Saturday, 5 May 2018

वीर सावरकर पर दी वायर के पक्षकारो से चली लम्बी चर्चा के अंश

एक महोदय ने फेसबुक पर जिन्ना की फोटो को लेकर चले विवाद 
भारतीय मुसलमानों ने 1947 में मिस्टर जिन्ना के प्रस्ताव को ठुकरा कर भारत को अपना मातृभूमि बनाकर बस गए है... क्या आप जानते हैं.....भारत पाकिस्तान बटवारा करने वाला कौन ...? नेहरू - जिन्ना या सावरकर जिन्ना...? गांधी की हत्या भारत के बटवारा और 55 करोड़ रुपिया के लिए किया गया था . यह झूठ है .क्योंकि मई 1944 एवं सितंबर 1944 में गांधीजी के ऊपर जानलेवा हमले में गोडसे क्यों शामिल था ...? जबकि इस समय तक पाकिस्तान बंटवारे की कोई बात नहीं थी.! 1937 में सर्वप्रथम RSS के आदर्श सावरकर ने हिंदू महासभा के 19वें सम्मेलन अहमदाबाद में बोला जो समग्र सावरकर बांगमय पुस्तक के पेज नंबर 296 में कहते हैं .. भारत में पहले से ही दो राष्ट्र रहते हैं हिंदू और मुसलमान का राष्ट्र . 1939 में 30 वर्ष तक RSS के प्रमुख गोलवलकर वी आवर नेशन हुड डिफाईन ... के पेज नंबर 47 48 पर लिखते हैं अल्पसंख्यक अपने आप से अपना अस्तित्व त्याग कर हिंदू धर्म में शामिल हो जाए या हिंदू राष्ट्र में बिना किसी सुविधा यहां तक कि नागरिक अधिकार की अपेक्षा किए बिना दोयम दर्जे के नागरिक बन कर रहे उनके लिए इससे अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं होना चाहिए . इसको देख मुस्लिम लीग के प्रमुख मोहम्मद अली जिन्ना ने मार्च 1940 में पहली बार मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग की . 1943 के 15 अगस्त को नागपुर के प्रेस कॉन्फ्रेंस में सावरकर ने कहा द्विराष्ट्रवाद सिद्धांत पर जिन्ना के साथ मेरा कोई मतभेद नहीं है. कोई झगड़ा नहीं है . जिन्ना भी भारत में हिंदू मुसलमान का राष्ट्र रहने का दो राष्ट्रवादी सिद्धांत पर सहमति दी . उस वक्त डॉक्टर अंबेडकर ने लिखा था पुस्तक पाकिस्तान आवर पार्टीशन ऑफ इंडिया के पेज संख्या 142 पर मिलेगा... एक राष्ट्र बनाम दो राष्ट्र पर मोहम्मद जिन्ना और सावरकर का विचार परस्पर विरोधी होने के बजाय एक दूसरे से मेल खाती है . दोनों स्वीकार करते हुए इस बात पर जोर देते हैं कि भारत में द्विराष्ट्र है . दो राष्ट्रवाद के सिद्धांत के जन्मदाता गोलवलकर , सावरकर हिंदू महासभा और RSS संगठन मुखिया है. गांधी जी तो पाकिस्तान बटवारा का विरोधी थे.. गांधी जी ने 22 सितंबर 1946 के आम सभा में कहा था कि आप मेरे शरीर के दो टुकड़े कर सकते हैं पर देश को दो टुकड़ा नहीं कर सकते . यह कहना कि गोडसे ने भारत बंटवारा या 55 करोड रुपए के लिए गांधी की हत्या की थी सरासर झूठ और बिना तथ्यपरक हकीकत है...! गोडसे और एक साथी ....से अपना पलला हिंदू महासभा RSS झाड़ कर खुद का वचाव किया था..यदि दो राष्ट्र का सिद्धांत पैदा कर हिंदू-मुस्लिम नफरत के वजाय अंग्रेजो से लड़ते तो आज अखंड भारत विश्व गुरु बन गया होता......!


Sunil Kumar Thakur तो कहने का अर्थ ये है कि सावरकर सारी फसाद की जड़ थे । बंगाल विभाजन, मोपला में हिन्दुओ का कत्लेआम, स्वामी श्रद्धानंद की हत्या सबकी जड़ सावरकर थे । इस्लाम सहअस्तित्व और सहिष्णुता पर चलता है पर हिन्दुत्व ने इस देश का विभाजन किआ । बेचारे गांधी जी उनकी तो चली नही सावरकर इतने ताकतवर थे कि देश विभाजन पर ले आये तब गांधी जी की चली नही और जब विभाजन पर आगया तब भी बेचारे गांधी जी की चली नही। क्यो की कर्णावर्ती अधिवेशन में ऐसा कहा था । वैसे जिन्ना कब अलग हुए थे उलेमा इकबाल का जय रोल था ? अखण्ड भारत का स्वप्न किसने देखा था ? क्या इस्लाम भारतीय सँस्कृति के विपरित की विचारधारा नही है? यदि विपरीत नही है तो मुस्लिम लीग को समर्थन कैसे मिल और यदि है तो अन्य सम्प्रदायों जैसे इब्राहिमिक आस्था मिल क्यो न पाई?
दोहरे और दोगले मापदण्डो के पालन के लिए कहा से धन मिलता है मूझे नही पता पर इस प्रकार इतनी सरलता से सावकर जैसे शूरवीर के त्याग और बलिदान को निशाना बनाने की स्वतंत्रता कम से कम इंटरनेट हमे देता है ।



प्रगतिशील शुक्ल सारे झगड़े की जड़ की शुरुआत ब्रिटिश गवर्नमेंट की डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी है. 1905 के बाद जब देश में क्रांतिकारियों द्वारा षड्यंत्र और अंग्रेजों की हत्या की जाने लगी साथ ही अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध भारतीय जनमानस एकजुट होने लगे तब यह पॉलिसी का जन्म किया गया. जिसके आधार पर मिस्टर सावरकर जो सेलुलर जेल में अंग्रेजो के खिलाफ षड्यंत्र के आरोप में सेलुलर जेल में बंद थे उन्होंने कई क्षमा याचना अंग्रेजी हुकूमत से की अंग्रेज सरकार ने उन्हें इन्हीं शर्तों पर क्षमा दिया ताकि वह देश में हिंदुओं का अलग संगठन बनाकर मुसलमानों से लड़ाया जा सके जिसका पूरी आजादी की लड़ाई में इन्होंने और इनके संगठन ने वफादारी निभाई.Sunil Kumar Thakur अंग्रेजो की फुट डालो राज करो नीति 1857 की क्रांति के बाद से थी । सर सैयद अहमद खा साहब का अच्छा योगदान था इसमे । मुस्लिम लीग बनी और कांग्रेस में आवयश्कता से अधिक तुष्टिकरण किआ । ये दोनों अंग्रेजो की ही नीति का हिस्सा थे । हिन्दू महासभा 1915 में सुचारू रूप से बनी, जिसमे कई देशभक्त राजाओ का भी समर्थन था । स्पष्ट है हिन्दू कांग्रेस क्यो की कांग्रेस की हिन्दू विरोधी नीतियों के कारण ही बंगाल विभाजन के विचार को बल मिला था । सावरकर ने पत्र 1913 में लिखे थे एक काला पानी झेलने के बाद । जिसपर अंग्रेजो ने न विश्वास किआ और न ही उन्हें छोड़ दिया । रत्नागिरी में नजरबंद रहे तो भी उन्होंने दलितोद्धार का कार्य किया । गुरुकुल कांगड़ी के संस्थापक और लाखों मुस्लिमो की शुद्धि करने वाले श्रद्धानंद की हत्या के बाद उनके सम्मान ने समाचार पत्र चलाया । 1937 में कही सावरकर को पूर्ण आजादी मिली और राजनीत में भाग लेने की अनुमति । कांग्रेस का भी प्रस्ताव आया उनके पास जिसे उन्होंने त्याग दिया । रास बिहारी बोस से मिलने का सुझाव भी उन्ही का था सुभाष चन्द्र बोस को वो कांग्रेस से निकल कर हॉलवेल का पुतला तोड़ने मात्र का सोच रहे थे । सावरकर से लेनीन 4 बार मिले और उनकी क्रांतिकारी क्षमताओं का लोहा माना । फ्रांस के प्रधानमंत्री को सावरकर को अंग्रेज ले गए फ्रेंच भूमि से इसलिए इस्तीफा देना पड़ा । अंग्रेज चाह कर भी न लटका पाए और न यातनाओं से मार पाए । ऐसे सावरकर को यदि वायर जैसा पोर्टल गद्दार कहता है तो मुझे सिर्फ टुच्ची पत्रकारिता दिखती है । 1929 तक जिस कांग्रेस को ये नही स्पष्ट था कि उन्हें पूर्ण स्वराज्य चाहिए कि डोमिनियन । हर कानून पर धीमे से सहमति देने वाली कांग्रेस देशभक्त दल हो गया । अंग्रेजो के कानून को संविधान बनाकर पालन करने वाले महान हो गए । अंग्रेजो को मरवाने वाले उनसे उनके स्तर की राजनीति खेलने वाले सावरकर गद्दार हो गए ।
और अंग्रेजो कि हर नीति को देश मे लागु करने व करवाने वाले देश भक्त सेक्युलर । वायर सिर्फ इसलिए बोल पा रहा क्योंकि हम जैसे लोगो के पास लंबे2 लेख लिखने और तथ्य दिखाने का समय नही रह पाता ।

