बढ़ता बलात्कार : कारण, संकट और निवारण
पिछले ४-५ वर्षों मे इस कुकृत्य कि घटना अविश्वसनीय रूप से बढ़ी है | अधिक दुःखद और क्रोध का विषय ये है के इस अक्षम्य अपराध मे छोटी-२ बच्चिया सरल शिकार हों रही है | हाल मे २ किशोरियों को बलात्कार के बाद मार कर पेड पर टांग दिया गया | ये पशुवृति के अपराधी स्पष्ट सन्देश देना चाह रहे के उन्हें गर्व है अपने कुकृत्य पर और कोई उनका कुछ नही कर सकता | यदि समाज निष्क्रिय ही बैठा रहा तों ऐसे पशुओ का शिकार कोई भी हों सकता है | यद्दपि ऐसे विषयों पर पढ़ने और लिखने दोनों मे हृदय द्रवित होता है परन्तु विवशता है इसके मूल कारणों और उसके निवारणों पर प्रकाश डालने | इस अपराध मे एक विशेष प्रकार कि योजना देखी गई है हाल के वर्षों मे | अब एक व्यक्ति कोई ये कार्य नहीं कर्ता, ये समूह मे होता है | कई घटनाओं मे ये देखा गया के हिंदू वर्ग और मुस्लिम वर्ग दोनों वर्गों के अपराधिक वृति के लोगो ने मिलकर घटना कि | यानी हिंदू मुस्लिम एकता आई भी तों इस घिनौने कृत्य मे | विचारणीय है के मूल रूप से कौन जिम्मेदार है इस अपराध कि वृद्धि मे | अधिकतर लोग स्त्रियों के पहनावे को दोष दे देते है | तों क्या छोटी—२ बच्चियों का भी पहनावा खराब होता है ? वैदिक काल मे तों आर्य स्त्रिया वेदाज्ञा पालन अनुसार इन्द्रदेव कि अप्सराओं(सूर्य कि किरणों) को शरीर पर अधिक स्थान देने के लिए न्यून वस्त्र पहनती थी | यद्दपि वस्त्र कामोतेजक कभी नहीं होते थे, एक तों आर्यो का नियम रहा के बिना सिले वस्त्र पहनना उसका अभी तक हम पुरुष तों पालन नही कर रहे पर स्त्रिया अभी भी कर रही है | साडी एक ऐसा वस्त्र जिसमे सिलाई कि आवयश्कता नहीं और पूरा तन ढकता है | इसके उपरान्त भी साडी को कामोतेजक वस्त्रों मे कभी नही गिना गया | हां, सौंदर्य वृद्धि के लिए ऐसा कोई अन्यत्र वस्त्र आज नहीं उपलब्ध हुआ | तों वस्त्रों पर प्रथम आरोप लगाने का कोई औचित्य नहीं है |
ये वृद्धि जिस दर से बढ़ रही है वो अत्याधिक भयावह संकट उत्पन्न करेंगी यदि इसका निषेध करने का उपाय ना किया गया | वो देश जो ब्रह्मचारियो का देश है, जहा एक ब्रह्मचारी कामसूत्र लिख देता है वहा हों क्या रहा है ? कश्मीर, बंगाल, केरल और असम मे जो घटनाएं सुनने को मिलती थी वो वर्ग विशेष के प्रति उन्मादी लोगो कि घृणा का परिणाम था | पर अब जो घटनाएं हों रही वहा हिंदू समाज का भी वर्ग सामने आरहा | ये बर्दास्त नहीं किया जा सकता | वेद मे कई कठोर दंड है ऐसे घृणित अपराध के लिए | उल्टा लटका के उपस्थेन्द्री पर ताडन करना, अन्डकोशो को कुचल देना, मृत्युदंड इत्यादि | मेरे सामर्थ्य मे हों तों इस से भी बढ़ कर कुछ दंड बन सके बनाया जाए | पर दंड रोकथाम का मूल नहीं है, हमें तों जड़ से उपचार करना होगा | आज हर राज्य, हर जिले, यहाँ तक कि ग्रामो तक से सुनने को आने लगी है घटनाएं | तों यहाँ इसके मूल कारणों का रहस्य छुपा हुआ है के अभी तक जिन ग्रामो मे एका रहती थी | गाव कि लड़की, गाव गली मे विवाह तक नहीं किए जाते थे ऐसा क्या हुआ के ये घटनाएं ग्रामो मे भी होने लगी | हम वरीयताक्रम मे मूल कारणों पर प्रकाश डालते है |
