जनता की समस्या काला धन नही भ्रष्टाचार है : राय बदले
बैंकिंग व्यवस्था पर तब से लिखना चाह रहा था जब से भाजपा के प्रधानमन्त्री ने बैंकिंग व्यवस्था का विस्तार आरम्भ किआ था | पर समय अभाव के कारण लेखन गति मंद हो गई है | नोट बंदी पर लिखने में भी आलस्य ही करता आरहा हु | जितना समझता आया हु कौन समझाए जनता को, जनता तो भावनाओं पर चलती है ज्ञान पर नहीं | ज्ञान पर चलने वाली जनता होती तो एक से एक धुरंधर नेता हमें प्राप्त नहीं होते | माननीय प्रधानमन्त्री ने आठ नवम्बर को एकदम से नोट बंद कर दिए | तर्क ये दिया गया की इस से नोट परिवर्तन करने का या कहे ठिकाने लगाने का अवसर नही मिलेगा | इस विषय के एक-एक पहलु पर हम चिन्तन करते है |
५०००-१००० के नोट बंद करना : सरकार की मंशा
कोई कार्य कितना भी महान क्यों न हो यदि करने वाली की मंशा गलत है तो परिणाम भी अच्छे नहीं मिलने वाले | सरकार कोई भी हो कार्य वही किये जायेंगे जो करने है बस करने के तरीके अलग होंगे | यही कार्य यदि कांग्रेस करती तो शायद सरकार ही गिर जाती जब की ये योजना कांग्रेस की ही थी National Payment Corporation of India, कांग्रेस का बनाया हुआ है और सारा वित्तीय लेनदेन एलेट्रोनीक माध्यम से हो सरकार की यही मंशा है | भाजपा और कांग्रेस दोनों अच्छा नाटक करते है, पर कहना पड़ेगा, "भाजपा एक अच्छा विपक्ष है और कांग्रेस एक कमजोर विपक्ष"|
जो सरकार दो साल से शांत थी उसे एकदम से काला धन काला धन कहा से याद अगया तो मेरा पहला आंकलन है
यू.पी चुनाव
उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव में भाजपा को उनका मतदान मिलेगा जिनके पास पैसा ही नहीं रहता | यादव और मुसलमानों का पिछड़ा वर्ग छोड़ के काछी वर्ग जुड़ेंगा, मौर्या को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का पूरा लाभ मिलेगा | उधर दलित में चमार वर्ग छोड़ दे तो वो वर्ग आएगा | ध्यान देने योग्य ये बात है की यही वो वर्ग था जिसके कारण उत्तर प्रदेश में इनके ७२ सांसद बने थे | यदि ७२ सांसद न होते तो सरकार पूर्ण बहुमत की न बन पाती | पर भाजपा उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने की इच्छुक नहीं दिखती अन्यथा वो मुख्यमंत्री का चेहरा सामने करती | योगी आदित्यनाथ को सामने करने की मांग उठी पर उसे बढ़ने नहीं दिया गया | उत्तर प्रदेश में चुनाव जातिगत आधार पर ही होते रहे है और उसी आधार पर जीत हार होगी | यदि भाजपा मुख्यमंत्री का चेहरा और राम मंदिर का विषय लेकर आती है तो निश्चित तौर पर एक साफ़ छवि के साथ लोग आएंगे | लेकिन मोदी को लेकर प्रदेश का चुनाव लड़ने का अर्थ २०१९ का चुनाव जीतना है न के २०१७ का | सरकार बन गई तो श्री राम मंदिर बनवाना पड़ेगा जो भाजपा करना नहीं चाहेगी | मंदिर बना तो सी आई ए सरकार चलने भी नही देंगी