प्रगतिशील शुक्ल 18 57 की क्रांति में कितने हिंदू और कितने मुसलमान मिलकर लड़े और शहीद हुए उनकी सूची देख लें ...! इस Gadar के पश्चात अंग्रेजों ने छोटी-छोटी समस्याओं को समाधान करने की नीति आलमंड के वैकम सिस्टम सिद्धांत के आधार पर की थी .1905 के पश्चात डिवाइड एंड रूल को कारगर तरीके से लागू की गई . जिस प्रकार राष्ट्रीय कांग्रेस का शुरुआती दौर उदारवादी रहा 1921 के बाद आंदोलनकारी हो गया.... उसी प्रकार सेलुलर जेल के पूर्व सावरकर जी का अंग्रेजी सरकार विरोधी क्रांतिकारी कार्रवाई की गई थी और क्षमा याचिका द्वारा मुक्ति के पश्चात हिंदू एकता जिसका उद्देश्य मुसलमानों के खिलाफ था ना कि अंग्रेज सरकार के विरुद्ध..... 1940 के राष्ट्रीय कांग्रेस के रामगढ़ महाधिवेशन में सीएसपी ने एक दस्तावेज जारी कर सर्वप्रथम प्रस्ताव दिया कि द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सरकार औपनिवेशिक राज्यों में कमजोर हो चली है. इस समय आजादी के लिए सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत करना चाहिए इस प्रस्ताव से नाराज होकर अंग्रेजी हुकूमत सीएसपी पर पाबंदी लगा दी और इनके नेताओं को जेल भी यातना पूर्वक भोगना पड़ा. क्या श्रीमान विनायक दामोदर सावरकर द्वारा लिखित पुस्तक भारत के 6 शानदार युग की यह बात उचित लगती है कि "मुस्लिम महिलाओं के साथ बलात्कार करना उचित है और जब ऐसा अवसर हो और ऐसा नहीं किया जाता है तो वह सदाचारी या उदार नहीं बल्कि उसे कायरता माना जाएगा .".. (मुंबई स्थित स्वातंत्र्य वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक द्वारा उपलब्ध कराए गए ऑनलाइन संस्करण का अध्याय आठवां का हिस्सा देखें) भाई सच्चा देशभक्त राष्ट्रीय एकता और अखंडता आपसी भाईचारा को प्रधानता देता है उसके पश्चात धर्म हित या जाति हित की बात करना उचित रहेगा....!

Sunil Kumar Thakur 1857 की क्रान्ति में मुस्लिम क्रान्तिकारियो के योगदान की प्रशंसा सावरकर ने अपनी पुस्तक १८५७ का स्वाधीनता समर में खुल के करी है | अब मुस्लिमो ने योगदान भी तब देना स्वीकार किआ जब हिन्दू सिपाही और जनता ने मुगल बादशाह को भारत का नेता माना | इसी कारण से पंजाब के सिपाहियों ने साथ नहीं दिया और पहली हार इलाहाबाद के किले से होना शुरू हो गई जहा ४० सिखों ने दरवाजा नही खोला तो नही खोला | यदि मुगलिया हुकुमत वापस आने की उम्मीद न होती तो इतनी बड़ी संख्या में योगदान भी नही देते | न ही दिया आगे कही | आजाद हिन्द फ़ौज के सर्वोच्च कमांडरो में कईओ ने पाकिस्तानी सेना चुनी और एक जनाब ने न केवल पद चुना १९४८ के कबाइली हमले में भारत के विरुद्ध भाग भी लिया तो कैसे मान ले की नेता जी के साथ वो अखंड भारत के लिए लड़ाई लड़ रहे थे |
21 June 1940 को नेता जी वीर सावरकर से मिले और उन्होंने उन्हें रास बिहारी बोस का न केवल पत्र दिखाया उनसे जापान में मिलने को कहा | वायर जिस प्रकार से झूठ फैला रहा की वीर सावरकर निष्क्रिय थे और अंग्रेजो के लिए भर्ती करा रहे थे उस से स्पष्ट हो जाता है की वायर का मंशा सावरकर के वैचारिक विरोध के कारण है | वामपंथी या भिन्न विचारो के लेखको ने या तो पूर्ण शोध नहीं करी या करी और पूरी बात दिखाना उचित नहीं समझा | सावरकर कहते थे बन्दुक तो उठाओ संगीन किस तरफ मोड़नी है समय आने पर विवेक भी आजायेगा |
नेता जी को न केवल नेतृत्व दिलवाया फ़ौज के लिए अनुकूल सिपाही भी दिलवाए जिसका आभार उन्होंने Azad Hind Radio पर June 25, 1944 को इन शब्दों से व्यक्त किआ | "When due to misguided political whims and lack of vision, almost all the leaders of Congress party have been decrying all the soldiers in Indian Army as mercenaries, it is heartening to know that Veer Savarkar is fearlessly exhorting the youths of India to enlist in armed forces. These enlisted youths themselves provide us with trained men and soldiers for our Indian National Army."
हां वायर और उसके वैचारिक समर्थक नेता जी को झूठा बोल सकते है या इसका भी अनुवाद अपने हिसाब से कर सकते है | निश्चित तौर पर वीर सावरकर की पुस्तक "भारतीय इतिहास के ६ स्वर्णिम अध्याय" को या तो हिंदी में ही पढ़ लेते या अंग्रेजी का ट्यूशन ले लेते | मुझे बलात्कार शब्द मूल पुस्तक में नही मिला न ही रेप जैसा शब्द मिला मिले तो मैं उसी समय ऐसी घ्रणित बात फैलाने वाले व्यक्ति की घोर निंदा करू | और हिन्दू औरतो के बदले मुस्लिम औरते उठाने का कार्य वीर हरी सिंह नलवा ने स्वयं किआ था उसी बात को उन्होंने अपने शब्दों में कहा जिसे मुस्लिम लेखक पचा नही पाए |वीर हरी सिंह नलवा महराजा रणजीत सिंह के बेहेतरीन जनरल जिन्होंने कश्मीर आजाद करवाया ३०० साल बाद और भारत की सीमाए हजारा तक पहुचाई | प्रतिक्रिया क्या हुई, १ मुस्लिम औरत के बदले २ हिन्दू औरते छोड़ दी गई | अब कोई पढ़ता तो है नही इसलिए आप लोगो की टीम जो मन में आ रहा लिख रहे है | मैं वीर सावरकर के परिवार से होता तो अब तक कोर्ट केस डाल चूका होता | और तेल निकाल दिया होता इस प्रकार मन गढ़ंत अनुवाद करने का | सावरकर बलात्कार को बढ़ावा देते है | निकृष्टता की कोई सीमा नहीं |

