यात्रा आरम्भ से पूर्व प्रार्थना मन्त्र
भारतीय समाज में एक लोक्त्ती बड़ी प्रसिद्ध है हर कौन बिस्मिल्लाह नहीं होता | उसका एक कारण ये है सनातन समाज में हर क्रिया के लिए ईश्वर को याद तो किआ जाता है पर हर विषय के लिए अलग प्रार्थना | यात्रा करने से पूर्व ऋग वेद का ये मन्त्र पाठ किआ करे यात्रा सुखद एवं सुरक्षित होंगी |
स्वस्ति पन्था मनुचरेम सूर्याचन्द्रमसाविव।
पुनर्ददताऽघ्रनता जानता संगमें यहि॥
ऋग॰ 5। 51।15
जिस प्रकार सूर्य और चन्द्रमाँ अपने सही मार्ग पर चलते है उसी प्रकार हम भी कल्याणकारी मार्ग पर चले और दानी, अहिंसक तथा विद्वान् पुरुषों का साथ करें ।
Labels: वैदिक प्रार्थना
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