Friday, 13 April 2018

राष्ट्रीय एकता के लिए आरक्षण..............

आरक्षण संक्षिप्त परिचयआरक्षण यानी अनुसूचित जाती/जनजाति के लोगो के लिए सरकारी नौकरियों में सुरक्षित स्थान | कम अंक ला के भी आप उस पद के योग्य है और कही अधिक अंक लाने वाला भी ठोकरे खाए या पकौड़े तले | २२.५ प्रतिशत सीट अनुसूचित जाती एवं जातियों के लिए जिसमे १५ % अनुसूचित जाती और ७.५% अनुसूचित जन जाती के लिए | २७ प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग जिसे ओ.बी.सी कहा जाता है उसके लिए आरक्षित सीटे है | जिसे १९९२ में लाया गया मंडल कमिशन की सिफारिशों पर, आरक्षण और राम मंदिर आन्दोलन की आढ़ में भारत में आर्थिक लूट शुरू की गई LPG(Liberalization, Privatization, Globalization) जिसका ध्यान उस समय तो राजीव दीक्षित जैसे क्रांतिकारियों का ही जा पाया | खैर आते है आरक्षण पर तो कुल हो गया ४९.५ प्रतिशत आरक्षण राज्य एवं केंद्र सरकार की नौकरियों में | लोक सभा सीटो में अनुसूचित जाती जनजाति के लिए भी आरक्षण है | कुछ राज्यों में आरक्षण का प्रतिशत अलग है आबादी भिन्नता के कारण जैसे हरियाणा, तमिल नाडू, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि |
अभी फिसिक्ली हैंडीकैप यानी विकलांगो का आरक्षण नही जोड़ा है | Equal Opportunities, Protection of Rights and Full Participation Act 1995 के अनुसार ३ प्रतिशत आरक्षण उनके लिए है | ३०  जून २०१६ के सुप्रीमे कोर्ट के आदेश अनुसार इसको बढ़ाना होगा केंद्र सरकार को | कैसे बढाती है ये तो केंद्र सरकार ही जाने | अल्पसंख्यक आरक्षण के लिए प्रयास हो रहे है | ओ बी सी के अंतर्गत तो मुस्लिम जातियों को आरक्षण दिया जा रहा है |आरक्षण का आधारऐसा माना जा रहा है की सवर्णों ने दलितों को दबाया इसलिए अब उनका ये अधिकार है की वो सरकारी नौकरियों में सवर्णों के बराबर योग्यता न होने पर भी पद्दासिन होवे | और जब तक सवर्ण वर्तमान दलितों के पैरो तले पददलित न हो दलितों को उनका अधिकार नहीं मिलने वाला | एक और कथा प्रचलित है की दलित द्रविण है और सवर्ण आर्य | आर्य मध्य एशिया कही से आये है संस्कृत और वेद लेकर और द्रविण यही के लोग थे उन्हें दक्षिण में भगा दिया आर्यों ने इसलिए दलित मूल निवासी है और आर्य विदेशी | इन्ही विदेशियों ने मनुस्मृति लिखी जिसे जलाने का दलितों को पूरा अधिकार है | आर्यों के ही देवता भगवान् श्री राम, कृष्ण, शिव जी, दुर्गा माँ आदि इनके चित्रों को अपमानित करने का पूर्ण अधिकार दलितों को है क्यों की सवर्णों ने उन्हें दलित किआ | अब ६०० वर्षो के क्षेत्रीय मुस्लिम शासन और २०० वर्षो के अंग्रेजो के शासन में सवर्णों को कब और कैसे दलित करने का अवसर मिला ये जानना बाकी है |