हिन्दू मुस्लिम एकता अच्छी बात है | पर हिन्दुओ के स्वाभिमान से समझौता कर के नहीं | वीर सावरकर के एक सरल से ब्यान को इंगित करता हूँ "यदि आप हमारे साथ है तो आपके साथ, यदि आप हमारे साथ नही तो आपके बिना और यदि आप हमारे विरोध में है तो आपके विरोध को लेते हुए हम अपने पूर्ण स्वराज्य के लक्ष्य को पा कर रहेंगे |"
मुस्लिम लीग को समर्थन मिला इसी कारण बटवारा हो पाया | हिन्दू महासभा ने ४६ के चुनाव भी छोड़े ताकि कांग्रेस को सीटे मिले | ये क्यों नही बताते है आप लोग | मोपला में हुआ कत्लेआम उसी तुष्टिकरण निति का परिणाम था जिसमे खिलाफत आन्दोलन को गांधी जी ने स्वाधीनता आन्दोलन से जोड़ दिया | परिणाम खौफनाक | उसे वीर सावरकर अपने उपन्यास में लाते है आर्य समाज के पत्र सामने लाते है तो वो साम्प्रदायिक वाह | वीर शिवाजी के राज में कुछ हिन्दू मुस्लिम नही था | हिन्दुओ का ढाचा ही ऐसा नहीं वीर सावरकर भी उसी हिन्दू पद पादशाही की बात करते थे | जे एन यु में जिन्ना की तस्वीर का आप समर्थन करे भाजपा संघी उसपर राजनीत खेले | पर जिन्ना सिर्फ एक पियादा थे | १९३३ में एक पानी खोजने वाली कम्पनी को जब अरब में तेल मिला तो १९३६ में उसको दोनों देशो ने मिल कर निकालना आरंभ कर दिया | द्वतीय विश्वयुद्ध में इसकी महत्वता समझ आई | अंग्रेज अरब ईराक और इरान तक भारत की सीधी पहुच का अर्थ जानते थे इसलिए उन्हें बीच में पाकिस्तान जैसी बाधा खड़ी करनी थी | जिन्ना एक मोहरा मात्र थे | सावरकर ने राष्ट्र और धर्म दोनों की रक्षा के लिए जीवन पर्यन्त संघर्ष किआ | संघ को एक हिन्दू संघठन के बतौर वीर सावरकर ने कभी स्वीकारिता नहीं दी | इसलिए यहाँ कोई संघी न आ के स्पष्टिकरण देगा | हिन्दू इस समय अनाथ है इस देश में | आप प्रयास करे रोटी बेटी का सम्बन्ध रखे मुस्लिमो के साथ हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए | यदि ये कल्याणकारी प्रतीत होता तोमैं भी इसी मार्ग को अपनाता |

भाई साहब.... 18 57 की क्रांति में कितने हिंदू और कितने मुसलमान मिलकर लड़े और शहीद हुए उनकी सूची देख लें ...! इस Gadar के पश्चात अंग्रेजों ने छोटी-छोटी समस्याओं को समाधान करने की नीति आलमंड के वैकम सिस्टम सिद्धांत के आधार पर की थी .1905 के पश्चात डिवाइड एंड रूल को कारगर तरीके से लागू की गई . जिस प्रकार राष्ट्रीय कांग्रेस का शुरुआती दौर उदारवादी रहा 1921 के बाद आंदोलनकारी हो गया.... उसी प्रकार सेलुलर जेल के पूर्व सावरकर जी का अंग्रेजी सरकार विरोधी क्रांतिकारी कार्रवाई की गई थी और क्षमा याचिका द्वारा मुक्ति के पश्चात हिंदू एकता जिसका उद्देश्य मुसलमानों के खिलाफ था ना कि अंग्रेज सरकार के विरुद्ध..... 1940 के राष्ट्रीय कांग्रेस के रामगढ़ महाधिवेशन में सीएसपी ने एक दस्तावेज जारी कर सर्वप्रथम प्रस्ताव दिया कि द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सरकार औपनिवेशिक राज्यों में कमजोर हो चली है. इस समय आजादी के लिए सशस्त्र आंदोलन की शुरुआत करना चाहिए इस प्रस्ताव से नाराज होकर अंग्रेजी हुकूमत सीएसपी पर पाबंदी लगा दी और इनके नेताओं को जेल भी यातना पूर्वक भोगना पड़ा. क्या श्रीमान विनायक दामोदर सावरकर द्वारा लिखित पुस्तक भारत के 6 शानदार युग की यह बात उचित लगती है कि "मुस्लिम महिलाओं के साथ बलात्कार करना उचित है और जब ऐसा अवसर हो और ऐसा नहीं किया जाता है तो वह सदाचारी या उदार नहीं बल्कि उसे कायरता माना जाएगा .".. (मुंबई स्थित स्वातंत्र्य वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक द्वारा उपलब्ध कराए गए ऑनलाइन संस्करण का अध्याय आठवां का हिस्सा देखें) भाई सच्चा देशभक्त राष्ट्रीय एकता और अखंडता आपसी भाईचारा को प्रधानता देता है उसके पश्चात धर्म हित या जाति हित की बात करना उचित रहेगा....!
प्रगतिशील शुक्ल मैं भी धार्मिक हिंदू हूं . मेरा धर्म ग्रंथ किसी अन्य धर्म का अपमान करना नहीं सिखलाता है . क्या सम्मान देकर सम्मान पाने से बेहतर नफरत करके नफरत पाना है...? सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का अर्थ यह नहीं कि अपनी बेटी का संबंध स्थापित किया जाए . रोटी का संबंध इस देश की अर्थव्यवस्था और संस्कृति में मिश्रित है . धर्म धारण करने से सुख मिलता है दूसरे धर्म को नीचा दिखाने के नाम पर उन्मादी युद्ध किसी धर्म हित में नहीं होता . आप सावरकर को वीर मानते हैं क्योंकि वह देश के ऊपर धर्म हित को देखें.. मैं भगत सिंह को अपना आदर्श मानता हूं जो देश हित को सर्वोपरि रखें ........ काश कमीशन बनाने के वह पक्ष जिसमें मुस्लिमों सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार देने की बात थी . इसे जिन्ना ,नेहरू ,मौलाना आजाद, सरदार पटेल मान लिए होते तो आज भारत पाकिस्तान बांग्लादेश नहीं होता और अखंड भारत विकास के दम पर विश्व गुरु कहलाता ..... ! दो राष्ट्रवादी सिद्धांत का प्रतिपादक सावरकर के नफरत का बीज देश में वृक्ष की तरह जड़ जमा चुका है. अंग्रेजों की फूट डालो राज करो की नीति व्यापक और भयावह हो चुकी है . जिसे आज भी इस्तेमाल कर मुख्य मुद्दे से ध्यान हटाने हेतु राजनीतिक दलों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हो रहा है..
Sunil Kumar Thakur मेरे उत्तर के बाद का पहला उत्तर आपने दोहराया है संभव है भूलवश | प्रत्युत्तर लिख ही रहा हूँ तो पूर्व के उत्तर के मुख्य बिंदु डाल देता हु |
१.१८५७ में मुस्लिमो ने इसलिए साथ दिया क्यों की मुगल सल्तनत उन्हें वापस आने की उम्मीद लगी वरना सर के बल खड़े हो जाते साथ नही देते |
२. गांधी ने खिलाफत आन्दोलन को असहयोग से जोड़ने का प्रयास किआ परिणाम में हमें मोपला का हिन्दू नरसहांर मिला | सावरकर तब भी जेल ही काट रहे थे बचा न पायेंगे कांग्रेस को |
३. आजाद हिन्द फ़ौज के सर्वोच्च कमांडर ने पाकिस्तान चुना और कबाइली हमले में भारत के विरोध में नेतृत्व किआ | नाम नही खुलासा करना चाहता क्यों की मैं आजाद हिन्द फ़ौज के लिए लोगो के अच्छे विचार बने रहे ऐसी कामना है |
अब आगे के जवाब लिखता हूँ |

