Wednesday, 3 May 2017

बाहुबली के सफल प्रयोग से बोलीवुड की रणनीति बदल सकती है

दक्षिण भारत की फिल्मे बोलीवुड की फिल्मो से हज़ार गुना बेहतर होती रही है | हिंदी फिल्मो में उनका मजाक उडाना या अन्य माध्यमो से उनका डर ही है क्यों की दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग न केवल हमारी सभ्यता परम्पराओं का निर्वहन परदे पर उकेर कर कर रहा है अपितु बहुत ही लाभदायक व्यवसाय भी करती है | इसके विपरीत बोलीवुड में इस्लामीकरण से लेकर अश्लीलता जम कर परोसी जाती है | इतने महान राजाओं का देश होने पर भी आप स्वयं विचारे की शाहजहाँ और अकबर पर कितनी बार फिल्मे बन गई पर महाराणा प्रताप और वीर शिवा जी पर कोई फिल्म निर्माता फिल्म बनाने को आगे नहीं आया और भारतीय इतिहास तो भरा पड़ा है राजाओं की महान कहानियों से |



यूरोप से बल अश्व शक्ति की तुलना में आया पर भारत में राजाओ का बल हाथियों की तुलना से किआ जाता था | महाराज पृथ्वीराज चौहान के लिए बीस हाथियों का बल कहा जाता था | ये सामान्य बात थी और विज्ञान की दृष्टि से भी सारी मांसपेशीया एक साथ कार्य करे तो इतना बल सृजित हो सकता है | ऐसे में बाहुबली जैसे राजाओ का तो अम्बार है | दक्षिण में अनेको अच्छी फिल्मे पूर्व में बनी है मगधीरा, चेन्नई वर्सेज चाइना, लिंगा इत्यादि इसके अतिरिक्त बोलीवुड तो रीमेक करता है दक्षिण की फिल्मो का | बाहुबली जैसी साफ़ सुथरी फिल्म की अपार सफलता से बोलीवुड को दिशा देने वाले रणनीतिकारो की नीतिया बदल सकती है | अब फिल्मे प्राचीन राजाओ पर बनाना आरम्भ हो सकती है क्यों की अधिकतर क्षेत्र में अधिकतर लोग भेडचाल ही चलते है | ऐसे में वे इतिहास का सत्यानाश ही करेंगे | इस बात में तो निश्चिंत हो जाइए की यदि बोलीवुड में कुछ निर्मित हो रहा है तो अधिक सम्भावना है की वे उस इतिहास को ऐसा दिखायेंगे की लोगो की दृष्टि में भारतीय राजाओ की कमजोरी ही सामने आएगी | बाजी राव पेशवा जैसा महावीर शूरवीर जिसके यूरोप और अमेरिका में उदाहरण दिए जाते है नेटिव अमेरिका में एक योद्धा हुआ टेकुश्मेह उसकी रफ़्तार को बाजीराव के आस पास कहा जाता था | उसी के कारण अंग्रेज वाईट हाउस जला पाए थे |

तो अब भारतीय जनता को जागरूक और सावधान रहने की आवयश्कता है | ऐसा तो होने वाला नहीं की यकायक पाकिस्तान और मिडल ईस्ट का पैसा लगना बंद हो जाए | पैसा आएगा, समाज में वे अपना सन्देश देते रहेंगे बस तरीका बदल देंगे | बोलीवुड वैसे भी प्रयोगशाला ही बना हुआ है | इस लिए जो शुद्धता अभी बनी हुई है दक्षिण भारत की फिल्मो में उसे बचाए रखने के लिए बोलीवुड की परछाई दूर ही रखनी होगी | और जनता का रुझान जिस दिशा में आगे बढ़ा है वो उसी विवेकशीलता के साथ आगे बढे | आगे रामायण, महाभारत जैसे महाग्रंथो पर भी फिल्मे बनेगी और महान राजाओं पर भी पर ये ध्यान हमें रखना है की इतिहास के साथ कोई छेड़छाड़ न होने पाए | माहिष्मती राज्य महाभारत काल में था और भारतीय जनता को भारतीय राजनितिक व्यवस्था की क ख ग भी नहीं पता है | पता भी कैसे हो कभी बताया ही नहीं गया हमारे लिए तो लोकतंत्र अंग्रेजो का दिया है | हमें तो कतार में लड़ना भी नहीं आता था जब की व्यूह रचना बनाकर हमारी लड़ाइया होती रही हमारे ग्रन्थ ये स्पष्ट बताते है | पर जिस प्रकार इतिहास करो ने पश्चिम की रोटी खा कर लिखा है वो बदलने का समय आगया है | और भारतीय इतिहास के ग्रंथो को महत्व देते हुए जागरूकता के साथ बाहुबली और वो सभी फिल्मे जिनसे समाज को अच्छा सन्देश जाए उनका स्वागत करना होगा | विपरीत सन्देश देने वाली फिल्मो का विरोध करना होगा |

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