इनकी | मुसलमान मंदिर के इतने विरोधी नहीं जितने के इंग्लैण्ड और अमेरिका में बैठे खुफिया एजेंसी के लोग | श्री राम मंदिर का बनाना भारत के लोगो का स्वाभिमान जागने जैसा होगा फिर वे अपने इतिहास को धुंडने लगेंगे अन्य परिवर्तन को भी कहेंगे | सी आई ए, वैटिकन व अन्य विदेशी ताकते ये तो सदैव चाहेंगी हिन्दू श्री राम मंदिर के नाम पर लड़े पर ये नही चाहेंगी के हिन्दू जीते | फिर उत्तर प्रदेश में बिना पैसे के लड़ाई जीतना और भी कठिन कार्य है | तो तत्परता की मंशा उत्तर प्रदेश का चुनाव में मत प्रतिशत बढ़ाना है इसमें बिलकुल भी शंका न करे |
नरेंद्र मोदी द्वारा मुख्यमंत्री काल में रिश्वत लेने के दस्तावेज सामने आना
कई राज्यों में चुनाव सर पर अगर विरोधी दल ऐसा कोई दस्तावेज लेकर सामने आते तो प्रधानमन्त्री की छवि तार-२ तार हो जाती | मत प्रतिशत तो दूर की बात है २०१९ का चुनाव भी गया था और जिन लोगो ने नरेंद्र मोदी पर पैसा लगाया है वे कम से कम १० साल कुर्सी पर चाहेंगे ताकि उनको पूरा लाभ मिल सके |
इनकम टैक्स रेड में प्राप्त दस्तावेजो में मोदी का नाम आना पूरी भाजपा को तो ले ही डूबता अगर विपक्षी इस मुद्दे को भुना पाते साथ में उनको भी जिन्होंने २०१४ के चुनाव में प्रधान मंत्री पर पैसा लगाया है | इसलिए ऐसा मुद्दा के अब कौन सुनेगा के कहा नाम आया पहले तो आदमी खुद में ही परेशां है फिर ऐसा कुछ आया भी तो लोग ध्यान नही देंगे साजिश समझेंगे या बस कुछ सोचेंगे ही नहीं |उन्हें बस सब अच्छा दिखेगा उसका कारण भी है के सशक्त निर्णय लेने वाले व्यक्ति को उसके आलोचक भी पसन्द करते है और देश में लम्बे समय से ऐसे नेता की कमी रही है जो ठोस निर्णय लेता हो श्रीमती इंदिरा गांधी के बाद विशेष तौर पर |
बैंकरो को सीधा लाभ
क)स्वर्ण का मानक समाप्त करने का षड्यंत्र
अमेरिका में ये १९१३ में हुआ और वहां कई बड़े नेताओ की हत्या हुई इसी विषय को लेकर परिणाम आज विश्व बैंक बन गया आई एम् ऍफ़ बन गया | पूरी दुनिया डॉलर के षड्यंत्र में फसी हुई है | यद्दपि ये मेरा अनुमान ही है की सरकार इस मंशा को पूरा करने के लिए भी ऐसा कर सकती है | बाजार में जितना पैसा था वो वापस नही आने वाला | बहुत सा पैसा नष्ट हो जाएगा ऐसे में भविष्य में जब धन की आवयश्कता होगी तो सरकार कहेगी इतना सोना नहीं जितनी मुद्रा चाहिए और जो रुपया जिसे लेगल टेंडर विधिक निविदा माना जाता है एक बिल में परिवर्तित हो जाएगा | ये थोडा सा समझने वाला विस्तारित विषय है इस पर विस्तार फिर कभी |
ख) नोट छापने के मूल्य में लाभ देना
कुछ वर्ष पूर्व मैंने नोट छपाई के विषय में सूचना के अधिकार के अनतर्गत जानकारी मांगी थी आर बी आई से | उत्तर आश्चर्य करने वाला था जिसको सार्वजानिक करना बाकी हैं |
