महर्षि दयानंद के हिन्दू समाज पर उपकार
बड़ी विडंबना है की जिस व्यक्ति ने सन १८७५ में एक हिन्दू संगठन आर्य समाज की स्थापना की और जो आगे चल कर क्रान्तिकारियो और राष्ट्रवाद की फैक्ट्री बना उन्ही स्वामी दयानंद सरस्वती को हिन्दू संगठन होने का दावा करने वाले संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघठन स्मरण करने से बचते है | आने वाली पीढियों को ऋषि दयानंद के कार्यो को बताया तक नहीं जाता | यहाँ संछेप में हम उनके कार्यो को वर्णन करते है |
१. वेद उद्धार : वेद इतने सर्व सुलभ नहीं होते यदि ऋषि दयानंद न होते | फिर उनका भाष्य जितना भी वे अपने जीवित रहते कर पाए इतना बड़ा कार्य हुआ जिसके लिए हिन्दू समाज उनका सदैव आभारी रहेगा | इस बात में कोई भी संशय नहीं कर सकता की ऋषि दयानंद के भाष्य विश्व के अब तक के किए गए वेद भाष्यों में श्रेष्ठतम वेद भाष्य है | सुप्रसिद्ध लेखक श्री पुरुषोत्तम नागेश ओक का भी इस विषय पर यही मत है |
२. व्याकरण उद्धार : यदि ऋषि दयानंद दंडी स्वामी विरजानंद के व्याकरण के ज्ञान को सही प्रकार न लेते और वे उसे वे सरलता से हम तक उपलब्ध कराने का प्रबंध न करते तो संभव है आज व्याकरण का सूर्य अस्त हो गया होता | पाणिनि मुनि की व्याकरण को जीवित रखने के लिए महर्षि दयानंद का जितना धन्यवाद् दिया जाए उतना कम है |
३. दलित उद्धार : जो आर्थिक और समाजिक कारणों से समाज से पिछड़ गए थे | उन्हें साथ लाने का प्रयास और महत्वपूर्ण बात ये है की ब्राह्मण कुल में जन्मे ऋषि ने ब्राह्मण समाज से सहयोग और समर्थन प्राप्त किआ | कुछ पोप लोगो का विरोध तो स्वाभाविक था पर उनके इस प्रयास से हिन्दू समाज फिर सशक्त हुआ |
४. नारी उद्धार : नारियो की जो दशा थी हिन्दू समाज में उस काल में उसके लिए ऋषि दयानंद ने मूल आधार से प्रयास किआ | कन्या गुरुकुलो का आरम्भ हुआ नारी को वेद शिक्षा | स्त्रियों को स्त्रियों सामान शिक्षा और पुरुषो को पुरुषो सामान शिक्षा के समर्थक जो से गौ हत्या बंद कराने के लिए सीधे लोहा लेना ये ऋषि दयानंद ही थे | ऋषि दयानंद गौ हत्या बंद करने के लिए एक करोड़ लोगो के लक्ष्य को लेकर हस्ताथे स्वामी जी |
५. गौ रक्षा : गौ शालाओं को खुलवाना इसके साथ अंग्रेक्षरी कार्य करवा रहे थे जब अंग्रेजो ने नियोजित षड्यंत्र के अंतर्गत उनकी हत्या करवा दी |
६. स्वदेशी की आवाज उठाना : तिलक हो या गांधी या श्री राजीव दीक्षित सभी एक मत से मानते है की ये स्वामी दयानंद ही थे जिन्होंने स्वदेशी की बात सर्वप्रथम उठाई | स्वदेशी ही स्वाबलंबन का आधार है |
७. स्वराज्य : ऋषि दयानंद ने खुल कर कहा की स्व राज्य ही सर्वोत्तम है | जहा एक ओर राजा आधीन थे अंग्रेजो के वही राजाओ में फिर से शौर्य भरने का कार्य ऋषि दयानंद कर रहे थे | स्वराज्य की बात करना और सन १८५७ की क्रान्ति जैसी पुनः क्रान्ति की तैयारी कर रहे थे ऋषि दयानंद जब उनकी हत्या हुई |
८. आर्य समाज : श्रेष्ठ लोगो का समाज, उन्होंने जो अच्छा किआ वो स्वयं तक नहीं रखा विरासत में आगे बढ़ाया | आर्य समाज ही अधिकतर सशस्त्र क्रान्तिकारियो की क्रान्ति की पाठशाला रही | अंग्रेजो ने आर्य समाज को अपना खुला शत्रु माना | और इसी लिए उन्होंने आर्य समाज को और ऋषि दयानंद को दबाने के लिए छद्म हिन्दू संघठन एवं हिन्दू सन्यासी बनाने की योजना बनाई |
इसके अतिरिक्त ऋषि दयानंद ने लेखन, भाषण, और अनेको कार्यो से समाज एवं राष्ट्र की सेवा की | अब क्या मुझे कोई स्वयं को देश भक्त कहने वाला व्यक्ति बतायेगा की जो संघ विवेकानंद को आदर्श दिखाता है उन विवेकानंद को जो मैक्स मुलर को ऋषि बताते है, प्राचीन ब्राह्मणों को माँसाहारी, स्वयम मांस खाते थे और मांस का समर्थन करते थे, अंग्रेजो से आर्थिक सहायता लेते रहे किस प्रकार हिन्दू समाज के लिए आदर्श है ? क्या विवेकानंद ने गौ रक्षा पर कोई प्रयास किआ ? क्या गुरुकुल शिक्षा प्रणाली पर कोई कार्य किआ ? या स्वराज्य की कोई बात करी ? केवल भाषणबाजी ही देश भक्ति के लिए पर्याप्त है क्या ? यदि ऐसा है तो इन सब कार्यो का कोई अर्थ नहीं | आप विदेश में जा कर पंथ निरपेक्षता का भाषण दे आये और आप महान | आप समाज हित का कार्य करे अपने प्राण न्योछावर करे तो आपकी उपेक्षा | ये कैसा राष्ट्रवाद है ? देश भक्ति के सर्वोत्तम उदाहरण में से महर्षि देव दयानंद का उदाहरण एक है | यदि कोई संघठन ऋषि दयानंद की उपेक्षा करता है तो उस संगठन के मूल श्रोत और आर्थिक ढाचे की जड में जाना चाहिए |
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