ये भी ठीक है की जिन जातियों को अंग्रेजो ने अपराधिक घोषित कर रखा था उनको न्यून योग्यता के उपरान्त भी सरकारी नौकरी पर बैठ कर अपना कौशल दिखाने का पूरा अवसर मिलना ही चाहिए | और ये भी ठीक है की १८१८ के युद्ध में जिन म्हारो ने अंग्रेजो का साथ दिया उन्हें भी अंग्रेजो की बनाई व्यवस्था में सत्ता में हिस्सा मिलना ही चाहिए और मराठो के उस समाज को दंड मिलना चाहिए जिन्होंने दंड रूप म्हारो का आर्थिक बहिष्कार किआ |
समझ नहीं आता अंग्रेजो के कारण जो १-१ करोड़ की जनता का (१७६०-१७७०, १८५७-१८६७) नर संहार हुआ वो किस जाती का हुआ ? और कैसे सोने की चिड़िया वाला देश पिछडो और दलितों का देश बन गया | सवर्णों और ब्राह्मणों से ये गुप्त अत्याचार की निति जानने योग्य है | ये भी संभव है की ब्राह्मणों ने ही अंग्रेजो और मुसलमानों को देश में बसाया और वही नियंत्रित कर रहे थे | कभी-२ शौक में मतिदास जैसे लोग बीच से चिर जाते थे ताकि किसी को शक न हो | इस परंपरा को रानी झांसी, तात्या टोपे, सावरकर, तिलक, आजाद आदि ने जिन्दा रखा | मैं बाबा साहब आंबेडकर के इन शब्दों से सहमत हूँ की अंग्रेज देर से आये और जल्दी चले गए |
सवर्णों को ढंग से फ़ासी चढने जेल जाने सर फुड्वाने का मौका ही नही मिल पाया अंग्रेजो से नाटक करने के दौरान |
आरक्षण से देश में एकता है आरक्षण के कारण ही हमारे दलित भाई इसाई या मुसलमान नहीं हुए | कम से कम नाम से तो नहीं हुए, और हिन्दू रहते उन्हें श्री राम के पोस्टर पर जूता मारने का अधिकार हनुमान जी की तस्वीर पर थूकने का अधिकार मिल गया है | हिन्दू समाज में ऐसे हिन्दुओ को पाकर हम कितने प्रफ्फ्लुल्लित है | हमने अपने आराध्यो अपमानित नही होने दिया | क्यों की हम सोचते ही नही की उनका अपमान हुआ वो तो चित्र मात्र है | हमें फर्क नहीं पड़ता की कही कम अंक वाला व्यक्ति भी IAS बन जाता है और अधिक अंक वाला देश छोड़ कर जाने की बात करता है और बहुत से जाने भी लगे है | हम उग्र हो नही सकते टैक्स भी देते है और बीमा भी तो हम ही कराते है | बेवजह सरकार सारा पैसा हम ही से निकालेगी | फिर बच्चा भी हम १ ही पैदा करते है भले अभी हम आरक्षण समाप्त कर सकते हो पर बाद में तो हम अल्पसंख्यक ही होने है और बच्चो को देश छोड़ के भागना ही है तो काहे को मेहेनत करे |
फिर भारत के अधिकांस हिस्से पर शासन करने वाले यादवो, मगध साम्राज्य में भारत को एक करने वाले शाक्य, स्वर्णकार समाज के लोग आदि अनेको जाती पिछड़ गई है अब वो आरक्षण से अगड़ी जाती बन जाएँगी इसमें हमें उनका सहयोग करना चाहिए | इसलिए हमें चुप चाप बैठ कर वर्तमान सरकार का आरक्षण पर समर्थन करना चाहिए | यदि कोई दल आरक्षण का विरोध कर के वोट मांगने आये भी तो उन्हें बताना चाहिए की हमे मुफ्त में SC/ST Act लगवाने में कोई समस्या नहीं है हम वर्तमान सरकार के सुप्रीमे कोर्ट के फैसले के खिलाफ बनने जा रहे कानून के समर्थन में है |
जय हो कर्मठ सवर्णों की, जय हो आरक्षण की

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