जिन बैंकरो को १००० का नोट छपने में पैसा लगता है अब उन्हें कम लागत में दुगने मूल्य का छापने का अवसर मिलेगा | नए नोट छपाई से आय भी बढ़ेगी क्यों की नए नोट छापने को मिलेंगे पुराने नोटों को बेचा जाएगा सो अलग |
ग) बैंकरो को नोट छपने के झंझट से मुक्त करना
फिर नोट छापने को खर्च ही क्यों करना यदि लिखा पढ़ी में ही नोट रहे | अब समझे स्वर्ण के मूल्य से मुक्त रहे धन, फिर कम से कम छपाई पड़े और फिर नोट छपाई में पैसा ही न पड़े | यानी बैंकर माफियाओं को सीधे ही पूरी अर्थव्यवस्था हाथ में रहे कब कहा किसका खाता सील करना है सब कुछ नियंत्रण में रहे और बहुत तेज़ी से लोग ई विनमय की ओर आएंगे | उस आर टी आई को पढेंगे तो मैंने एक पूर्व इनकम टैक्स कमिश्नर के खुलासे का ब्यौरा दिया है जिस से यही समझ आरहा था के नोट छापने वाले ही नकली नोट बना रहे | इसी लिए अंतर स्पष्ट नही हो रहा असली नकली का | आप को जब तक समस्या नही होगी आप ई करेंसी पर नही आएंगे |
सरकारी खजाना भरना
कौन राजा राजकोष को भरना नहीं चाहता सदैव से ये रोना था | मनमोहन सिंह ने १९९४ में ५ प्रतिशत सर्विस टैक्स आरम्भ किआ था बढ़ते-२ १५ प्रतिशत से ऊपर हो गया है मोदी जी एक दिसम्बर से ई-ट्रानसैक्शन में भी जोड़ दिया है इसे | क्या सरकार ने अपने खर्चे कम किये ? नहीं अपने खर्चे बढाए और जनता पर टैक्स वही कार्य जिनके कारण राजतंत्र जैसी श्रेष्ठ प्रजातान्त्रिक प्रणाली बदनाम हुई भोग विलास का बस तरीका बदल गया | सुरक्षा, विदेश यात्राये, भत्ते इत्यादि-इत्यादि अब इनके लिए खर्चे कौन पुरे करेगा आप ही करेंगे पर आप लोग तो पैसा बचाते है जोडू लोगो का देश है तो आप की बचत बाहर निकालने का इस से आसन क्या तरीका होगा और उसका भी हिसाब दे | पर अंग्रेजो के जाने के बाद भी लोगो को अपने मूल अधिकार नही पता
सरकार लोगो को अपना पैसा कहा रखना है इसके लिए बाध्य नही कर सकती | ये उनकी स्वतंत्रता का उल्लघंन है | पहले आप लोगो को दण्डित कर रहे है की उन्होंने खाता नहीं खोला और जिन्होंने खोला उनका पैसा वो नहीं निकाल सकते | स्पष्ट है की दोनों ही परिस्तिथियों में लोगो के अधिकार का हनन हो रहा है |
अधिक से अधिक जनता को आयकर सूचना देने की सूची में लाना
२०१३ की सी एन बी सी रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग ३ प्रतिशत लोग आयकर रिटर्न फ़ाइल करते है | उनमे से १ प्रतिशत ही कर देते है | भारत का टैक्स टू जी.डी.पी रेशियो १७ प्रतिशत यानी वो एक प्रतिशत इतना धन दे देते है के कुल सकल घरेलु उत्पाद का १७ प्रतिशत हो जाता है यानी के कितने शक्तिशाली लोग है और बहुत ही थोड़ी संख्या में | अब बहुत बड़ा वर्ग आयकर देना शुरू करेगा | आयकर ही था जिस से जनता बच रही थी अन्यथा देश का भीखारी के कटोरे में भी कर लग कर ही मूल्य चूका होता है इस्पात के कटोरे बनाने की क्रिया में |
परन्तु जनता क्यों खुश है ?
