नेता जी की मृत्यु के चौकाने वाले रहस्य
स्वतंत्रता के महानायकों
में से एक नेता जी शुभाष चन्द्र बोस का नाम है | आपको वीर सावरकर से रास बिहारी
बोस से मिलने की प्रेरणा मिली जिन्होंने जापान में सेना बना रखी थी | नेता जी जब
जापान पहुचे रास बिहारी बोस ने सेना का नेतृत्व नेता जी के हाथो में दे दिया |
सिंगापूर से ये आई.एन.ए का मोवमेंट शुरू हुआ | ब्रिटिश इंडियन आर्मी और आई.एन.ए के
बीच लम्बा संघर्ष रहा | १९४५ में जापान के सरेंडर के पश्चात आई एन ए डिसबैंड कर दी
गई |
मृत्यु का रहस्य
१८ अगस्त को फोर्मोसा जो की
अब ताईवान में है नेता जी का विमान नष्ट हो गया और नेता जी की मृत्यु हो गई | जापानी मिडिया ने इस खबर को फैलाने में सहायता की |
उस
समय भी लोगो को ये विश्वास करना अत्याधिक कठिन था | ताइवान सरकार ने भी ये माना है की उस उनके यहाँ किसी प्रकार का कोई विमान हादसा हुआ ही नहीं |
उसके बाद से कई तरह के नए नए सिद्धांत
आये नेता जी की मृत्यु से जुड़े |
नेता जी भाग निकले और रूस
में रहे जहा १९५३ में वे स्टालिन की कैद में रहे |
रूस में वे १९६८ तक रहे और ये
तथ्य गुमनामी बाबा से से कही से भी नहीं मिलता है | इकोनोमिक टाईम्स में छपी एक
रिपोर्ट
इसी विषय पर मेजर जनरल जी
दी बक्षी ने अपनी पुस्तक "Bose:
The Indian Samurai - Netaji and the INA Military Assessment". बोस दी इंडियन समुराय – नेताजी एंड दी आई.एन.ए मिलिट्री
एसेसमेंट में लिखा की रूस में नेता जी को दर्दनाक तरीके से मार दिया गया |
क्या गुमनामी बाबा नेता जी थे ?
ये भी बात बहुत प्रचलित है
की गुमनामी बाबा ही सुभाष चन्द्र बोस थे | नेहरु की मृत्यु के समय भी वे देखे गए |
ये विषय भी स्वीकार नहीं क्यों की नेता जी यदि भारत वापस आये तो उनके साथ जनता का
पूरा समर्थन रहना तय था | ऐसे में भले ही नेहरु ने उन्हें वार क्रिमिनल स्वीकारा
हो जनता के रहते नेता जी को कोई सजा नहीं दी जा सकती थी | ख़ास कर तब जब आज़ाद हिन्द
फौज के सिपाहियो को स्वतंतत्रता सेनानी माना जाता है |
एक तीसरा कोण
कुछ वर्ष पूर्व एक सज्जन
जिनकी दूकान से मैं घड़ी ठीक कराने जाता रहता था उनसे अच्छा परिचय हो गया | हाला के
वे संघ के ही एक बहुत ही उच्च स्कुल के ही उत्पाद थे | मेरे पिता जी अभी भी चाभी
देने वाली घडी प्रयोग करते है इस कारण से उसकी सर्विसिंग करानी पड़ती है समय-२ पर बौद्धिक
चर्चाये होती रहती थी उनसे नेता जी के विषय में भी हुई |
तब उन्होंने बताया के वे
१९८६ में इंडोनेशिया गए थे | वहा आज़ाद हिन्द फ़ौज के कमांडर डब्लू तेजुमल से मिले |
उन्होंने चौकाने वाली बात बताई और अपनी बात बताते-२ डब्लू तेजुम्ल रो पड़े |
उन्होंने बताया की नेता जी
ताइवान से हवाई जहाज से नहीं पनडुब्बी से गए थे | उस पनडुब्बी में उनके साथ
गद्दारी करी गई | एक मुस्लिम और एक सक्सेना अधिकारी अंग्रेजो के साथ मिल गए |
उन्हें पनडुब्बी के अन्दर ही उनकी आँखों के सामने तुरंत ही गोली मार दी गई | उनकी
लाश भी बाहर न आने पाए इस कारण से उसे टुकड़े-२ कर के समुन्द्र में बहा दिया गया |
ये सुन कर मन बड़ा विचलित सा
हुआ | इतने वीर व्यक्ति का ऐसा अंत नहीं बनता | मृत्यु तो कम से कम सम्मान की होनी
चाहिए | उन सज्जन ने जब डब्लू तेजुमल से कहा की ये बात दुनिया को बताये तो उन्होंने
कहा के उन्हें मरवा दिया जाएगा | नेहरु उन्हें आज़ाद हिन्द फ़ौज के खजाने के विषय
में पूछने के लिए कई बार बुलाती रही पर वे जानते थे की नेहरु उन्हें मरवा सकते है
|
अब जरा इस पुरे विषय पर
चिंतन करते है |
अंग्रेजो ने मसोलिनी को
तुरंत ही मार दिया था | हिटलर ने आत्महत्या कर ली थी ऐसा माना जाता है पर उसके
नजदीकी कमांडर तुरंत मार दिए गए थे | यद्दपि हमारे लिए सुभाष जी के आगे हिटलर मस्सोलिनी
कही भी नही है पर अंग्रेजो के राजनितिक दृष्टिकोण से हमें ये मान सकते है के
अंग्रेजो ने उसी समय उनकी हत्या करवा दी हो और बाद में जनता शांत रहे इस कारण से इस
प्रकार से प्रचार किआ की जैसे उनके हाथ कोई लगा ही न हो | अंग्रेजो के पास
प्रपोगैंडा का विभाग तो रहा ही था युद्ध के समय |
अब इस उन सज्जन की बात को
पुष्टि करने के लिए हमें सर्वप्रथम वो सूची चाहिए जिसमे आजाद हिन्द फ़ौज के कमांडरो
में क्या किसी डब्लू तेजुमल का नाम का कोई अधिकारी रहा ? क्या इस नाम का व्यक्ति
इंडोनेशिया में पुनर्वास का जीवन जी रहा था ? क्या अंत समय कोई मुस्लिम और सक्सेना
उपनाम का अधिकारी नेता जी के साथ था ?
नेता जी को जर्मनी से
पनडुब्बी उपलब्ध हुई थी उन्हें अन्य पनडुब्बी कहा से उपलब्ध हुई ?
नेता जी फ़ौज का खजाना कहा
गया ? निश्चित तौर पर वो अंत समय तक उनके साथ रहा होगा तो
क्या ये संभव है के उनके
साथी अधिकारियो में से कुछ लालच में आकर अंग्रेजो के ख़ुफ़िया विभाग से मिल गए और
नेता जी के साथ गद्दारी कर दी ? आखिर अंग्रेजो ने ये देश गद्दारों के बल पर ही तो
जीता और इस पर शासन बनाए रखा | नेहरु सरकार का ब्रिटिश सरकार को ये कहना के नेता
जी युद्ध अपराधी थे एक राजनितिक नाटक हो सकता है राजनीत नाटक से ही चलती है |
नेता जी पर ऐसे कई लोग है
जो वर्षो से शोध कर रहे है मेरा उनसे निवेदन है के वे इस विषय पर भी खोज करे |
Labels: इतिहास
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