१. बैंकिंग : जिस पर बैंकिंग का विस्तार किआ गया है |
जितना बैंको का विस्तार होगा उतना मुद्रा का अवमूल्यन होगा उतनी महगाई बढ़ेगी
परिणामतः गरीबी बढ़ेगी | संछेप में बैंक आपकी बचत से नहीं अपने बाटे कर्ज से चलते
है | उसी कर्ज से सडको पर मोटर साईकिले और मोटर गाडिया दिख रही है | जितना
पेट्रोल/डीजल की खपत बढ़ेगी उतनी मांग बढ़ेगी मूल्य बढ़ेगा | तेल के लिए डॉलर चाहिए
और रुपया टूटेगा, महगाई बढती जाएगी | ऋण की दरों से पूरी अर्थव्यवस्था नियत्रित
होती है | जो भी क्षेत्र उठाना होता बैंक उसकी दरे गिरा देता | बैंक रिसर्व बैंक
में एक निश्चित मूल्य रखता सी.आर.आर दर जो ५ प्रतिशत के आस पास होता है | यानी अगर
बैंक डूब गया तो आपको केवल आपके जमा के उतना ही मूल्य मिलेगा जितना कैश रिसर्व
रेशियो अनुसार उस बैंक ने जमा किया होगा | नरेगा के माध्यम से किसानो के खाते
खुलवाए गए है विमुद्रीकरण के नाम पर जबरदस्ती लोगो को बैंक से जोड़ा गया है | अब ऋण
व्यवस्था का विस्तार कर के दासता और बढ़ेगी |
विकल्प : बैंको के कर्ज से बचे | हर प्रकार के ऋण
से बचे अपनी आव्यश्क्ताये न्यून रखे या आय को विस्तारित करे |
२. कट्टरपंथ : सरकारी आकडो के अनुसार २०६० में भारत में
मुस्लिम और हिंदू आबादी ५०% के बराबर हों जाएगी | मुस्लिम वृद्धि दर लगभग ३४
प्रतिशत है जब के हिंदू वृद्धि दर १९ प्रतिशत है कुछ वर्ष पूर्व के आकडो अनुसार |
वर्तमान में भारत में २५ करोड मुस्लिम आबादी मानी जा रही है | ६-८ करोड
बांग्लादेशी घुसपैठिये बसे हुए है | अनावश्यक विरोध किसी भी समाज का ठीक नहीं |
अनावश्यक कट्टरता भी ठीक नहीं फिर चाहे वो हिन्दुओ की हो या मुस्लिमो की | आज के
समय में ध्रुवीकरण की राजनीत की जाती हैं दोनों ध्रुवो को नियंत्रित करने वाला एक
ही होता है जिनके हित छुपे रहते हैं लोगो
की आपसी हिंसा में |
विकल्प : जनसँख्या नियंत्रण, आर्य शुद्धि सभा का निर्माण | जैसे स्वामी श्रद्धानंद जी के नेतृत्व
में ४ वर्षों में २०७८७३८
मुसलमानों की शुद्धिया की गई थी | शुद्धि सांस्कृतिक आक्रमण का स्थायी विकल्प है
परन्तु मिलजुल कर रहना भी परम आवश्यक है | विचारधारा किसी पर थोपी नहीं जा सकती
यही वैदिक और ऋषियों की व्यवस्था है अतः हिन्दू और मुस्लिमो का आपस में व्यापार
ताकि भविष्य में एक दुसरे के आर्थिक हित सधे रहे |
३. प्रलोभित ईसाईकरण : इस्लामीकरण के संकट से लोग डर जाते है या
कहे डराए जाते है, बढते दंगो, अपराध और लूटपाट से वही ईसाईकरण की वृद्धिदर दबे
पाँव बढती जा रही है क्योकी लोगो का ध्यान नही जा रहा | बड़ी समस्या ये है के इसका
समाधान शुद्धि भी नहीं क्यों के अधिकतर ईसाई धर्मान्तरण धन या संसाधनों के लालच
में की जाती है |
विकल्प : अन्धविश्वास निर्मूलन के साथ-२ रोजगार सृजन, आर्यो(हिंदू) के
दान का सही प्रयोग, कम मूल्य पर गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा, निशुल्क स्वास्थ संसाधन