कारण और निवारण
१. कारण : यदि किसी राष्ट्र का नाश करना हैं तों उस देश के युवाओं के ब्रह्मचर्य का नाश कर दिया जाए | वैदिक शिक्षा के अभाव का परिणाम पूरा भारतीय समाज भुगत रहा हैं | आज भोगवादी शिक्षा ही दी जाती है | वैदिक काल मे परा और अपरा, विद्या और अविद्या दोनों दी जाती थी | दोनों कि आवयश्कता है क्यों के बिना मोक्ष का ध्येय लेकर जीवन जीने का कोई अर्थ नहीं है मानव योनी व्यर्थ करना हुआ | वर्तमान मे हम ऐसी व्यवस्था मे रहते है जहा सब कुछ बिकता है | और नारी को एक तीसरे उत्पाद के लिए प्रयोग किया जाता है जैसे वो बस सब कुछ विक्रित के लिए लिए बनी है | यदि वेद कि शिक्षा मिले लोगो को तों अधिकताय लोग अन्य दोषों से स्वयं को बचा ले और विवेकशुन्य हों ही ना पाए |
निवारण :सिर्फ गुरुकुलो मे ब्रह्मचारीयो का निर्माण होता है | वर्तमान मे अवैदिक शिक्षा और वो भी सहशिक्षा के साथ सत्यानाश कर रही है | हम चाहे अन्य समस्याओं का कितना भी उपाय क्यों ना कर ले बिना गुरुकुल शिक्षा परिषद के बने स्वस्थ लोग समाज मे नहीं आ पाएंगे क्यों कि अपराध मानसिक असंतुलन का परिणाम होता है | जहा लोग संवेदना शुन्य हों जाए दूसरे कि पीड़ा जिन्हें दिखे ना अपितु दूसरे को पीड़ा देने मे उन्हें आनंद प्रतीत हों ये मानसिक दीवालियेपन का प्रतिक है | यर्थात मे गुरुकुल जो चल रहे कुछ को छोड़ कर सब कि आर्थिक स्तिथि खराब है क्यों के लोग अपने बच्चो को गुरुकुल मे नही पढ़ाना चाहते उन्हें पुरोहित नही बनाना नौकरी करनी है ताकि कमा के ला सके | उत्तर प्रदेश मे एक ऐसा भी गुरुकुल है प्रभात आश्रम जहा ऋषि दयानंद प्रणीत गुरुकुलीय व्यवस्था का पालन होता है वहा से लगभग १५ वर्ष बाद ही ब्रह्मचारी निकलता है और अधिकतर कही ना कही विश्वविद्यालय मे प्राध्यापक हों कर ही निकलता है | यदि आर्यो का शासन किसी एक राज्य मे भी आजाये और हम सत्यनिष्ठा से कार्य करते हुए गुरुकुल शिक्षा परिषद का गठन कर के यदि प्रारंभिक वर्षों मे २० प्रतिशत बालक बालिकाओ को उनके-२ गुरुकुलो मे पंहुचा सके तों अगले १० वर्षों मे बहुत बड़ा कायाकल्प हों जाएगा |
२. कारण : इन घटनाओं कि वृद्धि होना और ग्रामो मे भी घटित होने का मूल कारण है सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार सेवाओं का हर स्थान पर पहुचना | कितना ही गंदा विषय क्यों ना हों यदि वो लोगो तक नहीं पहुचता तों वही खत्म हों जाता है जैसे रोग के जीवाणु फैलने ना दी जाए तों उसी स्थान मे जीवाणु खत्म हों जाते है | जहा-२ अंतरजाल(इन्टरनेट) आया, पोर्न चित्र हर स्थान पर पहुचने लगे | विविध सुविधा युक्त चलदूरभाष (मल्टीमीडिया मोबाइल फोन) चले तों उसमे चलचित्र देखने कि सुविधा उपलब्ध होने के कारण पोर्न वीडियो का प्रसार और बढ़ गया | अब तों गाव-गाव लैपटॉप बट गए है घटनाये तों और बढेंगी ही | लोग जो आभासिय इन्द्रिय तुष्टिकारक देखते है वे करना चाहते है | परिणाम प्रत्यक्ष है |
