Tuesday, 24 October 2017

भू-राजस्व में व्यापक सुधारों से न्यायिक सुधारो में क्रान्ति आएगी

हज़ारो हज़ार मामले न्यायलय में लंबित पड़े हुए है | अपराधिक मामलो से अधिकतर भूमि विवाद के विषय है | न्यायालय पर सरकार इसलिए ध्यान नही देती क्यों की उनसे उतनी कमाई नहीं है | जब की स्टैम्प ड्यूटी के नाम पर अच्छी कमाई करती है | ६-८% तक की स्टैम्प ड्यूटी उसके बाद 2 परसेंट की पर्ची काटने का शुल्क | कुछ हज़ार वकील का शुल्क इस प्रकार हर बार जब किसी भूमि का क्रय विक्रय होता है तो १० प्रतिशत से ऊपर का मूल्य उसका सरकार बढ़ा देती है | भूमि का स्थान तो वही रहना है मूल्य कागज़ पर बढ़ता रहता है, कारण सरकार की नीतिया जो की अंग्रेजो के समय से चली आरही है | जिस समय अंग्रेजो ने इसको लगाया था ऋषि दयानंद ने इसका विरोध किआ था | आज स्टैम्प ड्यूटी का विरोध करने वाला कोई है ही नही बड़ा आश्चर्य है |
मंहगाई का बड़ा कारण तो सरकार की नीतिया होती है जो की आम जन मानस का दिनों दिन जीना दुर्भर करती है |
सरकार स्टैम्प ड्यूटी हटा दे ये आशा करना तो बेकार है पर सुधार में बहुत से सुधार ऐसे है जिनको ला कर न्यायलय में आने वाले मामलो में भारी कमी की जा सकती है |
१. जैसे भू राजस्व की राज्य सरकारों की अपनी वेबसाईट बनी हुई है जिसमे खाता खतौनी की नकले निकाली जा सकती है | इसी प्रकार गूगल मैप से या इसरो के डाटाबेस से मिलाते हुए भूमि के मान चित्रों को भी आनलाइन किआ जाए | इस से उस तरह के बहिनामे रुकेंगे जहा भूमि की वर्तमान स्तिथि को कुछ और बतला के क्रय विक्रय की प्रक्रिया निगमित की जाती है |
2. पैसे के लेन देन पर अलग दस्तावेज बना कर रजिस्ट्री में साथ लगाने का नियम बना दे | जिस से बाद में पैसे के लेन दें को कोई विवाद न हो सके |
अधिकतर मामले यही आते है भूमि कुछ की कुछ कह के बेच दिया | इधर की उधर जमीन दिखा दी गई | पैसे के लेनदेन को भी विवाद उत्पन्न होता है | इसी प्रकार ऐसे सरल से नियम बना कर बाद में होने वाले विवादों को सरकार पूर्व ही समाप्त कर सकती है | यदि न्यायी विभाग में आपको और भर्ती नही करनी है हाल फिलहाल तो ये सबसे सरल तरीका है | नए मामले आने ही कम करवा दिए जाए | इसके साथ स्टैम्प ड्यूटी को 2 प्रतिशत से अधिक न रखा जाए तब जा के ये कुल सर्कल रेट का 5 प्रतिशत पड़ेगा |

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Monday, 16 October 2017

क्या मोदी अमित शाह संघ को समाप्त कर देंगे ?

