इसलिए किआ जा रहा खेती का सत्यानाश
भारत में अंग्रेजो के समय और उनके जाने के बाद केवल एक वर्ग और व्यवसाय ऐसा रहा जिसकी लगातार दुर्दशा कि जा रही है | वो है किसान, बिना किसी जाती धर्म के भेदभाव के खेती को हानि का व्यवसाय बना दिया गया | एक देश जो हजारो वर्षो से खेती यानी कृषि के कारण ही समृद्ध था सारे अन्य व्यवसाय इसी कारण चलते थे आखिर ऐसा क्या बिगाड़ा इस व्यवसाय और वर्ग ने कि सरकार बुरी तरह इसे नष्ट करने पर अमादा है | तो अंग्रेजो के समय से यदि चिन्तन करे | किसानो पर अत्याधिक लगान क्यों कि किसान ही वो वर्ग था बहुतायत में जिसपर शासन किआ जाना था बनिया/व्यापारी तो हवा के साथ रुख मोड़ लेता है | बंगाल में अंग्रेजो ने अपनी नीतियों के कारण भुखमरी खड़ी कर दी | अंग्रेज गये नेहरु काल आया, तकनीक प्रद्योगिकी पर ध्यान दिया गया पर कृषि कि अवहेलना हुई | अनाज अमेरिका से आता था नेहरु के बाद शास्त्री जी आये जिन्होंने कृषि पर ध्यान दिया परिणाम ये हुआ कि डॉलर का मूल्य भी गिरा और देश में अनाज का उत्पादन भी |
शास्त्री जी मरवा दिए गये, औद्योगिक तीव्रता के युग में किसानो के हित कि बात करने वाला अधिक समय कहा रहना था |
यद्दपि भारतीय खाद्यान निगम शास्त्री जी के आने से पूर्व ही स्थापित हो चूका था | पर इसकी कार्य पद्धति किसान हित कि नही दिखती | किसानो के उत्पादन का मूल्य यही लगाती है धान गेहू कि खरीद भी करती है | गोदामों में अनाज सड़ता है बाद में शराब कम्पनियों को सस्ते दाम में बेचा जाता है | किसान भी दलालों के माध्यम से ही बेचता है अपना अनाज | अंग्रेजो के समय का नियम ही चला आरहा है अनाज का मूल्याकन करने का | ३६००० कर्मचारियों को लेकर ये संस्था किसानो का किस प्रकार हित कर रही है | अब तो सट्टा बाजार में भी अनाज का मूल्य पहुच गया है | खैर ये तो सब जानते है कि खेती और किसान कि हालत खराब है लोग खेती छोड़ रहे | कम्प्यूटर पर बैठ कर कुछ घंटो में हम हजारो लाखो बना लेते है तो भला कडकती धुप में कौन महेनत करे | गावो में अब कूलर पंखे पहुच गए है पेड़ कम हो गए है किसान भी अब उतनी मेहेनत नही कर पाता | आज से कुछ वर्ष पूर्व १०० किलो का बोरा चलता था अब ४५ से ६५ किलो के ही पैकेट चलते है | यूरिया डी.ए.पी से हम बाहर न आ पाए ना आना चाहते है | नरेगा में भी घर बैठे किसानो को पैसा मिल जाता है फिर घाटे के धंधे में कौन हाथ डालना चाहेगा |
पर बड़ा रहस्य क्या है इसके पिछले | तो षड्यंत्र ये है कि भारत कि कृषि भूमि है लगभग ७० लाख हेक्टेयर जिसे लगातार विकास के नाम पर सडक और हाइवे बनाने के नाम पर, औद्योगिक विकास के नाम पर हडपा जा रहा है | वही अमेरिका में कुल कृषि योग्य भूमि है १० लाख १४ हजार हेक्टेयर | भारत का क्षेत्रफललगभग 32 लाख ८७ हजार वर्ग किलोमीटर वही अमेरिका का कुल क्षेत्रफल है ९८ लाख ३४ हजार वर्ग किलोमीटर है | भारत कि कृषि योग्य भूमि ७० लाख वर्ग किलोमीटर वही अमेरिका कि कृषि योग्य भूमि १ लाख १४ हजार वर्ग किलो मीटर यानी कि क्षेत्रफल भारत से तीगुने से अधिक | भारत कि जनसँख्या १ अरब ३१ करोड़ अमेरिका कि जनसँख्या ३२ करोड़ अब विचारे कि अमेरिका विश्व के प्रति क्या कर्तव्य निभा रहा है | अपनी भूमि सम्हाल के रखे हुए है न खेती करता है न करने देता है | कहने को विश्व के अनाज का मूल्य नियंत्रण में रखना पर षड्यंत्र आपके मुह का निवाला नियंत्रित करने का है | हम उद्योगों और विकास के नाम पर अपनी खेती बर्बाद कर रहे | जिनके पास जमीन है वो खेती कर नहीं रहे उद्योग कर रहे है जिनके पास कृषि योग्य भूमि है वो खेती पर ध्यान नही दे रहे और उद्योग उद्योग कर रहे है | खेती से उत्तम कोई उद्योग नहीं | जब आपकी जमीने खराब हो जाएगी तब अमेरिका से अनाज आया करेगा पुराने दिनों कि तरह और आप मु मांगे दाम पर गेहू खरीदेंगे |
समाधान
बड़ा सरल सा समाधान है किसान और गाये को जोडीये | अगले ५ वर्षो में पुरे देश में यूरिया डी.ए.पी बंद करवाइए | जैविक खेती को अनिवार्य कर दीजिये | जिला स्तर पर अनाज का मूल्य निर्धारण करने के कि निति अपनाइए | अनाज बैंको कि स्थापना करवाइए | फसल चक्र को पुनः आरम्भ करवाइए | ए.सी में बैठे या कृषि विज्ञान से एम एस सी पी एच दी करने वाले उन्हें कृषि सिखाते है जो बचपन से ही खेती करते आते है | जिन्होंने कभी खेत में पसीना नहीं बहाया वे किसानो का भला नही कर पायेंगे | कृषि सम्बंधित बाजार खरबों डोलर का है १ कि चीज़ पैक कर के १००० कि बेचीं जाती है | धान कि फसल के विकल्प पर कार्य करवाए |
परन्तु सरकार तो अब पशुओ के बाजार को कोर्पोरेट घरानों के लिए खोल रही है | आने वाले टाइम में किसान जानवर को बाँध भी नही पायेगा | मध्य प्रदेश महाराष्ट्र में किसान अब आंदोलित हो रहे है | सरकार कुछ समय बाद कोई झुनझुना पकड़ा देगी | ये हमें निर्धारित करना है कि जिस देश में ३-४ फसले होती है जो दुनिया में कही नहीं होती उस कृषि प्रधान देश को उपजाऊ भूमि को बंजर कर के औद्योगिक देश तैयार करना है | सरकार में बैठे लोग सिर्फ पियादे है उनकि केवल एक मंशा है सत्ता में लम्बे समय तक रहना | हर चीज़ का व्यवसायीकरण, जनता केवल कमा के टैक्स भरने के लिए है और किसान श्रम एवं आत्म हत्या करने के लिए | मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में चल रहे किसान आन्दोलन को कितनी मिडिया कवर कर रही है | ईस्ट इंडिया कंपनी और अंग्रेजो ने हमें जिस प्रकार गुलाम बनाया वर्तमान कि लोकतांत्रिक सरकारे उन्ही तरीको का परिस्कृत रूप है |
Labels: अर्थव्यवस्था सुधार
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