INA National Anthem को उचित सम्मान दे सरकार
श्री रविन्द्र नाथ टैगोर ने जन गण मन लिखा जोर्ज पंचम की प्रशंसा में जो की १९११ में भारत आये थे | उन्हें भारत के जन गण मन का अधिनायक बताया गया | इतनी जबरदस्त प्रसंशा से प्रसन्न हो कर रविन्द्रनाथ जी को नोबल पुरस्कार दिलवा दिया गया गीतांजलि के लिए | जन गण मन को कभी भी स्वाधीनता के लिए संघर्ष करने वालो ने स्वीकार नहीं किया | वंदेमातरम् था क्रान्तिकारियो का गाना जिसे पढ़ते पढ़ते लाखो लोगो ने बलिदान दिया | अंग्रेजो को ये कैसे राष्ट्र गान स्वीकार हो सकता था आरोप रख दिया गया मुसलमानो पर या तुष्टिकरण नीतियों पर, सत्य तो ये है के वन्देमातरम स्वीकार नहीं था अंग्रेजो को | जन गण मन की धुन को ही लेते हुए इंडियन नैशनल आर्मी ने मिलता हुआ एंथम बनाया उसका कारण सेना के जवान जो अंग्रेजो की सेना छोड़ कर आये थे उनकी आस्था तो अभी अभी छूटी थी अंग्रेजो की सेना से | अब रविन्द्र नाथ टैगोर का राष्ट्रगान सिनेमाहाल तक में अनिवार्य है और वदेमातरम के नाम से अभी भी राजनितिक खेल खेले जाते है
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जनगणमन अधिनायक जय हे,
भारतभाग्यविधाता।पंजाब सिंध गुजरात मराठा, द्राविड़ उत्कल बंग।
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा, उच्छल जलधि तरंग।
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मागे।
गाहे तव जयगाथा।
जनगणमंगलदायक
जय हे, भारतभाग्यविधाता।
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे॥
अब नेता जी सुभास चन्द्र बोस की सेना के एंथम को पढ़ते हैं | उसे लिखा है श्री आबिद हसन सफ्रानी और मुमताज़ हुसैन ने इसमें संगीत दिया है कैप्टन श्री राम सिंह ठाकुर ने
यह बात हम सभी जानते है की आज़ाद हिन्द फ़ौज के कारण रोयल इंडियन नेवी में विद्रोह की चिंगारी पहुच गई थी | ऐसे में अंग्रेजो का भारत में सेना सम्हालना खतरे का सूचक था | जैसे भी गए सत्ता का हस्तानांतरण ही सही ये तो हमारी कमी रही की हमारे नेता स्वदेशी निति पर स्वराज्य की निति पर आने का साहस न कर सके | अब जब लोग जाग रहे है ऐसे में क्या आवयश्कता है जोर्ज पंचम के प्रशंसा गीत पर हम सिनेमा हाल से लेकर सभी जगह खड़े हो या फिर सरकार स्पष्ट करे की वो भारत भाग्य विधाता किसे मानती है | |
Labels: राजनितिक सुधार
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