इत्यादि देने होंगे |
४. नक्सली/साम्यवाद : साम्यवाद यानी कम्युनिस्म के नाम पर
कितना रक्त बहाया गया है ये सर्विदित है | भारत में २०० से ऊपर जिलो में नक्सली
सेना खड़ी है | इनके नीचे से उपर तक अधिकारी होते है, जिन्हे पद अनुसार वेतन मिलता
है | २००० करोड रूपये से उपर का रक्षा बजट पास होंता है | ये धन विदेशी कंपनियों
के गठजोड़ और छोटे व्यापारियों से फिरौती प्राप्त होता है | राजनितिक संरक्षण के
रहते नक्सली सशक्त होते जाते है | इस कम्युनिस्ट नक्सली विचारधारा का ध्येय जंगलो
से निकल नगरों की ओर आने का हैं | रूस में बोल्शोविक क्रांति में हुआ दिल्ली पर
अधिकार कर के पुरे देश पर अधिकार किया जाए यद्दपि इस तरह के उनके विचार अनावश्यक
है देश की सेना सशक्त है | ईसाई आतंकवाद व अलगाववाद की आग में पूरा पुर्वोतात्तर
जल रहा है | समस्या सरकार तभी जागती है जब ७०-१०० जवान मार दिए जाते है | नक्सली
अब जंगलो की रक्षा नही कर रहे कुछ गुट कर भी रहे हो तो भी वहा विदेशी कंपनिया खनन
कर रही है |
विकल्प : आदिवासी क्षत्रो में पहुच कर उन्हें वैदिक विकेन्द्रित
अर्थव्यवस्था से साक्षरित बनाना और राजनितिक विकल्प खड़ा करना | सरकार उन्हें स्वायत्तता
दे और सनातन संस्कृति की व्यवस्था कोसमाप्त करने के स्थान पर आगे बढ़ने दे |
५. देशी/विदेशी पूंजीवाद : लोगो को स्वरोजगार को जाग्रत ना कर के
छोटे उद्योगों को प्रोत्साहित ना कर के देशी व विदेशी पूंजीवाद के माध्यम से नौकरी
के नाम पर दास बनाया जा रहा हैं | रोजगार सृजित हो ये उत्तम है पर उस से भी उत्तम
है लोग अपना कार्य करे न ही लोगो को ऐसी शिक्षा मिलती है न ही माहोल | अनुपयोगी
वस्तुओ को प्रलोभन और नारी प्रयोग द्वारा विज्ञापित किया जाता और शिक्षा के माध्यम
से उनकी सोचने की क्षमता क्षीण की जा रही | लोगो का स्वास्थ खराब कर के फिर
दवाइयों के जाल में फसा कर और बीमार किया जाता है | आपके देश में महगाई बढ़ाने के
लिए आपका ही प्रयोग किया जाता है | हमारे समृद्ध समाज में जो लोहार, चमार, शिल्पकार,
नाऊ, बढ़ई, दाई इत्यादि* उद्योगपतियो से लेकर वैद्य, शिक्षक जैसे सर्वसुलभ और दानी
समुदाय को खत्म कर के कम्पनी बना बना कर वैदिक विकेन्द्रीकरण को तोडा गया है |
विकल्प : वैदिक अर्थव्यवस्था को पुनः लाया जाये तब ही देश में स्वर्ण
बहेगा महगाई नियंत्रित होगी |
६. सांस्कृतिक पतन : फिल्म, सिनेमा, इन्टरनेट पर पोर्न,
और कुछ भी वस्तु बेचने के लिए नारी को वस्तु की भाति परोसना इत्यादि | धार्मिक
साक्षरता और संचार माध्यमों से महापुरुषों के जीवन चरित्रो को प्रस्तुत कर के ही
इस से निपटा जा सकता है | नैतिक शिक्षा के अभाव में अपराध बढ़ेंगे, अन्धविश्वास
बढ़ेगा, कोई कुछ भी नया लाकर लोगो को मुर्ख बनाएगा | इसका विकल्प है लोगो को