Sunil Kumar Thakur आप धार्मिक व्यक्ति है ये हर्ष का विषय है | अन्य लोगो की तुलना में आपने अध्यन तो किआ पर अभी और की आवयश्कता है, आपको भी और मुझे भी | धर्म वह जो सुख दे, यदि सुख नही प्राप्त हो रहा तो वो धर्म नहीं है | नफरत फैलाने से सुख नही मिलना इस पर मैं आपसे पूर्ण सहमत हूँ | पर धर्म विषय पर आपने यदि इतिहास में पढ़ा तो भारतीय परमम्पराओ से अवगत होंगे | आदि गुरु शंकराचार्य और मण्डन मिश्र के शास्त्रार्थ के बारे में आपने पढ़ा होगा | जो चीज़ जैसी है उसे वैसे ही कहना सत्य है, सत्य ही धर्म है | सिर्फ लोग मानते है और झगड़ा करेंगे इसलिए हम सत्य का परित्याग कर सकते | इस्लाम एक राजनैतिक विस्तारवादी विचारधारा है आप और हम इसके संस्थापक के कार्यो पर प्रश्न नही कर सकते वरना इसके मानने वाले लड़ने को अजाएंगे | हम इसके इतिहास पर भी प्रश्न नही कर सकते वरना समझाने वाले आजायेंगे की औरंगजेब तो बेचारा टोपी सिल के गुज़ारा करता था | भारतीय परम्परा ६ दर्शनों की है और उसके बाद उसकी अद्भुद्ता जो षडदर्शन समन्वय ऋषि समझाते है | हम चाहे तो भी सांप्रदायिक नही हो सकते | मुस्लिम लीग के ९ साल बाद और कांग्रेस के ३० साल बाद हिन्दू महासभा बनी | आवयश्कता अविष्कार की जननी है | सावरकर का नाम लोगो सोच से कही बड़ा है महासभा से और भी बड़े नाम जुड़े है जिनके कार्यो को और नाम को लोग नहीं जानते हां वायर की तरह कुछ मनगढंत अनुवाद कर के कुछ भी निकाल दे बात अलग है | राजा महेंद्र प्रताप जैसे देश भक्त, कालापानी झेलने वाले मातिदास के वंशज भाई परमानन्द, गांधी से कही बड़ा कद रखने वाले स्वामी श्रधानंद, लाला लाजपत राय जिन्हें (तिलक के बाद कांग्रेस का अध्यक्ष होना था), हमें वैदिक गणित के १६ सूत्र इतनी सरलता से उपलब्ध करने वाले भरत तीर्थ शकाराचार्य जी आदि सब हिन्दू महासभा के अध्यक्ष रहे या महत्वपूर्ण पदों पर रहे | आप लोग जब बड़ी चालाकी से सावरकर या महासभा पर आरोप लगते है तो आप इनपर भी आरोप लगाते है | वही दूसरी और अंग्रेजो से अपने लिए वक्फ एक्ट और मुस्लिम पर्सनल ला जैसे कानून बनवाने वाले दूध के धुले दीखते है |
बैल के कोल्हू की जगह वर्षो तेल पेरने वाले सावरकर को पागल कुत्ते ने काटा था की मुस्लिमो से नफरत करने लगे | मुझे तो नही दिखा कही भी वे नफरत करते थे उन्होंने वो दिखाया जो सच्चाई थी | स्वामी श्रधानंद की हत्या के बाद ५४ और हत्याए हुई आर्य समाजी नेताओ की | महाशय राजपाल की हत्या हो या स्वामी श्रधानंद की हत्या करने वाला अब्दुल रशीद गांधी ने इनको बचाने की पूरी कोशिश करी | सावरकर ने इस देश के शुद्ध स्वरुप को प्रस्तुत किआ | जिसके बाद समस्याए नही रहनी थी हिन्दू मुस्लिम नही होना था | मिशनरी का कनवर्शन नही होना था | शुद्ध सहस्तित्व वाला समाज जहा शास्त्रार्थ कर के अपने संप्रदाय को आप बढ़ा सकते है स्थापित कर सकते है गुंडागर्दी और आबादी के बल पर नही | और आप चाहे न चाहे समस्याओ का समाधान उसी हिन्दू राष्ट्र में होगा जहा सम्प्रद्यिकता और तुष्टिकरं पर अंकुश होगा |

