Wednesday, 10 May 2017

सुब्रमण्यम स्वामी रहस्यमयी, हिंदूवादी या परिपूर्ण व्यक्तित्व

पंद्रह सितम्बर १९३९ को चेन्नई, तमिलनाडू में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे सुब्रमण्यम स्वामी भारतीय राजनीत के सबसे अनोखे चेहरे है | जब भी लोग मान्यनीय प्रधानमन्त्री मोदी जी की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते है तो सहमत होने वाले लोग भी कहते है की विकल्प क्या है |  डा. स्वामी प्रधानमन्त्री पद के एक अच्छे विकल्प तो है परन्तु उनका स्वयं का निजी जीवन उन कट्टर हिन्दू युवाओं के लिए विचारणीय है जिन्होंने दिन रात मोदी मोदी कर के उन्हें प्रधानमंत्री बनाया | जानते है सुब्रमण्यम स्वामी के बारे में :-

1. दिल्ली विश्वविद्यालय से गणित में स्नातक व हावर्ड से पी एच डी करने वाले डा. स्वामी हावर्ड में विसिटिंग प्रोफेसर रह चुके है |
२. आप १९९०-९१ वाणिज्य, विधि एवं न्याय मंत्री भी रह चुके हैं |
३. राजीव गांधी के करीबी माने जाने वाले डा. स्वामी ही थे जिन्होंने १९९८ में श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरवाई थी |
४. २ जी घोटाले को सबके सामने लाने वाले डा. सुब्रह्मण्यं स्वामी ही थे |
५. तमिलनाडू में कोई भी पुजारी बन सकता है आल कास्ट प्रीस्ट बिल को रुकवाने वाले डा. स्वामी थे |
६. नैशनल हैरल्ड केस को भी डा. स्वामी जनता के सामने लाये थे |
७. डा. स्वामी की पत्नी रोक्सेना स्वामी पारसी है |
८. डा. स्वामी की दो बेटिया है गीतांजली स्वामी और सुहासिनी हैदर, गीतांजली स्वामी डा.संजय शर्मा से विवाहित है जो की मैसच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलोजी में प्रोफेसर है और एक आई ए एस के लड़के है | वही सुहासिनी हैदर टी वी संवादाता है जो की नदीम हैदर से विवाहित है | नदीम हैदर आई ऍफ़ एस अधिकारी (विदेश सेवा) सलमान हैदर के पुत्र है जिन्होंने स्वयं रंगमंच की कलाकार कुसुम से विवाह किआ था | (अब भक्त पीढ़ी दर पीढ़ी इसे लव जिहाद का नाम न देने लग जाए |)
९. जी पी को दिए वचन के कारण जनता पार्टी चला रहे ऐसा कहने के बाद ११ अगस्त २०१३ को जनता पार्टी का विलय हो ही गया |
१०. भले ही बी जे पी के नेता डरते हो परन्तु २६ अप्रैल २०१६ को स्वामी का कोई भी विरोध का स्वर न आने पर उन्हें राज्य सभा की सदस्यता दे ही दी गई | अब मोदी जी और राजनाथ सिंह डा. स्वामी को राजनीत तो सिखा नहीं सकते |
११. कैलाश मानसरोवर यात्रा का मार्ग आपने खुलवाया |
१२. चाईनीस भाषा के आप अच्छे जानकार है और वहा की आर्थिक नीतियों के भी |
स्वर्गीय सुश्री जय ललिता को जेल भिजवाना हुआ या किसी मुस्लिम युवक की पुलिस हवालात में मृत्यु होने पर धरने पर बैठना, ई वी एम में टैम्पेरिंग इत्यादि विषयों को डा. स्वामी ने ही चलाया |
अन्तराष्ट्रीय विषयों में ही नहीं अन्तराष्ट्रीय व्यापार के विषय भी आप अच्छे जानकार है | बस आपको कभी स्वदेशी की बात करते नहीं पाया | हाला की जनता पार्टी के लोगो में किसान हल लिए हुए था पर वो था |
हम लोगो को उनके कार्यो से ही जान सकते है उनकी बातो से नहीं | मोदी जी हो या डा. स्वामी, और सुब्रमण्यम स्वामी ने कार्य तो किआ ही है | वे अपने निजी जीवन में क्या करते है उनका भाई क्या मानता है, पत्नी और बेटी क्या मानती है ये निजी विषय है | हाला की ये निजी तब भी होता है जब कोई हिन्दू लड़की किसी और संप्रदाय में अपने मन का जीवन साथी चुनती है | भले ही बहला फुसला के या लक्षित हो कर फसी हो पर है तो ये उसका अपना निर्णय | 
क्या भारत की जनता कोई सहासी राजा और त्यागी तपस्वी मंत्री पा सकेगी | क्या हम चन्द्रगुप्त जैसे वीर राजा और चाणक्य जैसे प्रधानमन्त्री को पाने के लिए तैयार है | हम तो सिर्फ शब्दों पर मोह जाने वाले स्वभाव की भीड़ मात्र है | अत्याधिक कट्टरता सदैव हमारे विवेक को प्रभावित करती आई है और इसी का लाभ राजनितिज्ञो ने लिया है |