जनता भोली है, भोली इसलिए क्यों की भावनाओ से कार्य लेती है | मनमोहन सिंह १० वर्ष प्रधान मंत्री रहे और उनकी छवि एक कमजोर प्रधानमंत्री की बन गई लोग उन्हें पसंद करते है जो कठोर निर्णय लेते है | ऊपर से मोदी का भाषण ये लोग मुझे छोड़ेंगे नहीं किन किन लोगो से मैंने बैर लिया है इत्यादि-२ | आपकी सुरक्षा पर इतना खर्चा हो रहा है प्रधानमन्त्री जी यदि आपसे अमेरिका को वास्तव में खतरा होता तो आपकी सरकार २ वर्ष चलती ही नहीं | आप गौ रक्षा का कानून ले आये होते आते ही तो देखते कैसे मिडिया को आपके विरुद्ध कर दिया जाता और सम्भवतः सुब्रमण्यम स्वामी जैसे को हिन्दूवादी बना कर आगे कर दिया जाता | जिन्होंने लोकतंत्र की परिकल्पना करी उनके वंशजो को इसे नियंत्रण करना बड़ी सरलता से आता है | लाल बहादुर शास्त्री और मुरार जी उदाहरण है एक तो प्रधानमंत्री ही मार दिए गए तो दुसरे की सरकार ही गिरा दी गई | दोनों ही के शासन में रुपया मजबूत हुआ और डॉलर गिरा |
2004 में डॉलर था 44.9315 |
२४ मई को श्री नरेंद्र मोदी जी के प्रधान मंत्री बनाने पर था
1 USD to INR = 58.6299 अभी वर्तमान में १ दिसम्बर को हा 1 USD = 68.28 INR यानी मनमोहन सिंह अपने १० सालो में केवल तेराह रूपये बढ़ा पाए या कहे बढ़वा पाए और आपने २ साल में ही १० रूपए वृद्धि करवा दी | डॉलर का बढना आम व्यक्ति के लिए हानि कारक है | जो आप कहे एक्सपोर्टरो को नुक्सान तो आप देश के किसानो को मूल निर्यातक क्यों नही मानते ? जो लाइसेंसे लिए बैठे है उन्हें दलाल मानिए न और दलालों के हानि लाभ की चिंता है उत्पादक वर्ग की नहीं ? आम जनमानस अर्थ शास्त्र नहीं समझता उसे लगता है जो दबाये बैठे है उनका निकल रहा है | अरे भाई घर में १०० करोड़ घर में कौन रखता है ? और कितने अरबपतियो को आपने लाइन में लगते देखा ? लोगो के पास पैसा आता है वे तुरंत जमीन खरीदते है या सोना | ये सामान्य करोडपतियो की बात है वे लोग जो एकदम सामान्य है | थोड़े बड़े स्तर के पैसा लगाते है कंस्ट्रक्शन में राजनितिक दलों को चंदे में भी बहुत बड़ी रकम जाती है | ये सरकार ने बोल रखा ब्लैक आपने अंग्रेजो की कर निति सुधारनी तो दूर उसे और बढ़ा दिया | हर बार कोई चीज़ इधर से उधर जा रही है जैसे की भूमि तो सरकार बैठे बैठे ८ प्रतिशत खा रही है | स्टैम्प ड्यूटी का सबसे पहले विरोध महर्षि दयानंद ने किआ था | "भारत सरकार सबसे बड़ी माफिया है" कोयलांचल फिल्म के ठाकुर भानु प्रताप सिंह का ये संवाद कितना प्रसांगिक है जनत स्वयं चिन्तन करे | अब तो कोई राय चंद भी नही बंन सकता आप अपनी राय देते है तो उसमे भी सरकार को कमिशन चाहिए | सरकार कौन ? वही लोग जो आप से निकल कर आये और विधिक रूप से भोग विलास का जीवन जियेंगे | सरकार का कार्य केवल सुरक्षा प्रदान करना होता है | समाज अपनी व्यवस्था स्वयम बना लेता है | कुछ बेवकूफ १०० क्या ५०० करोड़ भी रखते होंगे पर ऐसे कितने होंगे जो अपने धन को हीरो में भी नही बदलवा पाए | विदेशी बैंको में भी नहीं जमा करवा पाए ? सरकार आप के पैसे का क्या करती है?