निवारण : अंतर्जाल पर पोर्न को प्रतिबंधित किये बिना और कोई उपाय नहीं है | हाल मे चीन ने प्रतिबंधित किया है | अमेरिका मे पोर्न उद्योग १३ अरब डॉलर से ऊपर का है और भारत मे ये ५० करोड डॉलर का उद्योग हों चूका है | वैश्वीकरण के नाम पर लूट मचाने वाले संवेदना शुन्य लोगो के लिए ये उद्योग है | डॉलर कि अमेरिका को वापसी के लिए आवश्यक है अंतरजाल पर पोर्न चलता रहे | स्त्री देहव्यापार* और उस से सम्बंधित उद्योग कि कमाई बहुत कम होगी इसके आगे | वृतपत्रों (समाचारपत्रों) के माध्यम से भी बलात्कार का प्रचार संभवतः इसलिए किया जा रहा के अपने को बौधिक दिखाने वाले पोर्न प्रतिबन्ध करने के बजाये वैश्यावृति के अभाव को कारण दिखायेंगे | वे कहेंगे के भारत मे भी स्त्री देहव्यापार के लाइसेंस कि व्यवस्था प्रारंभ कर दी जाए इस से बलात्कार का अपराध कम होगा | भारत मे मोबाइल मे कैमरा आने से पोर्न उद्योग और बढा है अतः समाजसेवी कोर्ट से लेकर संसद तक पोर्न प्रतिबन्ध कि बात उठाये |
३. कारण : नशीले पदार्थो का सेवन और नशे मे वृद्धि भी प्रमुख कारण है | क्यों के जितने भी लोग पोर्न इत्यादि देखते है सब अपराधी नहीं हों जाते केवल कुछ लोग ही होते है | यानी उनके मस्तिष्क कि विवेकशक्ति का क्षरण हो चूका है | उनके लिए सही गलत का भेद खत्म हों चूका उनकी भावनाए खत्म हों चुकी हैं | ये काम नशीले तत्व बहुत सरलता से करते है यानी बुद्धि व विवेकशक्ति का नाश | उत्तर प्रदेश और हरयाणा जैसे राज्यों मे विशेषकर शराब को बढ़ाया गया है |
निवारण : शराब गर्म खून को भी ठंडा कर देती है | राज व्यवस्थाए नशा को बढ़ावा देने का ही कार्य करती है | सरकारी शराब के ठेके उठते है | कितने घर बर्बाद होते है भारत मे गरीब के अभी तक गरीब बने रहने का बड़ा कारण भी यही है अन्य बढते अपराधो का कारण भी यही है | यदि आर्यो का शासन आजाये तों शराब समेत सभी नशे कि वस्तुओ को प्रतिबंधित कर दिया जाए | सभी प्रकार के अपराध दर अपने आप कम हों जाए |
४. कारण : उचित दंड व्यवस्था का अभाव अपना विशेष स्थान रखता है | क्यों के प्रथम तों घटनाएं होए ही ना, यदि दुर्भाग्यवश होए तों दोषी त्वरित पकड़ा जाए और दोषी को ऐसा दंड सार्वजनिक तौर पर मिले के वर्षों तक लोग याद रखे और जो लोग ईश्वरी न्यायव्यवस्था से न डर कर ये अपराध करते है वे सामाजिक न्यायव्यवस्था से तों डरे | नैतिक मूल्यों का पालन करने वाले अभय होते है क्यों के वो ईश्वर को रक्षक के रूप मे लेते है और मन से भी अपराध करने पर ग्लानी करते है |
निवारण : महर्षि दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश मे भी ये लिखा है और ये आर्य परंपरा रही है के दंड सदैव सार्वजनिक दिया जाता था | एक को देख कर दूसरे के ह्रदय मे भय कि उत्पत्ति होती थी और लंबे समय तक कोई वैसा अपराध ना होता था | महर्षि मनु का भी यही आदेश है के राज्य का आधार दंड होता है | हमारे देश मे दंड व न्याय व्यवस्था ध्वस्त है विशेषकर उत्तर प्रदेश मे | कारण ये के अच्छे लोग जो हर समुदाय मे होते है संगठित नहीं है | अपराधी खुले घूम रहे है और प्रजा मे विशेषकर बहनों मे त्राहिमाम् मचा हुआ है | कोई नहीं आएगा अच्छे लोगो को ही अपने कार्यों मे से समय निकाल कर यथाशक्ति यथा सामर्थ्य आगे आकार परिवर्तन को आंदोलित होना होगा |
