आर्य शब्द का प्रयोग करे
ज्यादातर लोगो का मत
हैं की हमे इस विवाद मे नहीं पड़ना चाहिए की हम आर्य हैं या हिंदू | मैं भी सहमत हू इस
विचार से विवाद की कोई बात ही नहीं हैं | शब्दों के अर्थ जान ले और सत्य अर्थ का गृहण करे
तो विवाद की कोई बात ही ना होगी |
आर्य शब्द वेदों मे
वर्णित हैं यह संस्कृत का शब्द हैं, जिसका अर्थ होता हैं “श्रेष्ठ” या “नेक” |
सृष्टि की आदि से वेदों के आदेशो का पालन करने वाले मनुष्य आर्य कहलाते आये हैं |
महाभारत के पश्चात पूरी दुनिया मे फैली वैदिक सभ्यता वैदिक गुरुकुल प्रणाली टूटने
लगी | अनार्य जो अशुद्ध बोलते थे उनकी संख्या बढ़ने लगी | नए-नए पंथ (कथित धर्मं)
चले | जिन देशो का भारत से सम्बन्ध टूट गया वहा सिर्फ भारत की कहानिया ही रह गई |
भारत की सीमाओं पर सिंधु प्रदेश स्थित था जो फारस(परसिया अब इरान ) और अर्व (अब
अरब ) से आने वाले लोगो के लिए भारत का प्रतिनिधित्व करता था | यहाँ सिंधु शब्द
वेद मे वर्णित सप्त सिंधु से आया | इस सप्त सिंधु का हप्त हिंदू हुआ जैसे भारत मे
ही सप्ताह का हफ्ता हो गया | तो इस प्रकार एक अप्भ्रंश शब्द से भारत के लोगो को
अनार्य बुलाने लगे |
जब अर्व प्रदेश मे शिव और विष्णु पूजे जाते
थे तब भारत भूमि को बड़े आदर से देखा जाता था | हिंदू शब्द के अर्थ को अच्छा लिया
जाता था जब मोहम्मादिया सम्प्रदाये का अर्व मे प्रादुर्भाव हुआ तो पगन याँ मुशिरीको
याँ मूर्ति पूजको को घृणा से देखा जाने लगा | उनको क़त्ल करना ईश्वर का सेवा कार्य
माना जाने लगा | जब अर्व के इस्लामिक आक्रमणकारी पांच सौ सालो (६३६ ई -१२५६ ई)
भारत के सिंधु प्रदेश और गांधार प्रदेश (अब अफगानिस्तान) को जीतने मे नाकामयाब रहे
तो उनकी भारत के आर्यो के प्रति घृणा और बढ़ गई उनकी निराशा के साथ | ऐसे मे हिंदू
शब्द का अर्थ भी बदल गया उनके किए | इरान के शब्दकोष मे हिंदू शब्द का अर्थ चोर
डाकू लुटेरा कुत्ता हरमजादा अभी भी हैं | पाकिस्तान के शब्दकोष मे अंधकार भी मिल
जाएगा इस शब्द का अर्थ | अर्थ तो देख कर ही समझा जा सकता हैं के शब्दकोष रचनाकार
की घृणा किस हद तक हैं क्यों की चोर,डाकू,लुटेरा,कुत्ता और हरामजादा कैसे हो जाता
हैं ये कोई भी भाषाविद ना समझ पाएगा | जैसे-जैसे आक्रमणकारी भारत मे अंदर घुसे
हिंदू शब्द का प्रचलन बढ गया | अफगानिस्तान मे हिमालय श्रंखला मे जहा आर्यो का बड़े
स्तर पर कत्लेआम हुआ था उस पहाड़ी का नाम हिंदू कुश रखा गया | कुश यानी क़त्ल जैसे
खुद-कुशी खुद का क़त्ल | भारत मे इस प्रकार आर्य शब्द की जगह धीरे-धीरे हिंदू शब्द
ने लेनि शुरू हो गयी | पुराणों मे हिंदू शब्द के समर्थन मे श्लोक लिखे गए | ध्यान
रहे ये वही समय था जब किसी मुस्लिम चाटुकार हिंदू ने अल्लोपनिषद की रचना कर डाली थी
| इस तरह के इस्लाम के प्रचार मे ग्रंथो को रचना वा प्रक्षिप्त करना भी बेकार ही रहा |
इन सब के बावजूद आर्य शब्द के सामान हिंदू शब्द
गरिमा ना पा सका | कारण साफ़ हैं, एक अपभ्रंश जिसका अर्थ अपने हिसाब से रखा जा सकता
हैं किस प्रकार एक सुन्दर अर्थ वाले वैदिक शब्द के समतुल्य हो सकता हैं | पर