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Wednesday, 3 May 2017

बाहुबली के सफल प्रयोग से बोलीवुड की रणनीति बदल सकती है

दक्षिण भारत की फिल्मे बोलीवुड की फिल्मो से हज़ार गुना बेहतर होती रही है | हिंदी फिल्मो में उनका मजाक उडाना या अन्य माध्यमो से उनका डर ही है क्यों की दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग न केवल हमारी सभ्यता परम्पराओं का निर्वहन परदे पर उकेर कर कर रहा है अपितु बहुत ही लाभदायक व्यवसाय भी करती है | इसके विपरीत बोलीवुड में इस्लामीकरण से लेकर अश्लीलता जम कर परोसी जाती है | इतने महान राजाओं का देश होने पर भी आप स्वयं विचारे की शाहजहाँ और अकबर पर कितनी बार फिल्मे बन गई पर महाराणा प्रताप और वीर शिवा जी पर कोई फिल्म निर्माता फिल्म बनाने को आगे नहीं आया और भारतीय इतिहास तो भरा पड़ा है राजाओं की महान कहानियों से |



यूरोप से बल अश्व शक्ति की तुलना में आया पर भारत में राजाओ का बल हाथियों की तुलना से किआ जाता था | महाराज पृथ्वीराज चौहान के लिए बीस हाथियों का बल कहा जाता था | ये सामान्य बात थी और विज्ञान की दृष्टि से भी सारी मांसपेशीया एक साथ कार्य करे तो इतना बल सृजित हो सकता है | ऐसे में बाहुबली जैसे राजाओ का तो अम्बार है | दक्षिण में अनेको अच्छी फिल्मे पूर्व में बनी है मगधीरा, चेन्नई वर्सेज चाइना, लिंगा इत्यादि इसके अतिरिक्त बोलीवुड तो रीमेक करता है दक्षिण की फिल्मो का | बाहुबली जैसी साफ़ सुथरी फिल्म की अपार सफलता से बोलीवुड को दिशा देने वाले रणनीतिकारो की नीतिया बदल सकती है | अब फिल्मे प्राचीन राजाओ पर बनाना आरम्भ हो सकती है क्यों की अधिकतर क्षेत्र में अधिकतर लोग भेडचाल ही चलते है | ऐसे में वे इतिहास का सत्यानाश ही करेंगे | इस बात में तो निश्चिंत हो जाइए की यदि बोलीवुड में कुछ निर्मित हो रहा है तो अधिक सम्भावना है की वे उस इतिहास को ऐसा दिखायेंगे की लोगो की दृष्टि में भारतीय राजाओ की कमजोरी ही सामने आएगी | बाजी राव पेशवा जैसा महावीर शूरवीर जिसके यूरोप और अमेरिका में उदाहरण दिए जाते है नेटिव अमेरिका में एक योद्धा हुआ टेकुश्मेह उसकी रफ़्तार को बाजीराव के आस पास कहा जाता था | उसी के कारण अंग्रेज वाईट हाउस जला पाए थे |

तो अब भारतीय जनता को जागरूक और सावधान रहने की आवयश्कता है | ऐसा तो होने वाला नहीं की यकायक पाकिस्तान और मिडल ईस्ट का पैसा लगना बंद हो जाए | पैसा आएगा, समाज में वे अपना सन्देश देते रहेंगे बस तरीका बदल देंगे | बोलीवुड वैसे भी प्रयोगशाला ही बना हुआ है | इस लिए जो शुद्धता अभी बनी हुई है दक्षिण भारत की फिल्मो में उसे बचाए रखने के लिए बोलीवुड की परछाई दूर ही रखनी होगी | और जनता का रुझान जिस दिशा में आगे बढ़ा है वो उसी विवेकशीलता के साथ आगे बढे | आगे रामायण, महाभारत जैसे महाग्रंथो पर भी फिल्मे बनेगी और महान राजाओं पर भी पर ये ध्यान हमें रखना है की इतिहास के साथ कोई छेड़छाड़ न होने पाए | माहिष्मती राज्य महाभारत काल में था और भारतीय जनता को भारतीय राजनितिक व्यवस्था की क ख ग भी नहीं पता है | पता भी कैसे हो कभी बताया ही नहीं गया हमारे लिए तो लोकतंत्र अंग्रेजो का दिया है | हमें तो कतार में लड़ना भी नहीं आता था जब की व्यूह रचना बनाकर हमारी लड़ाइया होती रही हमारे ग्रन्थ ये स्पष्ट बताते है | पर जिस प्रकार इतिहास करो ने पश्चिम की रोटी खा कर लिखा है वो बदलने का समय आगया है | और भारतीय इतिहास के ग्रंथो को महत्व देते हुए जागरूकता के साथ बाहुबली और वो सभी फिल्मे जिनसे समाज को अच्छा सन्देश जाए उनका स्वागत करना होगा | विपरीत सन्देश देने वाली फिल्मो का विरोध करना होगा |