चुनावी घोषणा पत्र पूरा न करने वाले दलों पर हो कानूनी कार्यवाही
सबसे अधिक आवयश्कता देश में लोकतांत्रिक सुधारों की है | भ्रष्टाचार के मूल में वो निति निर्माताओं की चयन व्यवस्था बैठी है जिस के कारण देश की व्यवस्था की नीहास में ही दीमक लग जाती है | कुछ वर्षो से चुनावी लालच सरकारी व्यय पर दिया जाने लगा हैं | चुनाव जिताओ और ये पाओ और वो पाओ, मुफ्त की योजनाओं के नाम पर | इसमें कुछ किआ भी नही जा सकता दल स्वतंत्र है अपनी योजनाये बताने को और जनता स्वतंत्र है उसे कार्य की योजना चाहिए या मुफ्त की योजनाये देने वाली पार्टी |
चुनावी घोषणापत्र वस्तुतः एक बड़ा लिखित समुझौता होता है जनता और राजनितिक दल के बीच में | घोषणापत्र का दुरपयोग कर जनता की भावनाओ के साथ विश्वास के साथ सीधे खेला जाता है | इसमें सबसे आगे है भारतीय जनता पार्टी, जिसने श्री राम मंदिर के विषय को चुनावी घोषणापत्र में रखा, गौ रक्षा के विषय को, सामान नागरिक सहिंता, धारा ३७० को हटाने को पर इनमे से किसी के लिए भी कार्य नहीं किआ | कार्य छोडिये प्रयास भी नहीं किआ | उल्टा लाल क्रान्ति और देश में बढ़ गई है पशुओ की कटाई दिनों-दिन बढती जा रही है | ये स्पष्ट धोखाधड़ी का मामला है जनता के साथ | जनता को जवाबदेही बनती है राजनितिक दल की | और ये विधिक तौर पर होना चाहिए |
चुनावी घोषणापत्र पूरा न करने पर या पूरा करने का प्रयास तक न करने पर राजनितिक दलों पर आर्थिक दंड लगाया जा सकता है चुनाव आयोग द्वारा | या सीधे धोखाधड़ी का मामला जनता के साथ दर्ज किआ जा सकता है ठीक वैसे ही जैसे कोई चिट फंड कम्पनियों के साथ किआ जाता था | बस यहाँ पैसे के स्थान पर जनता का समर्थन लूटा गया है उनकी भावनाओ का प्रयोग किआ गया है | ऐसा करने से कोई भी राजनितिक दल जनता के साथ मजाक करना बंद कर देगा | कोई कुछ भी अपने घोषणापत्र में नहीं लिख सकता है | जो लिखेगा उसको पूरा करने के लिए उसे कम से कम प्रयास तो करना ही पड़ेगा | अब ऐसा करेगा कौन क्यों की सत्ता में बैठा दल स्पष्ट जानता है की घोषणापत्र का सबसे अधिक दुरपयोग वही कर रही है और कर चुकी है, ये विचारणीय है |
Labels: राजनितिक सुधार
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home