अंग्रेजो के समय मैकोय्ले और मैक्स मुलर ने मिल के एक षणयंत्र रचा के आर्य बाहर से
आये थे | उनका उद्देश्य इस से भारत मे फूट डालो राज करो की निति को जोर देना था |
उनकी इस बात का तुरंत तो उतना प्रचार ना हो सका | क्यों की ऋषि दयानंद तो जीवित थे
ही उन्होंने तुरंत ही खंडन किया इस सिद्धांत का “जब आर्यो के कोई ग्रन्थ इस बात की
पुष्टि नहीं करते तो ये बात क्यों माने“ | पर इस से हिंदू शब्द के प्रचार मे तेजी
आई | हिंदू शब्द के विषय मे ऋषि दयानंद के शब्द थे “ऐ भाइयो ! कर्मभ्रष्ट तो हो गए
हो, नाम भ्रष्ट तो ना होइये”
कितना उत्तम कथन था उनका |
आजादी के आन्दोलन मे
क्रन्तिकारी आर्य भाषा का प्रयोग करते थे आर्य शब्द पर कोई विवाद ना था | सन १९५०
तक राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ के गीत मे “नमो वत्सले आर्य भूमि” की पंती रही फिर ये आर्य
भूमि से हिंद भूमि हो गया | शायद आज़ाद हिंद फ़ौज की वजह से और जय हिंद के नारे की
वजह से | आजादी के बाद काले अंग्रेजो के शासन काल मे हम वैदिक धर्म से अधिक दूर
होते गए और उतने ही दूर शुद्ध शब्दों से | दुखद बात तो ये है के आर स स जैसे बड़े
और श्रेष्ठ संगठन ने भी समझौता कर लिया | कोई हमारा उत्तम अर्थ वाला नाम उच्चारण
ना कर पाए और हमे पोपटलाल नाम दे दे तो क्या हम उसे स्वीकार कर लेंगे | तब भी नहीं
जब वो बहुलता मे हो जाये क्यों की वो हमारा नाम ही नहीं तो स्वीकारता कैसी | अब
प्रश्न ये हैं के अगर हम हिंदू शब्द को स्वीकार कर लेते हैं ये भूलते हुए के ये
नाम मुसलमानों कि गुलामी के समय हमे मिला तो भी इसके घटिया अर्थ हमारी विवेकशीलता
पर प्रश्न उठाएंगे | फिर अगर हम अर्व वासियो के मोहम्मद पूर्व के अर्थ को ले तो
प्रथम तो वो हमे वर्तमान मे प्रचलित ना मिलेंगे द्वतीय कल को कोई और अर्थ रख देगा
परसों कोई और तब कहा तक कौन कौन सा शब्द लेंगे | जब इस शब्द का कोई अर्थ ही नहीं
हैं तो इसे सिर्फ इसके प्रचलन की वजह से स्वीकार करना बुद्धिमत्ता ना होगी | हम
लोगो को बताये तो सही की हम आर्य हैं और हिंदू शब्द आया कहा से | हां हिंदू शब्द
उनके लिए जरुर प्रयोग कर सकते हैं जो सीताराम जैसे नाम होते हुए राम के अस्तित्व
को ही नकारते हैं | दिग्विजय होते हुए भी आर्यो की विश्व दिग्विजय की बात उनको हजम
नहीं होती तो इनके लिए ये शब्द रखा जाए तो बुरा नहीं | अब आप क्या हैं इस आधार पर
आर्य य हिंदू ये आप निर्धारित करिये |
पर जो जागरूक हैं वेदों पर आस्थावान हैं
राम, कृष्ण, दयानंद व अन्य आप्तो के पथ अनुगामी हैं उसके लिए हिंदू शब्द तो अपमान
सामान होगा वह तो आर्य कहलाने लायक हैं | फिर वेद का वचन हम क्यों भूल जाते हैं
जिसमे परमात्मा कहता हैं
“अहं भूमिं अददाम आर्याय |”
यानी उसने ये भूमि आर्यो को
दी हैं | इस भूमि पर पवित्र हृदय लोग ही शासन करने के लिए हैं |
इस लिए गर्व से कहो हम आर्य
हैं | और वेद आज्ञा अनुसार विश्व को आर्य बनाये
|| कृण्वन्तो विश्वार्यम ||
Labels: समाज सुधार
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