Tuesday, 7 March 2017

अंग्रेजो की भारत को देन

हम हमेशा अंग्रेजो की बुराई करते रहते है आइये जाने उन प्रमुख चीजों के बारे में जो अंग्रेजो ने हमें दि हैं :- 
१. लोकतंत्र/गणतंत्र (Democracy/Republican): न न करते कांग्रेस के माध्यम से लोकतंत्र थोप ही दिया गया | १९०८ में हिन्द स्वराज्मे इसे वैश्या तंत्र कहने वाले गांधी जी भले ही सहमत न हो पर १९३७ के प्रांतीय चुनावों तक ये व्यवस्था स्वीकृत हो गई थी | अंग्रेज भारत में १००० वर्ष शासन करने के स्वप्न को लेकर आये थे और उनका ये स्वप्न पूरा भी हुआ जा रहा है | इतने वर्ष तो रोमन भी अंग्रेजो पर शासन नहीं कर पाए | सत्तावन की क्रान्ति के बाद अंग्रेजो को ऐसी विधि चाहिए थी जिस से उनका शासन उनकी व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे | कांग्रेस उसी व्यवस्था की शुरुआत थी जब कभी कांग्रेस में किसी ने तिलक जैसे नेताओं ने विद्रोह किआ उन्हें उठा के जेल में डाल दिया गया | जो पार्लियामेंट अंग्रेजो ने बनवाई आज उसी व्यवस्था से देश शासित होता है |

२. नौकरशाही (Bureaucracy): ६-६, ७-७ चेन से जब कोई फ़ाइल हो कर आती है तो लगता है इसमें भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं है | पर लोकतंत्र को चलाने के लिए भ्रष्टाचार का धन इसी नौकरशाही से मिलता है | हर टेबल पर पैसा खिलाइए तब कोई काम होता है | गोली भले ही सेना में एक जैसी मिले पर अधिकारी और जवान के वेतन में इतना अंतर रहेगा की हमें याद रहेगा की अंग्रेजी बोलने वाला अफसर और गाव की शुद्ध हिंदी बोलने वाला नौकर ही रहता है |

३. कर प्रणाली (Taxation System): ऐसी अद्भुत कर प्रणाली आपको कही नहीं मिलेगी | इस देश में टैक्स पर भी टैक्स लगता है और जनता खुश रहती है | सरकार फिर भी परेशान रहती हैं की अधिक से अधिक जनता इनकम टैक्स नही देती | एक यही कर है जिसपर सरकार का बस नहीं चलता प्रधानमन्त्री जी की दया से अब बैंको के विस्तार से अधिक से अधिक लोग आयकर भी भरेंगे | मजेदार बात ये है किए पिच्यानवे से ऊपर प्रकार के टैक्स लेने वाली सरकार के खर्चे तब भी पुरे नहीं होते और वो कर्ज लेकर घाटे के बजट बना कर सरकार चलती है चाहे राज्य की हो या केंद्र की | खैर अब बैंको के विस्तार के बाद लोग कर्ज लेकर अपना घर भी चलाएंगे इसलिए अब किसी को शिकायत नहीं होगी |
४. पुलिस (Police): वही लाठी वही ३०३ की राइफल हां अब इन्सांस भी आगई है लागत है पुलिस अपनी सी हो गई है | वही धाराए वही नियम किसे परवाह है कानून बदलने की हम तो उनकी तरह बनना चाहते है | किसी को भी उठा सकती है अहिंसक प्रदर्शनकारियों पर लाठिया चला सकती है राम भक्तो पर गोलिया चला सकती है हमारी पुलिस जो १८६० में दोबारा कोई १८५७ का विद्रोह न हो इसलिए बनाई थी एकदम सफल रही और अपना कार्य सुचारू रूप से कर रही है | अतः हमें इम्पीरियल पुलिस के भारतीय पुलिस सेवाओं में परिवर्तित करने का भारत सरकार का धन्यवाद देना चाहिए |

५. अंग्रेजी (English): इस भाषा से तो पूरा देश एक है | वरना हम तो लड़ने भिड़ने वाले राज्य थे | हमारे राजाओ ने तो एक भी किला नहीं बनवाया | अंग्रेजी भाषा में आप हमारा इतिहास पढ़ लीजिये हमारी कानून व्यवस्था न्याय भी हमें इसी भाषा में मिलता है | हमें आती भले न हो पर हम २ शब्द भी बोल ले तो गौरान्वित होते है | अपने बच्चो को हम शिखा, कर्घिनी या संस्कृति के प्रतीकों से परिचित तो नहीं कराते पर बचपन से एप्पल बनाना अवश्य सिखाने लगते है | हमने अपने बच्चो के नाम तो बाद में बदलने आरम्भ किये पहले अपने देश का नाम ही इन्डिया स्वीकार किआ | आर्यावर्त और भारत वैकल्पिक नाम हमारे लिए रहे है और रहेंगे संभव है २-३ पीढ़ी बाद ये नाम लुप्त भी हो जाए | हिंदी अंग्रेजी की मिली भाषा चले और रोमन लिपि चलने लगे |

इसके अतिरिक्त न्यायपालिका से लेकर अनेको तंत्र आदते हमें अंग्रेज देकर गए है | अपने पुरखो के नियम तो हम न चला पाए पर अंग्रेजो के चाय की आदत को हमने अच्छे से लिया | अंग्रेजो को यहा से जाकर अधिक लाभ हुआ के हमें जो हम अपनी तरह के अंग्रेज बन सके | आप देश की वर्तमान समस्याओं को अंग्रेजो की देन से मत जोदियेगा वरना पिछड़े हुए कहे जायेंगे आज के समय में यही सब विकास है | यद्दपि स्वतंत्रता शब्द का सही अर्थ खोजने की हमें आवयश्कता है |

१५ अगस्त : उपगणराज्य दिवस कहिये ना के स्वतंत्रता दिवस

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