५. कारण : फिल्म उद्योग और दूर(टी) दर्शन(वी) बहुत बड़ा कारण है | हर अश्लीलता फैलाने वाली कथित अभिनेत्री समाज मे बढते अपराध मे अपराधियों के साथ स्थान रखती है | भले उसे पता ना हों और जो दिखाया जा रहा उसमे सम्मलित निर्देशक, कथित अभिनेता, पटकथा लिखने वाला सब सम्मलित है जो वो दिखा रहे है कम बुद्धि के लोग अन्य निर्दोषों पर प्रयोग करते है | जो कार्य वे कैमरा के सामने कर रही है क्या वे हर नुक्कड़ हर ग्राम मे जाकर ऐसा करने का साहस कर सकती है | उन्हें पता लोग उन्हें नोच डालेंगे पर दूसरों पर संकट कि परिस्तिथि खड़ी करने मे उन्हें कोई समस्या नहीं यदि उन्हें धन मिलता है | हाल मे बोलीवुड मे एक पोर्न कलाकार को अभिनेत्री बना कर लाने का ध्येय भी यही था के लड़किया जो अभिनेत्री बनाना चाहती वे ये समझे के पोर्न उद्योग से होंकर भी अब फिल्म उद्योग का मार्ग जाता है |
निवारण : कानून का द्वार है पर हमें ये ध्यान रखना होगा के ये द्वार अंग्रेजो ने बनाया ही इसलिए है के लोग न्याय को भटकते रहे और कोर्ट फीस देकर जनता दुर्बल होती रहे | फिर भी जनहित याचिकाए ऐसा उपाय है | अश्लील चित्रों को अनैतिक विवाह पूर्व या पश्चात के शारीरिक संबंधो को बढ़ावा देने वाली फिल्मो का बहिष्कार करे | लोग पसंद ना करे तों ये चल नही पायेगी | समाज से फिल्मो मे थोडा, फिल्मो से समाज मे अधिक सन्देश जाता है | आज से दस वर्ष पूर्व वे फिल्मे चली थी जिनको लेकर लोगो को आश्चर्य था अब तों हर फिल्म के साथ नई मर्यादाये भंग होती है | केन्द्र सरकार फिल्मो के नियंत्रण बोर्ड पर अधिक शक्ति कर सकता है ऐसी फिल्मे जो समाज को हितकारी सन्देश ना दे सके उन्हें आने कि अनुमति ना दी जाए | यदि किसी राज्य मे आर्यो कि राजव्यवस्था हों तों वहा ये फिल्मे प्रतिबंधित करी जा सकती हैं |
६. कारण : विज्ञापन उद्योग हर वस्तु कि विक्री मे नारी का प्रयोग कर्ता है | चाहे आवयश्कता हों या ना हों | आज से ३० वर्ष पूर्व कंडोम के विज्ञापन आते थे वो भी रात्री साढ़े ९ के बाद, तब घोडा बना रहता था उसके डिब्बे पर | आज स्त्री-पुरुष साथ मे रति कर्म मे लगे है ऐसा चित्र छापा जाता | बीमा हों या मोबाईल रीचार्ज, बैंक के लोन का विज्ञापन हों या साबुन का शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र है जहा स्त्रियों को ना परोसा गया हों उत्पाद के तरह | कम्पनिया रिसेप्शन से लेकर फोन कराने के काम के लिए नौकरी पर लड़किया रखते है ताकि पुरुषों का आकर्षण बना रहे और उनका काम चलता रहे ये भी विज्ञापन के प्रकार का स्वरुप हैं | यानी बड़े बड़े बैनरों पर उनके चित्र बना कर राह चलते उठते बैठते लोग बस स्त्रिया ही देखे उन्हें ही सुने | ये तों इस देश के पूर्वजो का तप है के कमजोर बुद्धि के लोग कम ही निकल रहे है | पर अब वृद्धिदर समाज को नष्ट करने वाले स्तर पर है |