प्रगतिशील शुक्ल राष्ट्र और धर्म दोनों एक ही सिक्के के दो पहलु है | दोनों ही शब्द वेद से आये है | संघ और भाजपा ने तो राष्ट्रवाद का मजाक बना दिया है अतः मेरे शब्दों को भाजपा या संघियो के शब्दों से मत मिलाइयेगा | अथर्वेद के गौ पृथ्वी सूक्त हमें जिस राष्ट्र के निर्माण को प्रेरित करते है, जो ऋषियों का भारत अपनी वैचारिक स्वतंत्रता के कारण हमें एक सत्य को अलग२ प्रकार से देखने योग्य ज्ञान दे पाया उस राष्ट्र में रहना और बचाए रखना ही धर्म है | भारत में मुस्लिम अपनी वृद्धि दर के अनुसार २०६० में ५० प्रतिशत हो जायेंगे और उसके बाद हिन्दू अल्पसंख्यक होता जाएगा | भाजपाई संघी तब तक सत्ता के मजे कर के निकल चुके होंगे | दलित खुल के इसाई नाम संभव है रखने लग जाए और उन्हें हमारे इष्ट देव की मूर्तियों पर थूकने और जूता मारने के लिए छद्दम हिन्दू बने रहने की आवयश्कता शायद तब तक न पड़े (जैसा की हम हाल में हनुमान जी के चित्र और श्री राम के चित्र के साथ देख चुके है) | तो ऐसी परिस्तिथि में जहा मुझे मेरा मत मानने के स्वतंत्रता न हो मैं नही रहूँगा | बिना वेद प्रतिपादित धर्म के भारत भूमि एक भौगौलिक क्षेत्र मात्र है | इसके आदर्श इसलिए आदर्श है क्यों की उन्होंने वेदानुसार जीवन जिया उच्च कोटि के दर्शन का पालन किआ | आप भगत सिंह को आदर्श मानते है इसमें कोई बुराई नही | देश का ताना बाना आर्थिक रूप से जुड़ा हुआ है और मुस्लिम हमारी व्यवस्था का अंग है जिन्हें मैं भी गले से लगाता हूँ | मेरी समस्या उनके दावाह, तकिया, शरिया, दारुल इस्लाम के ध्येय के शुरू होते ही शुरू होती है | सह अस्तित्व उनकी विचारधारा में नही है न लिखित में न इतिहास में ऐसे में बीच का रास्ता चुप रह कर इतिहास को छुपा कर सत्य को दबा कर निकाला जाए ये अधर्म है | ऐसे में मैं सावरकर को आदर्श मानता हूँ | आप अपने संप्रदाय को मानिए पर आप हमे भी गलत न कहे यदि आप इतना कहते है की अल्लाह ईश्वर है हमें समस्या नही पर जब आप आगे कहते है अल्लाह के सिवा और कोई ईश्वर नही आप हमे हमारी आस्था को झूठा कह रहे होते है ये हमें स्वीकार नहीं | हम यदि आपको रोकेंगे नहीं तो मन माने तरीके से विस्तारित भी होने नही दे सकते क्यों की हमारे अल्पसंख्यक होंते ही हम समाप्त हो जाएँगे | यहाँ भाजपा की जो सोशल मिडिया जो फैला रही वो सिर्फ सत्ता के लिए, उन्हें हिंदुत्व या सावरकर की विचारधारा से कोई लेना देना नहीं | भाजपा देश में आर्थिक लूट में लगी हुई है और कांग्रेस की नीतिया ही आगे ले जा रही है | हिन्दू मुस्लिम हर चीज में मुझे स्वयं में नही पसंद पर आजादी से पहले और बाद में बराबर यातना सहने वाले देश भक्त पर झूठे आरोप लगाए जाए और दोषियों को देश द्रोहियों को बचाया जाए यह मुझे स्वीकार नहीं |आपका उत्तर विलम्भ से देखा मैं कुछ अन्य स्थान पर पढने लगा था | मनुष्य हम सब सर्वप्रथम है, मनुर्भव ये भी वेद का सन्देश है | सावरकर ने माफ़ी मांगी तो अंग्रेजो ने मांफ नही कर दिया ? १९१३ में पत्र लिखा और १९३७ में पुर्णतः स्वतंत्र किआ | और इतनी हत्याए करवाने के बाद अंग्रेज आपको जाने देंगे इतने गोरे मरवाने के बाद मैं सावरकर से अधिक बार माफ़ी मांग सकता हूँ | इतने नामो में ऐसे नाम नही जिन्होंने अंग्रेजो को मरवाया हो और बच के निकल गए हो |
वो अंग्रेज जो फ़ासी देने से पहले कितनी बुरी तरह यातना देते थे | पंडित राम प्रसाद बिस्मिल का शरीर इसका प्रमाण है | मास्टर दा सूर्यसेन और तो और भगत सिंह और उनके साथियो को भी बुरी तरह क़त्ल किआ गया था | वाइस ऑफ़ इंडिया के सीता राम गोएल का नाम सुना होगा आपने १९४० तक कम्युनिस्ट थे | लोग वैचारिक तौर पर प्रगतिशीलता लाते है आगे बढ़ते है | भगत सिंह जीवित होते तो वो भी ये समझ पाते | सिर्फ ३.५ प्रतिशत के लिए बड़ा भूभाग दे दिया गया | रेड क्लिफ लाइन सिर्फ नाटक थी | इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट की पहली लाइन ही यही है "India and Pakistan Shall be two dominions"इसके अतिरिक्त रजवाड़े अलग होना चाहे तो स्वतंत्र है क्यों की अंग्रेजो को मलाल या उन्हें गलतफहमी की उन्होंने देश को एक किआ जब की सच ये है की मराठो ने देश को एक किआ था वैसे ही जैसे मगध साम्राज्य को आचार्य चाणक्य ने |
सावरकर ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें अंग्रेज फ़ासी पर टांगना चाहते थे पर एक्सट्रैशन के कारण टांग नही सकते थे | अंडमान सिर्फ प्रयास था यातना देने का जैसे अनेको को वहा मारा ले जा के | सावरकर ने जो सोचा वैसा ही किआ १९०७ में वो गदर फिर से मचाने की सोच रहे थे १९४४ में उन्हें अवसर मिला |
यदि वे अंग्रेजो से स्नेह रखते तो भगत सिंह को अपनी ही पुस्तक के प्रकाशन के अधिकार न देते | और भगत सिंह कोई चोर न थे की बिना अनुमति उनकी पुस्तक छाप लेते | भगत सिंह की फ़ासी के दुसरे दिन ही उनपर कविता लिखी और पढ़ी गई | वो कविता ही सावरकर को नजरबंदी से वापस काल कोठारी में डालने के लिए पर्याप्त थी |
क्या वीर सावरकर ने मुस्लिमो को मरवाया ?क्या उन्होंने मुसलमानों को बाहर करने की बात कही ? कोई भी कहेगा तो ये अवय्वारिक होगा | मुस्लिम हमारे ताने बाने में बसे है साथ मिलकर रहना सीखना होगा ये बात हम सब जानते है | पर हमें अपने गौरव सम्मान और अस्तित्व को भी बनाये रखना है | बंगाल में ही नही सोचे यदि भारत विभाजन न होता तो पुरे देश में सरकारे कैसे चलती ? हिन्दू मुस्लिम सरकार ऐसे ही चला पाते बारी बारी शासन कर के | विरोध पर भी समस्या और साथ मिलकर चलने पर भी समस्या ये तो अनावश्यक का विरोध और पूर्वाग्रह हुआ | सावरकर रुके नही कार्य करते रहे | ब्रिटिश फ़ौज में जो लड़के भर्ती किए उनमे सब नेता जी को नही मिल गए १९४६ के नेवी और एयर फ़ोर्स हडताल में भी उसी विचारधारा का योगदान था | हाला की उस हडताल में मुस्लिम लीग का समर्थन करने वाले अधिकारियो ने भी योगदान दिया था | कांग्रेस ने उस हडताल की निंदा करी थी गांधी जी ने विशेष कर | वही हडताल थी जिस कारण अंग्रेजो को डोमिनियन दे कर भागने की जल्दी थी | कांग्रेस की स्थापना कांग्रेस में गांधी जैसा व्यक्ति बैठना संसद बनवाना और अपनी व्यवस्था स्थापित करना फिर अपना राज देकर निकल लेना | अंग्रेजो ने जो सोचा वो कर दिखाया | सावरकर की कल्पना पूर्ण स्वदेशी थी आर्थिक ही नही राजनितिक भी | पर वो तो संघर्ष ही करते रहे बाद में गोवा के लिए प्रयास रहे १९५७ में नेहरु कहते है हम सेना नहीं भेजेंगे और बाद में सेना भेज कर ही पुर्तगाली भागे | सावरकर के चरित्र मंशा और साहस में मुझे कही भी दोष दीखता तो मैं इतना समय न दे रहा होता | समीक्षा आलोचना में किसी को नही छोड़ना चाहिए | शुभ रात्री नमस्ते

