Sunday, 12 February 2017

वजन बढाने और घटाने का एक सामान उपाय

आज कल अंतरजाल (इन्टरनेट) पर वजन बढाने घटाने की औषधियों की बहुत भरमार है | औषधिया अपना कार्य करती है पर यदि कोई ऐसा उपाय मिल जाए जिससे हम जड से इलाज कर पाए तो कितना उत्तम होगा | ऐसा उपाय तो है पर वो औषधि सेवन जितना सरल उपाय नहीं हैं | ये अभ्यास का विषय है पर इस उपाय पर चर्चा करने से पूर्व हम उन कारणों को जानते है जिनके कारण व्यक्ति का स्वास्थ उसके भोजन के अनुकूल नहीं रहता | यदि व्यक्ति दुबला है तो संतुलन बिगड़ा है और यदि कोई व्यक्ति मोटा है अर्थात उसमे चर्बी अधिक है तो संतुलन बिगड़ी है | इन दोनों संतुलन को बनाए रखने के लिए ये समझना होगा की गलत कहा हो रहा हैं | आहार निंद्रा ब्रह्मचर्य तीन अच्छे स्वास्थ के आधार होते है | अतः हम प्रथम एवं मूलभूत कारण पर चर्चा करते है |
लोग कुछ भी खा रहे है और किसी भी क्रम में खा रहे है किसी के ऊपर कुछ भी | गरम पर ठंडा, अम्लीय क्षारीय शारीर प्रयोगशाला बना ली है | बीमारिया होती है तो लोग डोक्टर को पैसा देने पर भी खुश है उन्हें लगता है ये सरलतम उपाय है जीवन का आनंद लेने का | जब की सरलतम उपाय तो ये है की आयुर्वेद के नियमो को जीवन में जितना उतार सके उतना अच्छे स्वास्थ की ओर कदम है | तपस्या करने वाले साधुओ का जंगलो में भी अच्छा स्वास्थ रहता था कैसे ? ऐसा नहीं की वे भरपूर खाते थे जब तक की गले तक छक न जाए | ये तो आजकल का चलन है बस खाए रहो | और वे लोग जो जम के खाते है आपको दुबले भी मिलेंगे और मोटे भी | दोनों के अपने कारण हो सकते है | पर एक ही कारण से उनके शरीर में संतुलन आ सकता है |
जो भोजन लोग कर रहे है उसका एक एक अणु टूट कर व्यक्ति के शरीर में लगे | तो शरीर को पर्याप्त मात्रा में खनिज मिल जायेंगे | हां अब भोजन सही हो न के जहर खाया जा रहा हो | जहर वो जो शारीर में अपाच्य हो अपथ्य हो | तो जो लोग सही खाने पर भी सही वजन को प्राप्त नहीं कर पाते उनके लिए ये उपाय है |
आप दुबले हो या मोटे यदि आप भोजन को चबला कर करते है तो आपको आवयश्कता ही नहीं है किसी दावा की वजन बढाने की | पूर्वजो ने एक कौर बत्तीस बार चबलाने को कहा है | यदि आप बहुत अच्छे से भी प्रयास करेंगे तो आपका निवाला १५-१६ बार चबलाने पर अंदर चला जाएगा | ऐसे में आपको अधिक अभ्यास करना पड़ेगा | यदि आपके दांत अपना कार्य ढंग से नही करते तो आपकी आंतो को वो कार्य करना पड़ेगा परिणामतः आंतो में सुजन कब्ज इत्यादि की समस्या होगी | यदि आप एक कौर को पच्चीस बार भी चबलाने का अभ्यास पंहुचा लेते है तो आपको बहुत ही अच्छे परिणाम मिलने लगेंगे | एक तो आपकी लार भरपूर प्रकार से आपके भोजन में मिल जायेंगी जिस से थोड़े ही पाचक रसो में आपका भोजन पच जाएगा | भोजन बहुत ही सरलता से नीचे उतरेगा | लार के मिलने के कारण इसके अतिरिक्त आयुर्वेद के छोटे छोटे नियमो का निरंतर ध्यान दे | परिणाम आपको तीस दिन के अन्दर दिखेंगे | यदि आपको अधिक खाने का अभ्यास भी है तो भी आप अधिक खा ही नहीं पायेंगे क्यों की सलाईव्री ग्लांड इतनी लार नहीं दे पाएगी, आपका मुह दर्द होने लगेगा और आपकी अग्नि थोड़े भोजन में ही शातं हो जाएगी | इस से वो नियम जिसके अनुसार कहा गया है की भूख से आधा भोजन एक चौथाई जल और एक चौथाई वायु के लिए अमाशय में स्थान रखना चाहिए पालन हो सकेगा | अतः आज से ही इसका अभ्यास करना आरम्भ कर दे परिणाम निश्चित मिलेंगे |

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