अथ ईश्वरस्तुतिप्रार्थनोपासना- मन्त्र:
दैनिक संध्या(ईश्वर ध्यान)
में यह ८ मन्त्र आते हैं | सभी आर्यो को ये मन्त्र अर्थ सहित कंठस्त
होने चाहिए और गायत्री मन्त्र के साथ-२ इन मंत्रो का जाप करना चाहिए | कल्याणकारी परमात्मा सदैव सहायक रहता
हैं यदि ह्रदय से उसका ध्यान किया जाए | यदि
संभव हो सके तो नित्य इन्ही मंत्रो से होम भी करना चाहिए | हमारा निवेदन उन लोगो से हैं जो वैदिक
मंत्रो से दूर हैं उन्हें नित्य कर्म विधि के मंत्रो से अव्गात
कराना हमारा प्रथम ध्येय हैं | इसलिए संध्या का ईश्वरस्तुतिप्रार्थनोपासना
प्रकरण ही दे रहे हैं | शनैः-२ हम और मन्त्र भी यहाँ पर प्रकाशित करेंगे |
(We are providing 8 Vedic Hymns in roman script for those
who are unable to read Devnagiri Script along with its English translation. All
Arya’s (Noble People) Should chant these 8 Vedic hymns keeping its meaning in
their mind.)
ओ३म्। विश्वा॑नि देव
सवितर्दुरि॒तानि॒ परा॑ सुव।
यद्
भ॒द्रन्तन्न॒ आ सुव ॥१॥
1. Om Vishwaani deva savitur duritaani paraa-suva.
Yad bhadram tan-na aasuva.
अर्थ – हे (सवितः) सकल जगत् के उत्पत्तिकत्-र्ता, समग्र
ऐश्वर्ययुक्त (देव) शुद्धस्वरूप, सब सुखें कें दाता परतेश्वर! आभ कृपा
करके (नः) हमारे (विश्वानि) सम्पुर्ण (दुरितानि) दुर्गुण, दुव्-र्यसन
और दुःखों को (परा, सुव) दुर कर दूजिए, (यत्) जो (भद्रम्) कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव
आर पदार्थ है (तत्) वह सब हमको (आ, सुव) प्रप्त कीजिए॥१॥
O God! O Creator of this Universe! O Radiant Cause of all manifestations!
Do remove from us all that is difficult in our experience, and all tendencies
to transgress Your Laws, and bring unto us all that is beautiful, benevolent
and auspicious.
[Manifestations: created things of the world.]
हि॒र॒ण्य॒गर्भः
सम॑वत्-र्त॒ताग्रे॑ भूतस्य॑ जातः पति॒रेक॑ आसीत्।
स
दा॑धार पृथि॒वीन्ध्यामुतेमाक्ङस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम।२॥ यर्ज० १३।२
2. Hiranya-garbhah sama-var-tataa-gre bhootasya jaatah patir eka
aaseet.
Sa daa dhaaara prithiveem dyaam ute-maam kasmai devaaya havishaa
vidhema.
(अर्थ) – जो (हिरण्यगर्भः) स्वप्रकाशस्वरूप आर
जिसने प्रकाश करने-हारे सुर्य-चन्द्रमादि पदार्थ उत्पन्न करके धारण किये है, जो (भुतस्य) उत्पन्न हुए सम्पुर्ण जगत् का (जातः)
;प्रसिद्ध (पतिः) स्वामी (एकः) एक ही चेतन-स्वरूप (आसोत्) था, जो (अग्रे) सब जगत् के उत्पन्न
होने से पुर्व (समवत्-र्तत) वर्तमान था, (सः) सो (इमाम्) इस (पृथिवीम्) भुमि (उत) आर (ध्याम्) सुर्यादि को (दाधार) धारण कर यहा है,
हम लोग उस (कस्मै) सुखस्वरूप (देवाय) शुद्ध परमात्मा के
लिए (हविषा) ग्रहण करने योग्य योगाभ्यास और अतिप्रेम
से (विधेम) विशेष भकि्त किया करें॥२॥
God is the Sustainer of luminous bodies and the Source of Light, and He has
been present even before the creation of this universe. He is known to be the
Sole Master of all beings.
He sustains this earth and heaven. Unto that Blissful Divinity do we offer our
worship with love and devotion.
[Luminous bodies: sun, moon, stars, etc.]
य आ॑त्म॒दा ब॑ल॒दा
यस्य विश्व॑ उ॒पास॑ते प्र॒शिषं॒ यस्य॒ दे॒वाः ।
यस्य॒
छा॒याऽमृतं॒ यस्य मृत्युः कस्मै॑ दे॒वाय॑ ह॒विषा॑ विधेम ॥३॥ – यजु०
२५।११
3. Ya aat-madaa bala-daa yasya vishwa upaasate prashisham yasya devaah.
Yasya chhaayaa ‘mritam yasya mrityuh kasmai devaaya havishaa vidhema.