यदि सरकार आपसे लिया पैसा पूंजीपतियों को लोन देती है तो निश्चित तौर पर वो पूंजीपति उसी धन को घुमा फिर कर सरकारी इकाई खरीदेंगे | जैसे की रेल्वेस, जिसे बड़े चोरी छुपे निजी क्षेत्र में डाला जाएगा, जा रहा है |दूसरा कार्य यदि आर बी आइ रेपो रेट गिराती है तो कर्ज लेने वालो की भीड़ लग जाएगी महगाई बढ़ जाएगी | पर आर बी आई ने अभी ऐसा नहीं किआ विपरीत एक अच्छा कार्य किआ मेरे आंकलन के अनुसार तो अच्छा ही है १६ नवम्बर से ११ सितम्बर तक के जमा के लिए सी आर आर १०० प्रतिशत कर दिया है | सी आर आर क्या होता है स्वयम पता करे लेख लम्बा हो रहा हैं | इस से बैंको को तो ब्याज देना पड़ेगा जनता को उनकी बचत का हाला की वे लोन देने पर विशेष जोर देंगे ताकि उनकी जमा रकम उन्हें लाभ देना आरम्भ करे | कुल मिलकर कर्ज का जंजाल बढेगा | कर्जमुक्त भारत का सपना ऐसी जनता तो भूल ही जाए जो सुबह से शाम तक राजनीत की बाते बहुत करती है पर राजनितिक साक्षरता के अभाव के साथ | बड़े नोट चलाने का लाभ ?
२००० के नोट के चलन से महगाई बढ़ेगी | क्रय शक्ति कम होगी | लोग छुट्टे के बजाए सामान अधिक खरीदे अनावश्यक रूप से या तो सौदा नहीं बनेगा | २००० के नोट में रिश्वत और बढ़ जाएगी | जिनका नुक्सान हुआ है वे भी भरपाई करेंगे | बड़े नोटों में रिश्वत चलती है अरबो के घोटाले नोटों में नहीं होते कागजो पर होते है | जैसे की प्रधान मंत्री जी ने कहा के कैसे कैसे घोटाले हुए २ जी इत्यादि आज ४-४ हजार के लिए लाइन में लगना पड़ रहा | या तो आप और राहुल गांधी मिले हुए है क्यों की उनका ४००० रूपए लेने जाना राजनितिक नौटंकी है सब जानते है पर आप उसे मान्यता दे रहे है की राहुल गांधी को वास्तव में ४००० के छुट्टे की समस्या थी ? वाह
प्रथम तो आप प्रधान मंत्री है यदि घोटाला हुआ तो सजा में देरी क्यों कर रहे | इन घोटाले बाजो को सजा कब दिलवाएंगे बोफोर्स इतना खीचा २ जी कोयला क्यों खीच रहे ?
कैग ने रिपोर्ट दी की बैंड विड्थ यदि निविदा से जाती तो इतना लाभ होता सही तरीके से आवंटन न होने से ७२००० करोड़ की हानि हुई | ये लाभ होता नही हुआ इसलिए हानि हुई पर इसका अर्थ ये नहीं की ये राशि किसी की जेब में गई | रानी अभी भी जेल में नही |
ये कैसे बेहेतर हो सकता था ?
बड़े नोट बंद करने से पहले करो से मुक्ति देते | तो ऊपर से विभिन्न प्रकार के कर लगा दिए स्वर्णकार समाज तो लम्बे समय तक हड़ताल में रहा |
लोग बैंक खाते खोले पर क्यों ?