प्रगतिशील शुक्ल 1911 में सावरकर को उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए अंडमान के कुख्यात सेलुलर जेल अपनी 50 वर्षों की सजा काटने के लिए रखा गया 1913 में और 1921 में मुख्य भूमि में स्थानांतरित किया गया . अपनी सजा के कुछ महीने के भीतर इन्होंने जल्दी रिहा करने की याचिका लगाई थी.1924 में इनकी याचिका जिसकी मुख्य पंक्ति है .."मुझे छोड़ दे तो मैं भारत की आजादी छोड़ दूंगा और उपनिवेशी सरकार के प्रति वफादार रहूंगा" ..... वास्तव में वर्ष 1924 में अंडमान से निकलने के बाद उन्होंने अंग्रेजों से किया वादा निभाया और स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहकर फूट पैदा करने वाली हिंदू-मुस्लिम नफरत के सिद्धांत को जन्म देकर अंग्रेजों को मदद की जो कि मुस्लिम लीग के दो राष्ट्र सिद्धांत का दूसरा पार्ट था...
मेरा मानना है सावरकर जी के जीवन का प्रथम पाठ सेलुलर जेल से याचिका के पहले को मैं नमन करता हूं और इनके जीवन की दूसरी पार्ट जिसमें हिंदू मुस्लिम फूट के सिद्धांत को बढ़ाते हुए बलिदानी क्रांतिकारियों के चेहरे पर कालिख पोतने का काम किया उससे घृणा करता हूं....!! इतिहास पढ़ने बाले सभी जानते हैं दिल्ली में भगत सिंह पर अंग्रेजी अदालत में असेंबली में बम फेंकने का मुकदमा चला तो भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त के खिलाफ शोभा सिंह ने गवाही दी थी ... दूसरा गवाह था शादीलाल दोनों गद्दार को ब्रिटिश सरकार द्वारा इनाम के साथ सर की उपाधि दी गई .शोभा सिंह को दिल्ली में बेशुमार दौलत और करोड़ों की सरकारी निर्माण कार्य का ठेका अंग्रेजों ने दिया .आज भी कनॉट प्लेस में सर शोभा सिंह स्कूल में कतार लगती है . दूसरा गद्दार शादी लाल के वंशजों के पास श्यामली में चीनी मिल और शराब कारखाना है. गद्दार शोभा सिंह के पुत्र खुशवंत सिंह संघी मुखपत्र पांचजन्य से पत्रकारिता शुरू की. तीसरा गद्दार गवाह दीवानचंद फोगाट था यह DLF कंपनी का फाउंडर बना .इसने अपनी पहली कॉलोनी रोहतक में बनाई .जीवनलाल जो मशहूर एटलस कंपनी का मालिक था .इन्हीं चारों की गवाही के कारण 14 फरवरी 1931 को भगत सिंह व उनके सहयोगियों को फांसी की सजा सुनाई गई . क्रांतिकारी योद्धा - देशभक्त ...हिंदू-मुस्लिम करने वाले लोगों को टोडा कह कर पुकारते थे... गांधी हत्या केस में दिगंबर बागड़े के बयान से यह साफ हो चुका था कि गांधी हत्या की योजना का क्रियान्वयन सावरकर के सानिध्य में हुआ . लेकिन उनके खिलाफ कोई स्वतंत्र साक्ष्य नहीं मिला लिहाजा वह बरी हो गए . इसके बाद सावरकर ने खुद न्यायाधीश कपूर आयोग के सामने स्वीकार किया था कि वह गांधी वध में शामिल थे . हालांकि यह रिपोर्ट 1969 में सार्वजनिक हुई .जबकि इससे पहले 1966 में सावरकर की मृत्यु हो चुकी थी. जिस प्रकार महाभारत में भीष्म को मारने के लिए शिखंडी का इस्तेमाल किया गया था और कलयुग में गांधी वध के लिए सावरकर ने नाथूराम का किया...! यह मुद्दा जानबूझकर चुनाव के पहले इसलिए खड़ा किया जा रहा है ताकि आम भारतीयों का ध्यान नोटबंदी की असफलता ,बैंकों की लूट ,घोटाला ,भ्रष्टाचार, अशिक्षा ,किसानों की दुर्दशा ,बेरोजगारी महंगाई आदि समस्याओं से आम लोगों का ध्यान हटाया जा सके...!