निवारण : अधिक से अधिक स्वदेशी बनिए | उन समाचार पत्रों को मत खरीदिए जिनमे अश्लील विज्ञापन हों और उसका कारण संपादक को लिखिए | ताकि वे अश्लील विज्ञापन लेना बंद करे | एड एजेंसियों को अपना विरोध पत्र दे सकते है जिस किसी विशेष विज्ञापन को लेकर आपत्ति हों | स्वदेशी के अतिरिक्त और कोई उपाय है नहीं हां यदि केन्द्र मे आर्यो कि सत्ता हों और वास्तविक आर्य हों सब कुछ बड़ी सरलता से ठीक हों सकता है |
७. भोजन :मांसाहार का बढ़ता प्रचलन भी एक बड़ा कारण है | क्यों के जैसा भोजन हम शरीर को देते है हमारे मन का निर्माण उसकी वृतिया भी वैसी ही होती है | शरीर की विशेष दृव्य स्राव कि ग्रंथिया, मस्तिष्क मे स्त्रावित होने वाले द्रव्य जो मानसिक रोगी बनाते है सबको अच्छे भोजन शरीर कि प्रकृति अनुसार भोजन से नियंत्रित किए जा सकता है | माँसाहारी समाज मे अधिक अपराध होते है शाकाहारी समाज कि तुलना मे उदाहरण विश्व के सामने है |
निवारण :अधिक से अधिक लोग शाकाहारी भोजन करे अपने भोजन मे दुग्ध और स्निग्ध पदार्थो कि प्रचुरता रखे ताकि शरीर मे तामसिक के स्थान पर सात्विकी वृतिया उन्मुख हों | इसके साथ लोगो को आयुर्वेद और शरीर विज्ञान का मूलभूत ज्ञान हों ताकि हर कोई अपनी शरीर मे प्रकृति(वात,पित्त,कफ) कि प्रधानता समझ सके | मानव समाज मे मानवीय व्यहवार के लिए आवश्यक हैं के वे पशुओ को खाना बंद करे |
रही बात कन्यायो के वस्त्रों का तों मैं अपनी मान्यता पूर्व ही स्पष्ट कर आया हू यदि समाज संयमित और नियत्रित है तों वस्त्र अपराध का कारण नहीं होते | क्यों के आदिवासी जो नग्न ही रहते है उनमे ये घटनाएं नहीं होती और देखने वाले तों सिर से पाँव तक हिजाब मे ढकी स्त्री को भी घूरते है और पाकिस्तान मे भी ये अपराध बहुत होते है | वस्त्र बलात्कार का कारण तों नहीं पर हां कामोतेजना का कारण तों है ही तों वस्त्र कामोतेजक ना हों ये विशेष हैक्योंकि अब आर्यो का शासन नहीं है | अब ब्रह्मचर्य कि शिक्षा नहीं दी जाती है इस देश मे हा सेक्स कि शिक्षा अवश्य दी जाती है | फिर सामाजिक दायित्व हम सभी पर है हमारे आचरण से समाज के किसी भी वर्ग के मन मस्तिष्क मे पाप ना जागे इसका जितना हों सके उतना पालन हमे करना ही चाहिए |
वस्त्र कैसे हों? वस्त्र चिपके ना हों ढील्ले वस्त्र हों | कसे वस्त्र स्वयं मे और दूसरों मे भी कामोतेजना कि उत्पत्ति करते है | कसी हुई जींस या जो वस्त्र आपको स्वयं को सुविधा ना दे वो वस्त्र ना पहना जाए | हम अपनी बहेनो, बेटियों को ये समझा सकते है के समाज बदल चूका है और लोग बदल चुके है | फिर अपराधियो को बढ़ावा देने वाले राजनेता भी ऐसा बयान देते है के लडकियो के वस्त्र ऐसे थे | तों एक उत्तम उदाहरण हों के हमारे समाज मे ऐसे वस्त्र पहने ही नहीं जाते | ढीले वस्त्र बहुत लाभदायक होते है | अतिरिक्त जानकारी हेतु लिख देता हू के वस्त्र चिकने हों तों त्वचा के लिए उत्तम होते है |
