द्रौपदी के केवल एक पति था
रामायण, महाभारत के पात्रो
के बारे में हम सब अपने बाल्यकाल से सुनते हुए बड़े हुए हैं | बहुत सी ऐसी बाते जो
हमें कही से भी पच नही सकती उन्हें हमने इतनी बार सुना है की अब उनके विपरीत कुछ
सुनना हमारे लिए कठिन होगा | उनमे से ये भी की द्रौपदी के केवल एक पति था |
क्या है धारणा ?
लोग ऐसा मानते है की
द्रौपदी को स्वयम्वर में अर्जुन जीत कर लाया | जब पांड्वो ने अपनी माता को बताया
की वे स्वयंवर जीत कर आये है तो उनकी माता ने समझा की वे भीक्षा लाये है क्यों की
वे ब्राह्मण वेश में थे उन्होंने कहा आपस में बाट लो | जब उन्होंने देखा के ये तो
स्त्री है उन्हें बड़ा शोक हुआ पर वे तो अब बोल चुकी थी | द्रौपदी एक-एक वर्ष हर एक
के साथ रही और हर रात्री को कौमार्य को प्राप्त हो जाती थी | इस प्रकार की बे
सिरपैर की बात को हमें इतना बताया गया की हमने इस पर विश्वास कर लिया |
क्यों हैं गलत धारणा ?
प्रथम तो किसी भी सभ्य समाज
में ये स्वीकार नहीं होगा | जहा रामायण के आदर्श में लक्ष्मण अपनी भाभी के पैरो के
ऊपर कभी नहीं देखा वही महाभारत के पात्रो का अपनी भाभी के साथ सम्बन्ध बनाना
स्पष्ट दिखाता है की इस प्रकार के अश्लील झूठ को जानभूझ कर फैलाया गया है |
वैदिक परंपरा में तो एक
स्त्री एक पुरुष का ही चलन है | प्रजा की उत्पत्ति और विशेष परिस्तिथियों में
नियोग का प्रावधान हैं | राजनीत में राजसभा के आदेश पर राजा कई विवाह करने को विवश
हो जाते थे | ब्रह्मचारियो को तो राजपद दिया भी नही जाता था और यदि राजा की पत्नी
पाच पतियों वाली होगी तो प्रजा का क्या होगा ? प्रजा में व्यभिचार फ़ैल जाएगा प्रेम
का भाव तो समाप्त ही हो जाएगा | श्री कृष्ण जैसा महायोगी ऐसे अधर्म को भला कैसे
स्वीकार कर लेगा | ये सारी फ़ालतू की बाते बाद में डाली गई हैं |
सबकी अपनी पत्निया थी
पांचाल नरेश द्रुपद की
पुत्री होने के कारण द्रौपदी का नाम पांचाली एवं द्रौपदी पड़ा | पांड्वो में सबकी
अपनी पत्निया थी | द्रौपदी केवल युधिष्ठिर की पत्नी थी | भीम की हिडम्बा थी,
अर्जुन के दो विवाह हुआ थे अतः उनकी पत्निया श्री कृष्ण एवं बलराम की बहन सुभद्रा
एवं पाताल प्रदेश (अब अमेरिकी महाद्वीप) की राजकुमारी उलूपी थी, नकुल की करेणुमति व
सहदेव की विजया थी |
स्वयंवर में तो अर्जुन ने
जीता था द्रौपदी को ?
स्वयंवर में अर्जुन ने जीता
था क्योकि वो स्वयंवर रखा ही गया था पांड्वो से संपर्क करने को | इतनी कठिन
परीक्षा केवल अर्जुन जैसा धनुर्धर ही उत्तीर्ण कर सकता था अन्यत्र कोई नहीं | नीचे
परछाई देख कर ऊपर गतिमात कृतिम मछली की आँख में निशाना लगाना किसके वश का था |
पांड्वो के ब्राह्मण वेश में आने पर स्वयंवर जीतने से उनकी पहचान विद्वानों में
छुपी नही रह सकती | पांड्वो का प्रतिनिधित्व अर्जुन ने किआ | बड़े भाई के रहते छोटा
भाई विवाह नहीं करता ये परंपरा तो अभी भी भारतीय समाज में है तब उस समय कैसे भला
अर्जुन को विवाह के लिए आगे कर दिया जाता | महाभारत एक राजनितिक गाथा है | और उसके
पात्रो द्वारा लिए गये निर्णय भी राजनितिक ही थे | पांचाल प्रदेश एक बड़ा प्रदेश था
और उस से जुड़ने से पांड्वो को पुनः शक्ति संचरण का मार्ग मिला |
आपस में बाट लो, क्यों गलत है ?
माता ने कह दिया और लडको ने
मान लिया | बाहर आकर माता पुनः बोल सकती है की मैंने बिना देखे बोल दिया पत्नी कोई
बाटने का विषय है | रक्षा तो पाचो वैसे भी करेंगे | क्या द्रौपदी इतनी कमजोर थी जो
अपनी भूल न मान सके यदि ऐसा होता तो कर्ण की उत्पत्ति की भूल के लिए वे पश्चाताप
को न जाती फिर यदि उन्होंने ऐसी भूल करी तो पश्चाताप क्या किआ | हम धर्म से जुड़े
विषय से चिंतन नहीं करते और बड़ी ही सरलता से अनावश्यक बातो को बिना छानबीन के
स्वीकार कर लेते है |
युधिष्ठिर का अपराध
युधिष्ठिर के जीवन का एक ही
अक्षम्य अपराध था द्रौपदी को दांव पर लगा दिया | युधिष्ठिर ने ही लगाया क्यों की
वो उनकी पत्नी थी पर ये अपराध इसलिए था क्योकि पत्नी तो साथी होती है पति के मोक्ष
में सहायता का द्वार होती है पति उसका मालिक नहीं होता अपितु सहगामी होता है |
युधिष्ठिर की बुद्धि और विवेकशुन्यता का अनुमान लगाया जा सकता है
अधिक शोध हेतु महाभारत का आदि पर्व देखे Labels: इतिहास
1 Comments:
उनके पांच पुत्र कैसे हो गए
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