विवेकशील बनाने के लिए वेदों की शिक्षा का प्रचार प्रसार ही एक मात्र समाधान है |
विकल्प : नाट्य मंचों के माध्यम से, संस्कृत और वैदिक संगीत के माध्यम
से, अंतरजाल से, लेखो से, पुस्तकों के प्रचार से भाषणों एवं संवादों से समाज के हर
वर्ग को वैदिक व्यवस्था की श्रेष्ठता बताई जा सकती है |
७. अवैदिक शिक्षा : वर्तमान शिक्षा अधिकाधिक शुद्र(श्रामिक)
बनाने की है | वैदिक व्यवस्था समाज में योग्यता अनुसार व्यक्ति का चरित्र निर्माण
करती थी | गरीब अमीर के बालक साथ बढते थे | लोगो के अपने व्यवसाय थे बजाये दूसरों
के आधीन कार्य करने के | केवल राजा की नौकरी ही श्रेष्ठ मानी जाती थी क्यों के वो
राष्ट्र सेवा होती थी | उच्च नैतिक मूल्य और चरित्र होते थे और लोग जीवन का ध्येय
नही भूलते थे | समाज में आर्थिक और नैतिक समृधि के साथ-२ अध्यात्मिक समृधि भी थी |
अभी तो अंग्रेजियत की लहर उची ही होती जा रही है |
विकल्प : इतिहास का सही लेखन शोधन साथ पुनः गुरुकुल व्यवस्था को लाना
होगा और राष्ट्र का सही इतिहास बालको को बताना होगा अन्यथा कुछ समय बाद राष्ट्र
भक्त होना बंद हों जाएँगे और सेना में लोग सिर्फ वेतन के लिए ही जाएँगे |
८. लोकतंत्र : जैसे-२ देश में लोकतंत्र की वर्तमान
व्यवस्था की जड़े मजबूत होगी देश में महगाई, अपराध, नैतिक पतन, विघटन, विदेशी
नियंत्रण और ऊपर बताई समस्याओ के साथ-२ अनेको समस्याए बढती जाएँगी | दुनिया की
सबसे निकृष्ट व्यवस्था है लोकतंत्र | द्वतीय विश्वयुद्ध में जापान के २ महानगरों
को परमाणु विस्फोट से नष्ट कर के लाखो मनुष्यों की हत्या कर दि गई सिर्फ इसलिए के
जापान का राजा राजपद छोड़ के लोकतंत्र स्वीकार कर ले | गरीब लोकतांत्रिक देशो में
धनवान देशो का नियंत्रण सबसे सरल है | किसी भी देश को नियंत्रित करना है तो उसकी
अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करिये और अर्थव्यवस्था के लिए बैंक और बाजार ये २
माध्यम है | देश में ऐसी सरकारे बनाई जाती है और रही है जो विदेशियों को खुले दिल
से आमंत्रित करती रही और देश में गरीबी बढ़ाती चली गई | लोकतंत्र में कोई नेता नहीं
होता | अतः हमें पुनः वैदिक संसदीय प्रणाली लानी होगी राष्ट्र का निर्माण करने के
लिए ऋषि प्रणित वैदिक प्रजतंत्र व्यवस्था लानी होगी |
विकल्प : इसी लोकतंत्र में सुधार करे जाए | चुनाव के बाद महगाई बढ़ने के
स्थान पर घटे तब तो लोगो को लाभ मिले सरकार बदलने का | लोग घर बैठे वोट कर सके वोट
के लिए ३० दिन का समय दिया जाए इस बीच लोग तीन बार अपना वोट बदल सके | एक व्यक्ति
के चरित्र के अनुसार उसके वोट का मान किआ जाना चाहिए | एक शैतान और साधू दोनों के
मत का मान एक नही होना चाहिए |
राम राज्य सिर्फ वैदिक राष्ट्र में संभव है जहा राष्ट्र की संसद
पर ओ३म् का भगवा ध्वज लहराए और वेद मंत्रो से सदन का आरम्भ व समापन हों | अतः
हमारी समस्याओ का समाधान है वैदिक राष्ट्र का निर्माण |