इसके अतिरिक्त जो २ बाते बिंदुवत नही लिख रहा के वो हैं कन्यायो का भोला स्वभाव और कोमलांगी होना | ये विधाता ने दिया है और ये न होने पर समाज कि हानि है | परन्तु उन्हें ये समझना होगा के दुनिया बदल गई है अब विश्वास करने वाला ही घात कर्ता है | और अपनी सुरक्षा के उपकरण वे रख सकती है इसके साथ वे किसी युद्धशैली मे भी पारंगत हों सकती है जैसे भारतीय शैली नियुद्ध या ताईकोंडो इत्यादि |
अनेको कारण विचार किये जा सकते और निवारण लिखे जा सकते पर यदि इतने ही उपाय कर दिए जाए तों समाज मे हर व्यक्ति मानसिक स्वस्थ होने लगेगा | अब हम उन संकटो पर लिखते है जो उपरुक्त उपायों को ना करने पर उत्पन्न होंगे |
संकट
गीता मे श्री कृष्ण से अर्जुन प्रथम अध्याय मे ही कहते है के स्त्रियों के दूषित होने पर वर्णशंकरता आती है और कुल का नाश होता है | स्वेच्छा(व्यभिचार) या अनिच्छा(बलात्कार), कैसे भी हुआ अपराध समाज पर गहरे दीर्घकालिक संकट उत्पन्न कर्ता है | महर्षि दयानंद ने कहा भी एक बार कि इस देश कि रक्षा पुरुषों से अधिक नारियों के सतीत्व ने कि | हमारे देश मे इतना आक्रमण हुआ पर अपने सतीत्व कि रक्षा के लिए स्त्रियों ने अग्नि का आलिगन स्वीकार किया बजाये किसी पशु समान व्यभिचारी दुराचारी मनुष्य के | महर्षि दयानंद और एक सरल उपदेश देते है जो मैं अपने शब्दों मे ही लिखता हू के जो बलवान हों कर दुर्बल को सतावे वो क्यों कर मनुष्य होवे क्यों के ये कार्य तों पशु करते है |
फिर एक सामाजिक नियम है, परिवर्तन का, यदि स्त्रियों पर ऐसे ही अत्याचार होते रहे तों वे अपने मूल स्वभाव मे परिवर्तन कर लेंगी | उनमे पुरुषों के गुण आने लगेंगे और ये भयावह होगा | उनमे यदि दया, वात्सल्य, ममता के भाव का अभाव उत्पन्न हुआ तों समस्त समाज पर संकट होगा | क्यों के बालक को दुग्ध पिलाते वक्त माता मे जो वात्सल्य के भाव आते है उस बालक मे भी जीवन पर्यन्त दया के जो भाव बने रहते उसमे मा की वो ममता कही ना कही सम्मलित होती है | “माता निर्माता भवति” बहुत बड़ा सूत्र है | और यदि कोई बच्ची बाल्यकाल मे किसी बाल व्यभिचारी (पिडोफाइल) से पीड़ित हों गई तों उसके कोमल मन पर बहुत बुरा असर पड़ेगा जिसका भुगतान जीवन पर्यन्त उस से जुड़े लोगो को करना होगा |
महर्षि मनु कहते है नारी को सदैव सुरक्षा चाहिए वो सही कहते है क्यों के पुरुषों का अस्तित्व नारी के बिना संभव ही नहीं | सुरक्षा ना कर पाने के कारण समाज मे लिंगानुपात और बिगडेगा | ये दीर्घकालिक संकट वास्तव मे पुरुषों पर उत्पन्न होगा यदि बलात्कार कि घटनाएं न रुकी | स्वयं समाज के वे लोग जो ह्रदय मे पीड़ा रखते है सजग रहे और ऐसे लोगो को न छोड़ने का संकल्प रखे | यदि समाज ही न्याय का दायित्व ले लेता है तों भी ऐसी दुर्व्यवस्था और दुराचारियो के खत्म होने मे समय ना लगेगा | अच्छे लोग सजग रहे संगठित रहे और यथा संभव उपायों पर कार्य करे |
* जैसे ब्राह्मण कि ब्रह्मणी, क्षत्रिय कि क्षत्राणी, शुद्र कि शुद्राणी होता है उसी प्रकार वैश्य कि वैश्या होता है | इसका बहुत श्रेष्ठ अर्थ है इस शब्द का प्रचलन गलत क्षेत्र के लिए किया जा रहा अतः हमें देह व्यापर शब्द प्रयोग किया |
Labels: समाज सुधार
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