Sunil Kumar Thakur वीर विनायक दामोदर सावरकर ने अपने जीवन में अनेको अंग्रेजो की हत्याए करवाई | और अंग्रेजो की नाक के नीचे से सीधे निकल गए | मदन लाल ढींगरा द्वारा भरी सभा में १९०९ में कर्जन वायली की हत्या जहा सावरकर भी उपस्तिथ थे एक अदम्य साहसिक उदाहरण है | महाराष्ट्र की सडको पर आये दिन अंग्रेज अधिकारी मारे जा रहे थे | संदूक में डबल पेंदी लगा कर या किताबो के अन्दर बंदूके छुपा कर भारत निरंतर भेजी जा रही थी | काश ऐसी सुविधा hra को मिली होती तो जेर्मनी से छोटी सी हथियारों की खेप के लिए काकोरी काण्ड न करना पड़ता | अंग्रेजो ने सावरकर को इंग्लैंड गिरफ्तार तो किआ भारत हथियार भेजने और लडको को गुरिला ट्रेंनिंग देने के लिए आरोप में पर ये अंग्रेजो के मन के आरोप नहीं थे | नासिक जिले के कलेक्टर जैक्सन की हत्या के साजिश के लिए अप्रैल १९११ को सावरकर को कालापानी भेज दिया गया | फ़ासी पर क्यों नही टांग सकते थे पूर्व बता चूका हु | उन्हें २ उम्र कैद हुई एक के बाद एक जो अपने आप में अनोखी सजा थी | सावकार को D यानी Dangerous लिस्ट किआ गया | १९१३ में सावरकर ने माफीनामा दिया जिसका कोई मतलब नहीं है | क्यों की सावरकर सरल शब्दों में सिर्फ ये कह रहे जैसे कांग्रेस लड़ रही वैसे लड़ेंगे हथियार नही उठाएंगे | कांग्रेस अंग्रेजो की व्यवस्था का कार्यान्वन ही कर रही थी और प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजो के लिए मरने के लिए भारतीय सिपाहियों की सहमती भी दी थी जी हां हिन्दू मुस्लिम एकता की बात करने वाली और हिन्दुओ का खून चूसने वाली कांग्रेस | वैसे बात सिर्फ सावरकर तक रहती तो भी था पटेल और तिलक ने भी सावरकर को रिहा करने के लिए और आपके मन के शब्दों में माफ़ करने के लिए १९२० में अंग्रेजो को पत्र लिखे | जुलाई १९११ से मई १९२१ तक सावरकर अंडमान की जेल में रहे | यानी १० साल की कठोर कारावास, जिस पर आप लोगो के दिल को ठंडक नही मिलती क्यों की उनका दर्शन तुष्टिकरण की घटिया राजनीत को समाप्त करता है | फिर ३ साल भारत में जेल में रहे ये हुए कुल १३ साल | सावरकर ने इस दौर में दलितों के लिए बहुत कार्य किआ जब की उसी समय डा. आंबेडकर अंग्रेजो से आर्थिक सहायता लेते थे और दलितों को अंग्रेजो के विरुद्ध लड़ाई से दूर रखा | मोपला और गोमान्तक जैसे उपन्यास कांग्रेस को नंगा करने वाले उपन्यास लिखे | हिन्दू मुस्लिम एकता के ढोंग के नाम पर अंग्रेजो की निति का कार्यन्वन और हिन्दुओ के अधिकारों का अतिक्रमण ही कांग्रेस कर रही थी |
ये आपकी वैचारिक गुंडागर्दी है | इस अनुसार हिन्दू महासभा से जुड़े सभी महान व्यक्तित्व क्रान्तिकारियो के मुख पर कालिख पोतते रहे और क्रान्तिकारियो को सिधे२ मरवाने वाली कांग्रेस देश भक्त और सेक्युलर दल हुआ | दर असल हिन्दू मुस्लिम की आढ़ में हिन्दुओ का दमन कि आ जा रहा था जिसे लोगो ने जब समझा कांग्रेस छोड़ दी | लाला लाजपत राय जैसे महान देशभक्त उनमे से एक थे | अब उनकी आलोचना की झूठी कहानी मत गढ़ीयेगा क्यों की भगत सिंह को फ़ासी उनकी मौत का बदला लेने के लिये हुई थी | और वही लाहोर स्टेशन पर डा. अम्बेडकर गए थे साइमन को लेने आप लोगो के मु में दही जम जाता है जब डा.आंबेडकर की भूमिका और अंग्रेजो से सम्बन्ध पर प्रश्न करते है | ये पत्रकारिता नहीं ये बिकाऊ कलम हुई | परमानन्द भी ५ साल कालापानी झेलने के बाद हिन्दू महासभा से जुड़े | हिन्दू महासभा कांग्रेस के दोगले रवैये के कारण बनी | अब सावरकर पर अनर्गल बोलने वाले बताएँगे सावरकर ने किस क्रांतिकारी का नाम बता कर स्वयं को बचाया या उसे फ़ासी पर चढवा दिया ? भगत सिंह के केस में फणीश्वर नाथ घोस सरकारी गवाह बना था जिसे बैकुंठ शुक्ल नाम के खूंखार क्रांतिकारी ने गोली मार दी थी और फ़ासी पर चढ़ गये थे १९३३ में | मुसलमानों के साथ मुस्लिम राज्य जैसा कोई विकल्प तो निकालना ही पड़ता अलग देश बनाना सर दर्द साबित हुआ और अगर बना भी था तो पूरी आबादी को भेजना था | हर प्रकार से हिन्दुओ का नुक्सान किआ गया | लाहोर जीतने में कितना समय लगा था और एक बार में ही चला गया | जिस देश ने १९०५ के बंगाल विभाजन को स्वीकार नहीं किआ उसने बटवार कैसे कर लिया ? गांधी ने बटवारा रोकने के लिए अनशन क्यों न की और गांधी मर क्यों न गए IRA के कितने क्रांतिकारी ७२ से ७५ दिन के भीतर भूख हडताल से मरे | स्पष्ट है गांधी और नेहरु अंग्रेजो के पियादे थे | गांधी को तो १९२२ में ही कठोर दंड दिया जाना था जब उन्होंने पुरे देश का आन्दोलन वापस ले लिया ये साफ़ था की गांधी अंग्रेजो से मिले हुए है और बेनेट और कोलमैन जैसी कम्पनी टाइम्स आफ इंडिया के नाम से गांधी को कांग्रेस का नेता बनाए हुए है | भगत सिंह के संगठन में कितने मुस्लिम थे असफाक उल्ला खा को पंडित राम प्रसाद लाए थे जो कट्टर आर्य समाजी थे | सावरकर ने पत्र लिखा और हिंदुत्व की बात करी इसलिए आप उनसे घृणा करते है पर ये आपकी मानसिक अपंगता है या इतिहास और राजनैतिक ज्ञान का अभाव जिस कारण से आप ये नहीं देख पा रहे की कांग्रेस अंग्रेजो की बनाई अंग्रेजो के लिए काले अंग्रेजो द्वारा चलाई जाने वाली संस्था थी | हिन्दू मह्सभा शुद्ध स्वदेशी दल था | बिना मुसलमानों के समर्थन के पाकिस्तान नही बन सकता था | जिन्हें यहा सुविधा मिली और कोई खतरा नही हुआ उन्होंने अपना क्षेत्र छोड़ कर जाना नही उचित समझा और यही आबादी बढाना सही समझा |
प्रगतिशील शुक्ल लाला लाजपत राय .... बाल पाल लाल को सत सत नमन .1905 में बंगाल विभाजन के समय भारतीय राजनीति में गांधी जी नहीं थे जो अनशन करते . जतिन दास की सबसे बड़ी अनशन द्वारा शहीद होने पर हम देशवासियों को गर्व है. ऐसे शहीद क्रांतिकारियों को शत-शत नमन...! पुनः कहता हूं 1924 के पूर्व के सावरकर को नमन बाद के सावरकर से दूरी ही दूरी और आप भी आ गए ना असली चेहरे के साथ अंतिम पंक्ति में यहां आबादी बढ़ाना सही समझा .... कौन से हिंदू धर्म ग्रंथ में दूसरे धर्मों को मिटाने या अपमानित करने की बात है जरा बताइए ...? हिंदू को हिंदू धर्म ग्रंथों के आधार पर ले जाने वाले सच्चे पथ प्रदर्शक होते हैं .. हिंदुत्व के नाम पर सत्ता की लड़ाई हैं धर्म का रास्ता यह नहीं क्योंकि....देशभक्तो के 15 सवाल से RSS के पसीने क्यों छूटने लगते है... अल्प सामाजिक कार्य के मुखोटे के पीछे नफरत की खूनी लड़ाई में क्यों यकीन रखती है...? 
(1) आरएसएस ने आज़ादी की लड़ाई क्यों नहीं लड़ी ...?
(2) आरएसएस हिन्दू हित की बात करता है और उसकी वेशभूषा विदेशी क्यों है....?
(3) सुभाषचन्द्र बोस आज़ाद हिन्द सेना का गठन कर रहे थे, तब संघ ने हिंद सेना में शामिल होने से हिन्दू युवकों को रोककर अंग्रेजी सेना मे शामिल किसलिए किया..?
(4) संघ के वीर सावरकर अंग्रेजों को 21 माफ़ीनामे देकर जेल से क्यों छूटे, जबकि 436 लोग और थे सेलुलर जेल में.... सिर्फ इन्होंने ही क्यों माफ़ीनामे लिखे? ऐसी क्या विपदा आ गई थी... ..?
(5) आरएसएस के पहले 1925 में प्रथम अधिवेशन मेंं द्विराष्ट्र सिद्धान्त --हिन्दू राष्ट्र और मुस्लिम राष्ट्र का प्रस्ताव क्यों पारित किया गया, जबकि संघ अखंड भारत की बात करता है।
(6) 1942 में असहयोग आंदोलन का संघ ने बहिष्कार क्यों किया? संघ ने इससे सम्बन्धित पत्र ब्रिटिश गवर्नमेंट को क्यों लिखा? अगर ये पत्र न लिखते तो देश 1942 में आज़ाद हो जाता.....!
(7) गांधी जी की हत्या के प्रयास संघ आज़ादी के पूर्व से कर रहा था, क्यों ? गांधी जी पर आज़ादी के पूर्व 5 बार संघियों ने हमले किये, क्यों...?
(8) संघ प्रमुख केशव बलिराम हेडगांवकर ने कहा था कि ऐसे हिंदुओ को अपनी ताकत का उपयोग अंगेजों के खिलाफ न करते हुए देश में मुस्लिम, क्रिश्चियन और दलितों के खिलाफ करना चाहिए, ऐसा क्यों ...?
(9) कहते हैं कि दो धार्मिक शक्तियाँ एक-दूसरे के खिलाफ काम करती हैं तो देश टूटने की कगार पर होता है। संघ और मुस्लिम लीग एक दूसरे के विपरीत थीं, इस कारण देश टूटा। संघ तो अखंड भारत की बात करता है, फिर ऐसा क्यों हुआ..... ?
(10) आरएसएस हिन्दू हित की बात करती है 1925 से 1947 के बीच ईसाई धर्मान्तरण के खिलाफ कोई आंदोलन क्यों नही चलाया ?
(11) 15 अगस्त, 1947 को जब देश आजाद हुआ तब संघ के लोग राष्ट्रध्वज तिरंगे को पैरों तले कुचल रहे थे, तिरंगे को जला रहे थे, क्यों ?
(12) संघ के स्वयंसेवक अटल बिहारी वाजपेयी ने क्रान्तिकारी लीलाधर वाजपेयी के खिलाफ क्यों गवाही दी? जिससे उन्हें 2 वर्ष का कारावास हुआ...!
(13) पिछड़े , दलित, आदिवासी भी हिन्दू हेैं, तो नासिक के काला राम मंदिर में प्रवेश मुद्दे पर डॉ अम्बेडकर ने जो आन्दोलन किया था, उसका विरोध क्यों किया ?
(14) संघ द्वारा हिन्दू समाज के हित में किया गया कोई एक कार्य बतायें, जिससे हिन्दू समाज के निम्नवर्ग का तबका लाभान्वित हुआ हो....
(15) संघ के लोग अपने आप को राष्ट्रवादी समझते हैं। इन्होंने 1925 से 1947 के बीच वन्देमातरम् का नारा क्यों नहीं लगाया? अंग्रेजों का इतना डर था क्या.....?