जो वर्षो से हिंदुत्व, श्री राम जन्म भूमि, गौ रक्षा आदि विषयों का समर्थन करते रहे है वे संघ के तौर तरीके कार्यशैली से परिचित है | संघ झूठ और अफवाह फैलाने को अपने तंत्र का हिस्सा मानता है | संघ द्वतीय विश्व युद्ध के उस दौर की मानसिकता से निकल नहीं पाया जहा हिटलर और चर्चिल दोनों ही अपनी अपनी जनता को झूठ परोसते थे | आज कैसे भी हो मोदी भी वही कार्यशैली अपनाए हुए है बस झूठ के आयाम बढ़ गए हैं | हम अपने आसपास देख कुछ रहे है और सरकारी आकडे कुछ और बोल रहे | वाट्सएप्प पर सिर्फ झूठ फैलाया जा रहा जिसे अब लोग समझने भी लगे है | जो कार्यशैली संघ ने अपने कार्यकर्ताओं को दी उसे सरकारी तंत्र पर प्रयोग कर के संघ और भाजपा स्वयं अपनी मुक्ति की ओर बढ़ रहे है |
हम कितना भी कोस ले संघ को पर ये सत्य है की हमें हिन्दुओ की हित की बात करने वाला एक संगठन चाहिए और बात ही नही कार्य करने वाला | भले संघ का योगदान रहा हो हिन्दू महासभा और आर्य समाज जैसे सशक्त राष्ट्रवादी हिन्दू संगठनों को निष्क्रिय करने और अभी भी बनाए रखने में पर अभी तो संघ ही है हमारे पास | मैं कितनी भी आलोचना कर लू जो के कार्यो के आधार पर ही होगी पर यही चाहूँगा की जिन विषयों पर इन्हें समर्थन मिलता आया है उन विषयों पर कार्य तो हो | भाजपा को जितना समय मिला उसने अपने स्तर पर भ्रष्टाचार किआ | निजी लाभ देने के मामले भी सामने आने लगे अमित शाह के पुत्र के रूप में |
देश में ही सिर्फ कुछ उद्योगपति ही लाभ उठा पा रहे है | मोदी और अमित शाह सत्ता के मद में चूर है आपको लगता है की आप पैसे के बल पर चुनाव जीत लेंगे | ये सूचना का युग है यहाँ झूठ चलता भी जाता है तो बहुत लम्बे समय तक नहीं चल सकता | आप जितना भी हिन्दू मुस्लिम कर ले आपको काम तो कर के देना ही पड़ता है | काम नहीं तो समर्थन नहीं |
भाजपा के अन्दर  कोई नेता बोलने को तैयार नहीं | पुराने सारे नेता किनारे लगा दिए गए | एक जसवंत सिन्हा जी ने साहस दिखाया | राम जेठमलानी को बाहर कर दिया गया | सुब्रमण्यम स्वामी ने मना किआ था जी.एस.टी लागू करने का सही समय नहीं | अरुण शौरी ने भी वक्तव्य दिए जो लोगो तक पहुच नहीं पाए | आडवानी जी तो राष्ट्रपति योग्य भी नहीं थे | दलित कार्ड का खेल राष्ट्रपति चुनाव में ही खेला गया | भारतीय जनता पार्टी के दो शीर्ष नेतृत्व मोदी और अमित शाह को ये लगता है की पैसा खर्च कर के गाव देहात के वोट खरीद सकते है | जबरदस्त प्रचार कर सकते है | शायद वे जीत जाए, शायद | पर ये बात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए और बुरी होगी |
एक तो संघ और भाजपा की बृहद विस्तार की नीव जिन लोगो ने डाली थी उन्हें बाहर कर दिया गया | कही कोई कुछ बोल नहीं सकता | वही कांग्रेस की तरह हाई कमान कल्चर भाजपा में आगया | चापलूसी करो और बने रहो विरोध किआ तो बाहर जाओ | संघ के विचारको को विचार करना चाहिए की किसको कमान सौप दी | पर यहाँ तो उल्टा ही हो रहा है | पहले भागवत जी कहते है आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए फिर प्रधानमंत्री ने बोल दिया की आरक्षण नहीं हटेगा अब श्री मोहन भागवत ने भी बोल दिया आरक्षण पिछडो का हक़ है | क्या संघ को भी अब मोदी ही नियंत्रित कर रहे है ?
