Sunday, 19 February 2017

गर्व से कहिये भारत सपेरो का देश

इसरो की अंतरिक्ष में १०४ उपग्रह प्रक्षेपण की सफलता पर जिन्हें भारत की प्रशंसा करनी पड़ी वे भी ताना देते हुए बोले के भारत अब सपेरो का देश नहीं रहा | ये प्रसंशा से अधिक वो अवसर धुंड कर ताना मारना जैसा था की भारत कभी सपेरो का देश रहा | सत्य तो ये है के हमें कुछ भी सुनाने की आवयश्कता नहीं है | भारत वो देश रहा जिसने प्राचीन काल में भी वैज्ञानिक सर्वोच्चता प्राप्त की और आधुनिक काल में भी | सपेरो पर व्यंग आपने अंग्रेजो के मुख से करते हुए समाचार पत्रों में या किसी फिल्म में सुना या पढ़ा होगा | इस विषय पर भी निश्चिंत रहिये के जिस सपेरो के समुदाय की आज दुर्दशा है वे कितने बड़े कारक रहे है एक समय भारत की सुरक्षा के लिए |
इस विषय पर तो आपने सुना या पढ़ा होगा की सपेरे विष वैज्ञानिक है | पर जब मैंने इनकी जन संख्या देखी तो ये विश्वास कर पाना मुश्किल था की इतने अधिक विष वैज्ञानिकों की आखिर क्यों आवयश्कता पड़ गई | इतनी बड़ी मात्रा में विष की आवयश्कता का क्या प्रयोजन हो सकता है | क्यों की भारत स्वस्थ लोगो का देश रहा है अतः इतनी औषधि की भी आवयश्कता नहीं पड़ने वाली | इसके साथ हमें ये भी विचार करना होगा की बिना राज्य के प्रयोजन के कोई वर्ग, कोई समुदाय और कोई व्यवसाय फलता फूलता नहीं है फिर क्यों इतने सारे लोगो ने सर्प पालन और विष विद्या का ज्ञान लेने का निर्णय लिया | निश्चित तौर पर ये व्यवसाय बहुत अधिक लाभदायक रहा होगा एक समय | काल के कुचक्र में फास कर अन्य समुदायों की भाति सर्प पालको की भी दुर्दशा हो गई विशेष कर अंग्रेजो की नीतियों के कारण |
इस विषय को समझने के लिए हमें थोडा पीछे जाना पड़ेगा | मौर्य वंश की नीव रखवाने वाले आचार्य चाणक्य चन्द्रगुप्त को थोडा थोडा विष देते थे ये बात तो अधिकतर लोग जानते है | विष को बाल्यकाल से ही चन्द्रगुप्त मौर्य को थोडा-थोडा देने का प्रयोजन आचार्य का न केवल चन्द्रगुप्त का बल बढ़ाना था अपितु कभी कोई शत्रु विष देना भी चाहे तो चन्द्रगुप्त मौर्य के शरीर में विष कार्य ही नहीं करेगा | यहाँ प्रतिरोधन क्षमता बढ़ाना और बल बढ़ाना दोनों ही महत्वपूर्ण बाते है | फिर चन्द्रगुप्त मौर्य ही क्यों यदि पूरी सेना को नियमित विष दिया जाए सही मात्रा, और सही संयोजको के साथ तो वो अमृत सामान ही होगा | इसी लिए ये सपेरे विष वैज्ञानिक के साथ भारतीयों की महान आर्य सेना के बल को बढाने का कार्य करते थे | सरकार को चाहिए की वो अखिल भारतीय विष विज्ञान संस्थान (All India Institute of Toxicology) की स्थापना करे | इस संस्थान की शाखाए पुरे देश भर में बनवाये और सभी सपेरो को वहां भर्ती किआ जाए विष वैज्ञानिकों के भिन्न-२ पदों पर | आरक्षण कार्य नहीं करेगा लोगो को उनकी योग्यता अनुसार कार्य दे | यहाँ केवल यही वर्ग परिणाम दे पायेगा और इनके परिणामो को आधुनिक विज्ञान के साथ मिलाकर भारतीय सेना को पुनः पूर्व की भाति शक्तिशाली बनाए | जिस सेना ने यूरोप के खूंखार हूणों को बड़ी सरलता से हर दिया | ये विष पीने वाले भगवान् शंकर का देश है यहाँ यदि इन सपेरो का आदर और सम्मान नहीं होगा तो फिर कही नहीं होगा | अगली बार जब आप कोई पारंपरिक सपेरा देखे तो उसके सहयोग की भावना रखे | और सपेरे भी अपने कुल के मिले ज्ञान को संरक्षित करे सरकार आज नहीं कल जागेगी ही |

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