इदम् न मम
ये मेरा नहीं | ये हमारी
संस्कृती का आधार सूत्र हैं | जो मेरा नहीं वो मैं नहीं रख सकता | सोचिये अगर हर
कोई इस सूत्र पर चले तो कही कोई अपराध ना
हो | जो दुर्भावनाए आये वो इसी सूत्र के साथ वापस चली जायेंगी | चाहे वो परीक्षा
केंद्र मे आपको मिल ने वाली मुफ्त नकली क्यों ना हो | जो ज्ञान मेरा नहीं उसका मैं
अधिकारी नहीं | जो चीज़ मेरी नहीं ना मैं उसको रख सकता हू ना ही दूसरे की कृति का
श्रेय ले सकता हू | सड़क पर मिला १० का नोट हो या १० करोड़ का भरा बैग आपमें लालच
आयेगा ही नहीं | इसी सिद्धांत को याद कर के | क्यों रखु जब ये मेरा नहीं जिसका हैं
उसे लौटा क्यों ना दू |
न्याय कायम करने का कितना उत्तम सूत्र हैं |
सर्वेभवन्तु सुखिनः का ध्येय कैसे सिद्ध हो जायेगा इसी इदं ना मम् के सूत्र से |
कैसे हर मनुष्य एक दूसरे से जुड जायेगा और वसुधैव कुतुम्ब्कम्ब की भावना को पूर्ण
करेगा | कोई चोरी ना होगी कोई लूट ना होगी
कोई हत्या ना होगी कोई पर स्त्री गमन ना करेगा | हर बुरे काम की भावना को
नियंत्रित करेगा | सिर्फ वैदिक संस्कृति ही इस सूत्र की जनक हैं | आर्य ही इसका
पालन कर पाते हैं | जीवन के हर क्षेत्र मे पालन करना मुश्किल हो सकता हैं पर
अभ्यास से क्या चीज़ दुर्लभ हैं | इस सूत्र को जीवन मे ला कर हम सभी सुखी हो
जायेंगे | और ना केवल इतना ये सूत्र हमे प्रेरित करता हैं हमारे अधिकारों के लिए
लड़ने को |
जो मेरा नहीं वो मैं लूँगा नहीं , और जो
मेरा हैं वो मैं छोडूगा नहीं | यही हमे धर्मं मार्ग पर चलने को प्रेरित करता हैं |
ये हमे कायरता से भी बचाता हैं | ये सूत्र लोगो के सोते शौर्य को जगाता हैं |
क्योंकी न्यायप्रिय व्यक्ति
ही अन्याय के विरुद्ध सर उठता हैं | ये एक सूत्र जीवन को बदल देने वाली प्रेरणा
देता हैं | हमे हमारी क्षमताओ पर भी यकीन करता हैं क्यों की मैं जिस चीज़ का
अधिकारी हू वो मुझे मिलनी चाहिए | पर अपने अधिकरण तये करने से पहले आपका किस पर
अधिकार नहीं ये पता होना चाहिए आपको इसी लिए इदं ना मम् का सूत्र दिया हैं | क्यो
उत्तम बात हैं, सर्वोत्तम वैदिक संस्कृति की | और ये भावना लोगो मे भरनी हैं तो
हमे वैदिक शिक्षण प्रणाली लानी होगी | ये सिर्फ आर्यो के वैदिक राष्ट्र मे ही संभव
हैं | तो समृद्धि का आधार वैदिक समाज ही हैं जिसका निर्माण आपके हाथ मे हैं |
क्यों ये एक सूत्र ही बताता हैं के कितनी उत्तम बाते छोटे -२ सूत्रों के माध्यम से
लोगो के हृदय तक ऋषि वाणी ने पहुचाई हैं | ऐसे बहुत से उत्तम सूत्र मिलेंगे जो हमे
विभिन्न तरीको से सत्य और धर्मं को प्रेरित करेंगे | न्याय रक्षण मे लगाएंगे | तो
आइये राष्ट्र समाज और धर्मं के लिए इस “इदं ना मम्” की भावना हो आत्मसात करे |
Labels: व्यक्तित्व विकास
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