अर्थ – (यः) जो (आतमदाः) आत्मज्ञान का दाता, (बलदाः) शरीर, आत्मा और समाज के बल का देनेहाया, (यस्य) जीसकी (विश्वे) सब (देवाः) विद्धान् लोग (उपासे) उपासना करते हैं, और (यस्य) जिसका
(प्रशिषम्) प्रत्यक्ष, सत्यस्वरूप
शासन और न्याय अर्थात शिक्षा को मानते हैं, (यस्य) जिसका (छाया) आश्रय हू (अमृतम्) मोक्षसुखदायक है, (यस्य) जिसका न मानना अर्थस् भकि्त न करना ही (मृत्युः)
मृत्यु आदि दुःख का
हेतु है, हम
लोग उस (कस्मै) सुस्वरूप (देवाय) सकल ज्ञान के
देनेहारे परमास्मा की लिए (हविषा) आस्मा और अन्सःकरण से (विधेम) भकि्स अर्थात् उसी की आ ज्ञा पालन में
सस्पर रहें॥३॥
He gives us the consciousness that we are souls, and provides us with
strength. All wise men worship Him,
and they obey His commands. Under His shade flows the nectar of immortal bliss,
and opposing Him brings us daily death. Unto that Blissful Divinity do we offer
our worship with love and devotion.
[Nectar of immortal bliss: Emancipation
Daily death: emotional disturbance, stress, etc.]
यः प्रा॑ण॒तो
नि॑मिष॒तो म॑हि॒त्वैक इद्राजा॒ जग॑तो ब॒भूव॑ ।
य
ईशे॑ऽअ॒स्य व्दिपद॒श्पदः कस्मै॑ ढे॒वाय॒ ह॒विषा॑ विधेम ॥४॥यजु० २३ ।३
4. Yah praana-to nimisha-to mahit-waika indraajaa jagato babhoowa.
ya eeshe asya dwipa-dash chatush-padah kasmai devaaya havishaa vidhema
अर्थ – (यः) जो (प्राणतः) प्राणवाले और (निमीषतः)
अप्राणिरूप (जगतः) जगत् का (महित्वा)
अपने अनन्त महिमा से (एक इत्) एक ही (राजा) विराजमान राजा (बभूव) है, (यः) जो (अस्य) इस (द्धिपदः) मनुष्यादि और (चतुष्पदः) गौ आदि प्राणियों कें
शरीर की (ईशे) करता है, हम लोग उस (कस्मै) सुखस्वरूप (देवाय) सकलैश्वर्य के देहv66रे
परमात्मा के (हविशा) अपनी सकल उत्तम से
(विधेम) विशेष भकि्त करें ॥४॥
He, through His Own Glory, is the Sole King of this entire breathing and
winking world.
He controls all bipeds and quadrupeds. Unto that Blissful Divinity do we offer
our worship with love and devotion.
[Breathing and winking world: all living creatures.]
येन॒
ध्यौरूग्रा पृ॑थि॒वी च॑ ढृढा येन॒ स्वॆ॒ सतभितं येन॒ नाकः॑।
योऽअन्तरि॑क्षे
कज॑सो वि॒मानः कस्मै॑ देवाय॑ हविषा॑ विधेम ॥५॥ – यजु०
३२।६१
5. Yena dyaur-ugraa prithivee cha dridhaa yena swah stabhitam yena
naakah.
Yo antarikshe rajaso vimaanah kasmai devaaya havishaa vidhema.
अर्थ – (येन) जिस परमात्मा ने (उग्र) तीक्ष्ण स्वभाववाले (ध्यौः) सूर्य आदी (च) और (पृथिवी) भूमि को (दढा) धारण, (येन) जिस जगदीश्वर (स्वः) सुख को (स्तभितम्) धारण, और (येन) जिस (नाकः) दुःखरहित मोक्ष को धारण किया है। (यः) जो (अन्तरिक्षे) आकाश में (रजसः) सब लोक-लोकान्तरों को (विमानः) विशेषमानुक्त अर्थात जैसे आकाश में
पक्षी उड़ते हैं, वैसे सब लोकों का निर्माण करता और भ्रमण कराता है, हम
लोग उस (कस्मै) सुखदायक (देवाय) कामना करने के योग्य
परब्रहा की प्राप्-ति के लिए (हविषा) सब सामथ्-र्य से (विधेम) विशेष भकि्त करें॥५॥
He steadied the thunderous heaven and the solid earth, and confers happiness
free from all sorrow.
He created the planets with bird-like movement, and caused them to revolve in
space. Unto that
Blissful Divinity do we offer our worship with love and devotion.
[Steadied: According to the theory of creation, after the “big
bang” explosion, there was total chaos, until the planets were steadied into
patterned rotation.]
प्रजा॑पते॒
न त्वढेतान्य॒न्यो विश्वा॑ जा॒तानि परि॒ ता व॑भूव।
यत्का॑मास्ते
जुहुमस्तन्नो॑ऽअस्तु व॒यं स्या॑म॒ पत॑यो रयीणाम् ॥६॥
6. Prajaa-pate! Na twad etaan-yanyo vishwaa jaataani pari taa babhoowa.
Yat kaamaas-te juhumas tan-no astu vayam syaama patayo rayeenaam.