१. बचत के लिए : बैंक कभी बचत को बढ़ावा नहीं देते आपकी बचत पर उन्हें ४ प्रतिशत का सालाना ब्याज देना पड़ता है |
२. कर्ज के लिए : गरीब आदमी को कर्ज मिलता नहीं है | मध्यम वर्ग का ३ साल का इन्कोम टैक्स रिटर्न देखा जाता है अच्छे लोन के लिए और लोन किसी को मिलता है तो बैंक वाले खाता तो अपने आप खोल देते है | उद्योगपतियों को अवश्य भारी रकम मिल सकती है जिस रकम को वो घुमा फिर के घाटे में चल रही सरकारी इकाइओ को खरीदने में प्रयोग कर सकते है |
३. सब्सिडी आएगी : यानी खाद की सब्सिडी से अब किसान दारु भी पी सकता है | बीवी को मार पीट कर अनाज की सब्सिडी से भी दारु पी सकता है | कम पैसे में अनाज मिलता था कम से कम घर में खाने भर का तो बचा लेता था |
आप लोगो को बैंक से जुड़ने के लिए बाध्य नहीं कर सकते है प्रधान मंत्री जी |
लोग स्वतंत्र है और वे अपने तरीके से अपना पैसा जहा चाहे वहा रख सकते है | यदि आप लोगो का लेनदेन देख नही पा रहे तो लोगो से कहिये की वे बचत न करे और पक्का बिल ले | जबरदस्ती समस्या पैदा कर के ई-ट्रांसेशन नही करवा सकते क्यों की आपको नजर रखनी है जनता के लें दें पर | केवल कर व्यवस्था होती थी बिक्री कर को समाप्त क्यों नही कर देती सरकार ?
क्या करो को तो नियंत्रण के लिए प्रयोग किआ जाता तो क्या आम लोगो का माल बिके सरकार नही चाहती ?
लोग कितना बेच रहे है ? लोग कितना कमाँ रहे है ? लोग कितना उत्पादन कर रहे है सरकार को सब जानना है | क्यों क्यों की सरकार को पैसा चाहिए | हां सेना रखनी है पर किसी एक राज्य से आप दान की अपील कर देंगे तो कर से अधिक धन आजाएगा जो सेना के लिए पर्याप्त से अधिक होगा | भारत की जो भोली जनता किसी टैक्स बचाने को दान नही करती | अधिक को तो पता भी नही के दान को कर बचत से जोड़ रखा गया है |
बड़े नोट पुरे बंद होने थे अधिक से अधिक आप २०० या ३०० का चला देते या ५०० का ही चला देते | ५०० का नोट अभी भी लोगो को मिला नही है सरकार चाहती है आपके पास बड़ा नोट पहुचे | ए टी एम् में किसी को नही भी आवयश्कता है तो भी २००० निकाले विवशता है |
ईस्ट इंडिया कंपनी के डलहौसी के समय के डाइरेक्टर होते तो आज भारत के राजनेताओं से ट्यूशन ले रहे होते लूट कायम रखने का | आप पहले पैसा ले लेंगे उसके बाद जनता को स्वर्ग में प्रवेश करवाएंगे वाह जी |
पर क्या ये सरल नही था के आप काले धन वाले लोगो का नाम उजागर करते ?
विदेशी बैंको से पैसा वापस लाते और उस धन को अनुसूचित जातियों को बाट देते ताकि उनका जीवन स्तर एक बार में बढ़ जाए और आरक्षण की आवयश्कता न पड़े ?
बड़े उद्योगपतियों को जो ऋण दिया गया वो समय रहते वसूला जाता चाहे माल्या हो या अडानी | आपने तो ऋण की राशि बताने से भी मना कर दिया |
बिना किसी तैयारी के जनता को बस झोक दिया इस समय अधिकतर मिडिया चैनेल भाजपा के है पेड़ मिडिया से दूर रहने को कहने वाले फेस बुक पेजों को भी अब नियमित भत्ता मिलता है तो वे भी दिन रात एक ही गुणगान मोदी मोदी में लगे रहते है |
जो लोग ये कहे के महीनो से छप रहे थे नोट तो फिर उर्जित पटेल के हस्ताक्षर कैसे है २००० के नोट में ?
भाजपा संघ और अब तो उद्योगपति भी ये कहने लगे है Nation First, राष्ट्र सर्वोपरि |
निश्चित तौर पर देश सबसे पहले है, क्या बिना विचारे मोदी मोदी करने वालो के लिए ये नारा अब काम का नही रहा कैसे अब उनके लिए मोदी सर्वोपरि हो गए ?