कहा गया वो हिंदी भाषा को प्रधानता देने का मुद्दा ? गौ रक्षा के लिए एक विधेयक नही पेश हो सका ? अब गौ रक्षा विधेयक पास न हो ऐसा संभव ही नहीं है | राज्य सभा की सबसे बड़ी पार्टी आप की है | और कम से कम पेश तो हो पता तो हो कौन गौ रक्षा के विरोध में है | पर न ही हिंदुत्व के विषय पर कार्य हुआ न विकास के | बुलेट ट्रेन मतलब बड़ा सौदा और राजनीत में बड़ी डील मतलब बड़ा कमिशन होता है | पैसा बेहिसाब होगा भाजपा के पास हो सकता है कांग्रेस ये देख कर अपना भण्डार इस बार भी न खोले | पर भाजपा के अगले और दस साल के शासन का मतलब ये हुआ की उसके अगले 20-30 साल लोग इनके बारे में सोचेंगे भी नहीं | सिर्फ तुष्टिकरण न हो इसलिए इन दो लोगो को सत्ता दिए रहना तो बहुत भारी मूल्य है |
बांग्लादेशी विस्थापितों को बाहर करेंगे हल्ला करेंगे रोहिंग्या के मुद्दे पर अटक गए | अरे अवैध बंगलादेशियो के लिए ही आप कानून बना देते जो आई.एम.टी.डी कांग्रेस ने समाप्त किआ था | रोहिंग्या के विषय पर या भविष्य में ऐसे किसी भी शरणार्थीयो के विषय पर एक सरल सा कानून बना कर ही आप इस विषय को अदालत में जाने से रोक सकते थे या अदालत के फैसले को देश हित के पक्ष में कर सकते थे | संघ से बहुत से लोग असंतुष्ट थे जो हिंदुत्व की विचारधारा से सहमत थे | हिंदुत्व की विचारधारा कोई भिन्न विचारधारा नहीं है | ये भी वही सहिष्णुता की ही विचाधारा है | तिलक के कांग्रेस से बाहर होते ही कांग्रेस ने समय समय पर मुस्लिम तुष्टिकरण और हिन्दू विरोध को प्रमुखता से पकड़ लिया था जिस कारण हिन्दू महासभा जिसका मतलब हुआ हिन्दू कांग्रेस की स्थापना करनी पड़ गई थी | यदि इसी दल के हाथ में देश की कमान रहती तो संभव है आज का संघ और भाजपा एक हिंदूवादी दल मात्र रह जाते बजाये एक मात्र कथित हिंदूवादी दल होने के | अब भाजपा मुसलमानों को रिझा रही है तो राहुल गांधी मंदिर जा रहे है | इन दोनों दलों के बीच में जनता और उसके मुद्दे पिस रहे है | लोग बेवकूफ बनते आ रहे है और अभी भी सिलसिला जारी है |  
जिस तरह के वाट्सऐप पर मेसेज आते है की कुछ हिन्दू टैक्स बचाने को सरकार बदलने की सोच रहे है और उधर मुसलमान २०३५ में इस्लामिक देश बनाने की सोच रहे है | क्या मोदी या संघ इस होने वाले जन संख्या असंतुलन पर कोई योजना लेकर आये है ? नहीं कोई योजना नहीं है, जब आपके स्वयं के पास कोई योजना नहीं तो स्थान घेरे रहने के लिए क्यों समर्थन दिया जाए | आपके पास केवल एक योजना है अगला चुनाव जीतना और सत्ता पर लम्बे समय पर बने रहना | हिन्दू मुस्लिम से बढ़ कर और भी मुद्दे है देश में ये बात संघी कार्यकर्ताओ को समझना चाहिए | सरकार की गलत बात को गलत बोलना सीखना होगा संघियो को यदि संगठन को बचाना है वरना बस दलाली कर के अपना अपना घर चलाते रहे | २८ परसेंट टैक्स स्लैब लगाना भारत जैसे देश में बहुत ही घटिया हरकत रही जिसपर इस तरह के वाट्स एप के मैसेज फैला कर बचाव करना शर्मनाक है | राष्ट्रवाद में व्यापार सबसे मूलभूत विषय है और टैक्स का भार जनता पर कम रहे ये कैसे राष्ट्रवाद का मुद्दा नहीं रहा | चुनाव के समय फिर से राम मंदिर हिंदुत्व जैसे खेल खेले जायेंगे नए लोग भरोसा कर ले पुराने लोग तो नही करने वाले है | संघ ने और भाजपा के अन्दर भी यदि नेतृत्व परिवर्तन की आवाज़ नहीं उठी तो अगले कई दशको तक लोग हिंदुत्व की राजनीत पर न भरोसा करेंगे न ही लोगो के पास विकल्प होगा | ऐसे में नेतृत्व बदला जाए या विकल्प बनाए जाए, राष्ट्रवादी चिंतक जागरूक हो जाए....

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