अर्थ – हे (प्रजापते) सब प्रजा के स्वामी
परमात्मन्! (त्वत्) आपसे (अन्यः) भीन्न दुसरा कोई (ता) उन (एतानी) एन (विश्वा) सब (जातानि) उत्पन्न हुए
जड़-चेतनादिकों को (न) नहीं (परि, बभूव) तिरस्कार करता है अर्थात् आप सर्वोपरि
है। (यत्कामाः) जिस-जिस पदार्थ की
कामनावाले हम लोग (ते) आपका (जुहुमः) आश्रय लेवें और
वाञ्छा करें, (तत) उस-उसकी कामना (नः) हमारी सिद्ध (अस्सु) होवे, जिससे (वयम्) हम लोग (रयीणाम्) धनैश्वर्य के (पतयः) स्वामी (स्याम) होवें ॥६॥
O prajaapati! O Master of this entire creation! No-one, except
You, can control the creatures of this
visible, and other invisible worlds. May those desires, for which we come to
Your Shelter, be fulfilled. May we be
masters of earthly and heavenly riches.
[This and other worlds: The Veda posits that
there is life not only on earth, but on other solar systems, too.]
सनो॒ बन्धरजनिता स
विधा॒ता धामा॑नि वे॒द भुव॑नानि॒ विश्वा॑।
यत्र॑
देवा अ॒मृत॑मानशा॒नास्तृतीये॒ धाम॑न्न॒ध्यैर॑यन्त ॥७॥
7. Sano bandhur janitaa sa vidhaataa dhaamaani veda bhuwa-naani
vishwaa.
Yatra devaa amritam aa-na-shaanaas triteeye dhaaman a-dhyair-ayanta.
अर्थ – हे (प्रजापते) सब प्रजा के स्वामि
परमात्मन! (त्वत) आपसे (अन्यः) भिन्न दूसरा कोई (ता) उन (एतानि) इन (वश्वा) सब (जातानि) उत्पन्न हए
जड़-चेतनादिकों को (न) नही (परि, बभूव) तिरस्कार
करता है अर्थात आप सर्वोपरि हैं (यत्कामाः) जिस-जिस पदार्थ की
कामनावाले हम लोग (से) आपका (जुहुमः) आश्रय लेवें और
वाञ्छा करें, (तत्) उस-उसकी कामरा (नः) हमारी सिद्ध (अस्तु) होवे, जिससे (वयम्) हम लोग (रयीणाम) धनैश्वर्यो के (पतयः) स्वामी (स्याम) होवें ॥८॥
He alone, O men, is our Brother, Creator and Law-Giver. He knows all names,
regions and beginning events. In Him are
the liberated souls, moving about at their own free will and enjoying the
essence of eternal life, sustained in the third state of consciousness.
[Free will: actions no longer determine the movements of those
who are liberated. They move about freely in God.
Third: there are three states of consciousness that a soul
experiences while in the course of spiritual evolution - that of the world, the
soul, and God.]
अग्ने॒ नय सु॒पथा॑
रायेऽअस्मान् विश्वा॑नि देव व॒युना॑नि वि॒द्वान् ।
युयो॒ध्य
स्मज्जु॒हुरा॒णमेनो॒ भूयि॑ष्ठान्ते॒ नम॑ऽउक्तिंविधेम ॥८॥
8. Agne! Naya su-pathaa raaye asmaan vishwaani deva vayunaani vidwaan.
Yuyo-dhyas-maj juhuraanam eno bhooyish-thaan te nama uktim vidhema.
अर्थ-(हे अग्ने) स्वप्रकाशक ज्ञानस्वरूप सब जगत् के
प्रकाश करने-हारे (देव) सकल सुखदाता परमेश्वर! आप दिससे (विव्दान)
सम्पुर्ण विध्य-युवत
हैं, कृपा
करके (अस्मान्)
हम लोगों को (राये) विज्ञान वा राज्यादि
ऐश्वर्य कि प्राप्-ति के लिए (सुपथा) अच्छे, धर्मयुक्त, अप्त
लोगों के मार्ग से (विश्वानिं) सम्पुर्ण
(वयुनानि) प्रज्ञान और उत्तम
कर्म (नय) प्राप्-त कराइए,
और (अस्मत्) हमसे (जुहुराणम्) कुटिलतायुक्त (एनः) पापरूप कर्म को (युयोधि) दुर कीजिए। इस कारण
हम लोग (ते) आपकी (भूयिष्ठाम्) बहुत प्रका की
स्तुतिरूप (नमउकि्तम्)
नम्रतापुर्वक प्रशंसा (विधेम) सदा रिया कें और सर्वदा आनन्द में रहें।
॥८॥
O Agni! lead us on the right path to the wealth of liberation,
for You know all pathways leading in that direction.
Remove from us all sins that lead us astray. Again and again we offer You words
of salutation and praise.
इतीश्वरस्तुतिप्रार्थनोपासनाप्रकरणम्
Labels: धर्म एवं अध्यात्म
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