मनमोहन सिंह जी ने कहा जी.डी.पी २परसेंट गिरेगी, 2.1 trillion dollar की अर्थव्यवस्था का १ ट्रिलियन में १ हजार बिलियन होते है तो ये हुआ २१०० बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था इसका २ प्रतिशत हुआ ४२ अरब डॉलर का नुक्सान | समय पर बीज न पड़े खाद न पड़े फसल आधी रह जाती है खेती किसानी समय की है | एक बात स्पष्ट है प्रधानमन्त्री असंवेदन शील है उन्हें लोगो की समस्या से कोई लेना देना नहीं | उन्हें रोना अच्छे से आता है क्यों की जनता की नव्स जानते है लोग भावनाओ से वोट देते हैं दिमाग से नहीं |
किसी लड़की का बाप यदि फ़ासी लगा लेता है की बेटी की शादी कैसे करे उसका अपना पैसा बैंक में फस गया है तो प्रधानमंत्री को इस से कोई फर्क नही पड़ता | कोई बीमार है पैसा नही तो भी कोई फर्क नही पड़ता | या किसी के पास बैंक खाता ही नही है | मुद्रा स्वयम नष्ट करवाने पर सरकार अमादा है | जनता के पास विकल्प नही है, मैंने तो मनमोहन सिंह को प्रथम बार बोलते देखा योग्यता शब्दों से स्पष्ट थी | पर मनमोहन की बात सही थी या नही ये महत्वपूर्ण नहीं था जो लोग मोदी का समर्थन कर रहे थे उनके लिए मनमोहन के भाषण के बाद भी मोदी जी हाथ मिलाया ये बोल रहे थे | १० साल चुप रहे अब बोल रहे है १० साल तो भाजपा भी ऍफ़ डी आई का विरोध करती रही और अब तो सरकारी बैंको के भी हिस्से बेचने पर अमादा है | जब जो व्यक्ति बोल रहा वो यदि सही बोल रहा तो उसे सुनना चाहिए और विचार करना चाहिए | देश किसी व्यक्ति के मन से नही चलेगा जनता के हित से चलेगा |
जनता की समस्या काला धन नही भ्रष्टाचार है
भ्रस्टाचार से काला धन पैदा होता हैं न की काले धन से भ्रस्टाचार |आप व्यवस्था में जहा से पैसा आरहा वाह से रोक लगाए | बड़े नोट बंद करते तो पूरी तरह और उसकी सप्लाई के साथ अन्यथा सरकार स्वयम दोषी है अपने नुमाइंदे द्वारा धारक को वादा देने के लिए | सरकारी कर्मचारियो के पास वैसे भी बहुत फॉर्म होते है भूमि खरीदते समय उन्हें पता है कैसे निकलना हैं | आप सोने पर पंजीकरण लगाना चाहे लगा दे लगो नही करायेंगे क्यों की सोना बस लोगो को पसंद है |
मुद्रा से पहले कागजो का एलेक्ट्रानिकिकरण करना था | सारे सरकारी काम ऑनलाइन करने थे ताकि रिश्वत का स्थान न बचे | हाला के निविदाये होती है अब आनलाइन तो उसका भी उपाय है लोगो के पास | आप उसे और सरल बना सकते है |
अदालतों में ऑनलाइन भी तारीखे ली जा सके सुनवाई विडिओ कोंफेरेंसिंग से करवाए | अदालतों में कैमरा लगे ताकि पेशकार जज के सामने जो रिश्वत लेता है उसे जनता देख सके |
पुलिस थानों में कैमरा लगे | सरकार और जनता का लेनदेन आमने सामने हो ही न | सब कुछ कोम्पुटर से हो ऐसे में सरकारी कर्मचारी चाह कर भी नही खा पायेगा |
राजनितिक दल अपनी एक-एक पाई का हिसाब दे जनता से तो ढाई लाख का हिसाब ले लिया | आपने अपनी सारा वेतन दान कर दिया तब भी आपकी सम्पत्ति लगभग देड करोड़ की है | मायावती मुलायम सिंह खुलकर अपनी सम्पत्ति कई सौ करोड़ में दिखाते है |
उद्योगपतियों को दिया हुआ एक एक कर्जा वापस ले जब किसानो के कर्ज के लिए उनकी कुडकी करी जाती है |
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Labels: अर्थव्यवस्था सुधार
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