जब स्पष्ट मना कर दिया की वीडियो सामने नहीं लाये जायेंगे तो ऐसी क्या आवयश्कता पड़ गई की वीडियो मिडिया में चलाए जाए | साफ़ है जनता को ये याद दिलाना की हमने सर्जिकल स्ट्राइक करवाए | ऐसे समय जब दशको से वर्तमान सरकार के सबसे बड़े दल भाजपा का वोटर ये कहने लगा की 'हमारी भूल कमल का फुल' | आर्थिक मोर्चे पर सरकार पूरी तरह नाकाम ही नही रही सरकार की नीतियों के कारण चल रहे व्यवसाय भी बुरी तरह प्रभावित हो गए | मन गंडन्त आकड़ो के खेल से तो कोई भी बौधिक परिचित होगा | ऐसे में वीडियो प्रसारित करने का क्या ध्येय |
वीडियो प्रसारित हुआ, किसने किआ? कुछ नही पता | बस एक चैनल के माध्यम से प्रसारित हुआ | क्या सेना को इसपर अनुशासन की कार्यवाही नही करनी चाहिए ? क्या इस पर जांच नही होनी चाहिए | जिस कार्य को प्रधानमन्त्री कार्यालय मना कर चूका उसकी अवमानना हुई ? पर Qui Bono सिद्धांत अनुसार सर्जिकल स्ट्राइक का होना और उसके वीडियो का प्रसारित होना दोनों में ही सरकार को ही लाभ मिल रहा है | जानने को सब जानते है और नियमो की खुलेआम धज्जिया उड़ रही है | वैसे इतना बड़ा विषय नही की इसपर सरकार पर कोई दबाव बना सके की कार्यवाही करिए पर मान लीजिये किसी पर कार्यवाही हो भी गई तो इसी वीडियो को कही और का सिद्ध कर के वो अधिकारी अपनी गर्दन बचाएगा | जब वीडियो प्रसारण पर प्रश्न उठ रहे तो अब सर्जिकल स्ट्राइक पर ये प्रश्न उठता है की प्रेस को जानकारी देने का मूल ध्येय क्या था ?
सेना का काम युद्ध करना है सीमाओं की सुरक्षा करना है आवयश्कता पड़े तो सीमाओं का उल्लघं करना भी है | तो ऐसे प्रेस कांफेरेंस से सूचना देना तो ये बताता है की जैसे पहले कभी ऐसा हुआ न हो ? और यदि पहले कभी ऐसा वाकई नही हुआ तो हम ये तो कह सकते है की सरकार बहुत दमदार है पर सेना की कार्यवाही पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है | यद्दपि ये प्रश्न ही गलत है, हमारी सेना हर समय युद्ध की स्तिथि में रहती है | घुस के मार आना उस युद्ध का हिस्सा है | सेना के माध्यम से राजनीत चमकाने की कोशिश की गई जिस में सफलता भी मिली | पर वीडियो प्रसारण के बाद सरकार की गिरती छवि सुधरी हो लगता तो नही | 

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