मुख्य बिन्दुओ पर आते है 
१. सावरकर को कायर साबित करने के लिए ये साबित करना होगा की उन्हें किस प्रकार की सुविधा अंग्रेजो से मिली १० साल की काला पानी ३ साल की जेल ११ साल की नजरबंदी | 
२. वही सावरकर कांग्रेस का चयन करते तो महान थे | गांधी इरविन पैक्ट पर ब
िना शर्त हस्ताक्षर करने वाले गांधी महात्मा हुए जब पूरा देश भगत सिंह की फ़ासी रुकवाने पर लगा था |
३. क्या गांधी के रहते आपरेशन पोलो सम्भव था ? क्या गांधी हत्या के पूर्व पाकिस्तान जा के भूख हड़ताल नही करने वाले थे ?
४. क्या गांधी ने तुष्टिकरण नही किआ ? क्या गांधी राजनितिक बोझ नही थे ? क्या गांधी के कारण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ढीला नही पड़ गया ?
५. हिन्दू-मुस्लिम एकता कैसे संभव है जब इस्लाम के अनुसार आप काफ़िर यानि नाशुक्रे है | आप नर्क की आग में जलेंगे क्यों की आप अल्लाह और उसके रसूल को नही मानते और अपने भगवान को मानते है ? जब मुस्लिम ५ बार चिल्ल२ कर कहते है की अल्लाह के सिवा और कोई खुदा नहीं और मोहम्मद के सिवा कोई रसूल नही तो आप क्यों नही मानते इस बात को ? ये कैसी हिन्दू मुस्लिम एकता है जो आप उनसे विरोध रखटे है |
६. कांग्रेस को अधिक सीट मिले और बटवारा किसी तरह रुक जाए इसलिए हिन्दू महासभा ने चुनाव में कांग्रेस को समर्थन दिया | इसके बावजूद मुस्लिम लीग पंजाब में बहुमत से जीती |
दर असल आप लोग गद्दार है जो अपने समाज के हित को न सोचते हुए एक ढोंग की असंभव विचारधारा को जबरदस्ती दुसरो पर थोप रहे है |अंग्रेजो के डोमिनियन को लाने वाले देश भक्त हो गए और उनसे लड़ने वाले गद्दार |
यदि हिन्दू मुस्लिम एका चाहिए तो या तो दोनों अलग रहे या दोनों पक्ष नास्तिक हो जाए | विपरीत विचारधारा एक नही हो सकती | भाजपा कांग्रेस का ही वर्शन है सिर्फ टाइम पास कर के हिन्दुओ को लूट रही |

Sunil Kumar Thakur मेरे लिए संघ संदेहास्पद संघठन है जिसका हिंदुत्व से कोई लेना देना नहीं | और सावकार भी यही मानते थे | गौ मांस खाने वाले विवेकानंद को आदर्श बताने वाले संघ की मैंने कई लेखो में धज्जिया उड़ाई है |छद्म पंथ निरपेक्षता और छद्म राष्ट्रवाद की विचारधारा से मिलकर लूट मचाई हुई है | मैं सावरकर के पक्ष को लेकर यहाँ लिख रहा हूँ और समय दे रहा हूँ तो निश्चित तौर पर मेरे लिए हिन्दू अस्तित्व महत्वपूर्ण है | मैं इस्लामिक भारत में रहना नहीं पसंद करूँगा | शिवा जी महाराज में जो पंथ निरपेक्षता थी मुझे वो प्रिय है कांग्रेस की पंथ निरपेक्षता नहीं | लाला लाजपत राय ने १९२३ में अलग मुस्लिम राज्य का विचार रखा था ये सब वही सुझाव थे जो देश को विभाजन से बचा सकते थे | यद्दपि आवयश्कता उतनी भी नही थी १३.८ प्रतिशत मुस्लिमानो में ३.५ प्रतिशत के लिए पाकिस्तान बनाने वाली कांग्रेस थी हिन्दू महासभा प्रतिक्रिया में खड़ी हुई थी सुरक्षा के भाव से | राजा महेंद्र प्रताप उसके फाउन्डिंग फादर सूफी अम्बा प्रसाद रहे | आप न सावरकर को पहले समझ पायेंगे न बाद में | सावरकार जैसा व्यक्ति बाहर कैसे आगया ये समस्या है | क्यों है ये पता नही सावरकर ने जिन्ना की तरह दंगे कराये हो या डाइरेक्ट एक्शन डे मनाया हो तो समझ आता है |उन्होंने माफ़ी मांगी थी जी जान से मरवाने के बाद माफ़ी मांगने का क्या मतलब है अंग्रेजो को तो मारा | गांधी ने १९२२ जो देश का अहित किआ उसके लिए क्या दंड दिया जाना चाहिए गांधी को ? १९४२ में जो १३ -१४ साल के बच्चे मारे गये थानों में झंडा फिराने में उनके लिए कैसे दोषी न माना जाए कांग्रेस को ?
और हां जतिन दा भूख हडताल में भूखे रहने से नही मरे | भूख हडताल के दौरान जबरन नाक से दूध डाले जाने पर दूध फेफडो में चला गया था इसलिए उनकी मृत्यु हुई | उन्हें नमन | भगत सिंह की फ़ासी के बाद फिर वही रवैया था इस बार एक पाण्डेय जी ने हडताल करी थी | वे तो लम्बे संघर्ष में अंग्रेजो से जीत गए पर उनकी पत्नी अपने घर में स्वामी भक्ति में भूखे रह रही थी उनकी मृत्यु हो गई थी | आजादी लड़ाई से मिलती है जब बहुत आवयश्कता हो तब ही भूख हडताल जैसे प्रयोग करने होते है | आजादी की लड़ाई को दुनिया के सामने मजाक बना के रख दिया कांग्रेस और गांधी के प्रयोगों ने |
 Sunil Kumar Thakur भाई साहब २३ मार्च १९३१ को हुई फांसी के बाद २५ मार्च १९३१ को गणेश शंकर विद्यार्थी की हत्या मुस्लिमो ने की कानपुर के बंगाली मोहल के क्षेत्र में एक मस्जिद के पास वो भी हिन्दू मुस्लिम एकता की बाते बहुत करते थे | ब्रिटिश सी.आई.डी ने मुस्लिमो का प्रयोग किआ कह सकते है | अंग्रेज दुश्मन थे तो उनसे लड़ना छोड़ नही दिया नेता जी के बयान का प्रमाण दिया है |

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